ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत आधुनिक शिक्षा को गांवों तक पहुंचाने के लिए साल 2018 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के 75 स्कूलों में शुरू हुई डिजिटल कक्षाएं बंद पड़ी हैं. शिक्षकों की लापरवाही, अधिकारियों की उदासीनता ने पीएम के डिजिटल एजुकेशन के प्रोग्राम (Digital Education Program) को ठप कर दिया है. जिले के अधिकारी अभी तक स्कूलों में ब्रॉडबैंड सेवाएं नहीं पहुंचा पाए हैं. इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है, हालांकि कलेक्टर ने कक्षाओं को दोबारा दुरस्त कराने की बात कही है.
मॉनीटर खराब,कक्षाएं बंद: 30 सितंबर 2018 को ग्वालियर व्यापार मेला के फैसिलिटेशन सेंटर में हुए समारोह के बाद इन डिजिटल कक्षाओं का ऑनलाइन उद्घाटन किया गया था. उप राष्ट्रपति वेंकैयानायडू और केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इन डिजिटल कक्षाओं में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के अलावा अन्य विषय डिजिटल तकनीक से पढ़ाने का दावा किया गया था, लेकिन अब ये कक्षाएं ठप हैं. जिले में 75 स्कूलों में 100 से अधिक डिजिटल कक्षाएं शुरू की गई थी जिनमें से सभी बंद पड़ी है. देश की जिस कंपनी के सीएसआर फंड से कक्षाओं में मॉनीटर लगाए गए थे, वे अब बेकार हो गए हैं और इसके साथ ही डिजिटल तकनीक से पढ़ाने का दावा भी फेल होता दिख रहा है. कांग्रेस के इस मुद्दे को हवा देने के साथ ही इसपर राजनीति भी शुरू हो गई है.
अधिकारियों को खबर तक नही: डिजिटल स्कूलों में लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को यह पता ही नहीं है कि किन स्कूलों में डिजिटल कक्षाएं चल रही हैं और कहां बंद हैं. इस सुविधा में डिजिटल एजुकेशन के लिए ग्वालियर जिले के 42 हाईस्कूल, 23 हायर सेकेंडरी और 11 मिडल स्कूलों की कक्षाओं को डिजिटल किया गया था. खास बात यह है कि ग्रामीण इलाकों में इसके संचालन के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी आवश्यक है. इसके लिए ग्राम पंचायतों में मौजूद स्कूलों को आधुनिक बनाना जरूरी है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए डिजिटल कक्षाओं की शुरुआत की गई थी. उद्देश्य यह था कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं और आधुनिक शिक्षा की कमी की वजह से गांव के बच्चों का पलायन रुक सके, लेकिन ग्वालियर में ऐसा होता दिखाई नहीं देता, हकीकत यह है कि डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने की यह योजना यहां दम तोड़ रही है.