ग्वालियर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं नरेंद्र सिंह तोमर के शनिवार के प्रस्तावित दौरे को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पेश की गई है. जिसमें इस दौरे की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए गए हैं.अधिवक्ता उमेश बोहरे के मुताबिक सीएम शिवराज सिंह के दौरे को कई इवेंट में बांटा गया है. जिसमें करोड़ों रुपए खर्च होने का अनुमान है. एक हजार बिस्तरों वाले अस्पताल का निर्माण फिलहाल आधा अधूरा है उसका फर्श और टाइल्स कई जगह से उखड़ रही है. वहीं इलाज के लिए लोगों को फिलहाल कोई सुविधा नहीं दी जा रही है कि किस बीमारी का इलाज कहां होगा, लोग नए और पुराने अस्पताल के बीच झूलते रहते हैं.
उमस भरी गर्मी में लोगों की भीड़: मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना को लेकर बड़ी संख्या में व्यापार मेला परिसर में महिलाओं को इकट्ठा कर रहे हैं. इसके लिए 3700 बसें अनुबंधित की गई हैं. जिसमें लाखों रुपये का डीजल खपत होगा. ऐसी स्थिति में जब प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है ऐसे में इस फिजूलखर्ची से सरकार को बचना चाहिए. वहीं कार्यक्रम में आने वाली महिलाओं और कर्मचारियों सहित अन्य लोगों को सुबह से शाम तक पूरे दिन ऐसी भीषण उमस भरी गर्मी में सत्तारूढ़ दल के नेताओं का इंतजार करना होगा जो किसी सजा से कम नहीं है.
याचिका की सुनवाई तक हो जाएगी सभा: बारिश के मौसम में सड़कें बनाई जा रही है जिन की गुणवत्ता कितनी अच्छी होगी इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है क्योंकि बारिश में लोक निर्माण विभाग कार्य नहीं करता है लेकिन इस प्रस्तावित दौरे को लेकर सड़कों को आनन-फानन में बनाया जाना जा रहा है जिससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं तीन तीन वीवीआईपी लोगों के कार्यक्रम में जुटने के कारण शहर में कई स्थानों पर चक्का जाम की स्थिति बनेगी और आम लोगों को परेशानी से दो-चार होना पड़ेगा. इसलिए कोर्ट से मांग की गई है कि सीएम के दौरे को रद्द किया जाए. हालांकि इस मामले में फिलहाल सुनवाई नहीं हुई है और जब तक याचिका सुनवाई में आएगी तब तक कार्यक्रम भी हो चुके होंगे. ऐसे में जनहित याचिका की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठते हैं.