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DRDO की 200 मीटर की परिधि में बने सभी निर्माण अवैध, असमंजस में प्रभावित

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के आदेश के बाद DRDO की 200 मीटर की परिधि में बने सभी सरकारी और गैर सरकारी बिल्डिंग अवैध हो गए हैं. जिसे हटाने के लिए कोर्ट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है. वहीं कोर्ट के फैसले के बाद प्रभावित असमंजस में हैं और वे DRDO को शहर से दूर शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं.

ग्वालियर
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Published : Apr 9, 2019, 2:28 PM IST

ग्वालियर। शहर के स्टेशन और सिटी सेंटर क्षेत्र के बड़े भूभाग में फैले भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन DRDO लैब को लेकर दिए गए हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रभावित लोगों में असमंजस की स्थिति है. लोग चाहते हैं कि डीआरडीओ की लैब शहर से बाहर कहीं शिफ्ट हो, ताकि अरबों की संपत्ति को नुकसान होने से बचाया जा सके.


हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 28 मार्च को बड़ा आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि डीआरडीओ के आसपास 200 मीटर की परिधि में बने सभी भवन, मल्टी, मॉल और सरकारी बिल्डिंग अवैध हैं. हाईकोर्ट ने उन्हें हटाने के लिए भी जिला प्रशासन को निर्देशित किया. करीब 4 साल पहले लगाई गई एक जनहित याचिका का निराकरण करते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया था.

कोर्ट के आदेश के बाद असमंजस में लोग


इस आदेश का इंप्लीमेंट प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर है. करीब 40 सरकारी और 100 से ज्यादा गैर सरकारी निर्माण 200 मीटर की परिधि के दायरे में आ गए हैं. उन्हें हटाने पर लगभग 6 अरब की संपत्ति प्रभावित होगी. ऐसे में लोग चाहते हैं कि भारत सरकार के इस उपक्रम को शहर से बाहर शिफ्ट किया जाए. हालांकि कोर्ट ने डीआरडीओ के आसपास बने सभी निर्माणों को हटाने की समय सीमा तय नहीं की है. विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा. वहीं स्थानीय लोग सरकार के आसरे बैठे हैं.

ग्वालियर। शहर के स्टेशन और सिटी सेंटर क्षेत्र के बड़े भूभाग में फैले भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन DRDO लैब को लेकर दिए गए हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रभावित लोगों में असमंजस की स्थिति है. लोग चाहते हैं कि डीआरडीओ की लैब शहर से बाहर कहीं शिफ्ट हो, ताकि अरबों की संपत्ति को नुकसान होने से बचाया जा सके.


हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 28 मार्च को बड़ा आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि डीआरडीओ के आसपास 200 मीटर की परिधि में बने सभी भवन, मल्टी, मॉल और सरकारी बिल्डिंग अवैध हैं. हाईकोर्ट ने उन्हें हटाने के लिए भी जिला प्रशासन को निर्देशित किया. करीब 4 साल पहले लगाई गई एक जनहित याचिका का निराकरण करते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया था.

कोर्ट के आदेश के बाद असमंजस में लोग


इस आदेश का इंप्लीमेंट प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर है. करीब 40 सरकारी और 100 से ज्यादा गैर सरकारी निर्माण 200 मीटर की परिधि के दायरे में आ गए हैं. उन्हें हटाने पर लगभग 6 अरब की संपत्ति प्रभावित होगी. ऐसे में लोग चाहते हैं कि भारत सरकार के इस उपक्रम को शहर से बाहर शिफ्ट किया जाए. हालांकि कोर्ट ने डीआरडीओ के आसपास बने सभी निर्माणों को हटाने की समय सीमा तय नहीं की है. विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा. वहीं स्थानीय लोग सरकार के आसरे बैठे हैं.

Intro:ग्वालियर
शहर के स्टेशन और सिटी सेंटर क्षेत्र के बड़े भूभाग में फैले भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन डीआरडीओ लैब यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना को लेकर दिए गए कोर्ट के आदेश के बाद प्रभावित लोगों में असमंजस की स्थिति है। लोग चाहते हैं कि डीआरडीओ की लैब शहर से बाहर कहीं शिफ्ट हो। ताकि अरबों की संपत्ति को नुकसान से बचाया जा सके।


Body:हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पिछले महीने 28 मार्च को एक बड़ा आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि डीआरडीओ के आस पास 200 मीटर की परिधि में बने सभी भवन, मल्टी ,मॉल और सरकारी बिल्डिंगे अवैध है। कोर्ट ने इन्हें हटाने के लिए भी जिला प्रशासन को निर्देशित किया है। करीब 4 साल पहले लगाई गई एक जनहित याचिका के निराकरण करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया था। लेकिन इस आदेश का इंप्लीमेंट प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर है। करीब 40 सरकारी और 100 से ज्यादा गैर सरकारी निर्माण 200 मीटर की परिधि के दायरे में आ गए हैं। इन्हें हटाने पर लगभग 6 अरब की संपत्ति प्रभावित होगी। ऐसे में लोग चाहते हैं कि भारत सरकार के इस उपक्रम को कहीं दूर यानी शहर से बाहर शिफ्ट किया जाए। हालांकि हाईकोर्ट ने डीआरडीओ के आसपास बने सभी निर्माणों को हटाने की समय सीमा तय नहीं की है।


Conclusion:सबसे ऐतिहासिक ग्वालियर का कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम निगम मुख्यालय एसपी कार्यालय के अधीन तीन बड़े कार्यालय जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यटन भवन भाषा अध्ययन केंद्र स्वास्थ्य विभाग का परिवार कल्याण एवं प्रबंधन संस्थान सहित एक दर्जन से ज्यादा होटल मॉल मल्टी सहित लोगों के रिहायशी मकान कार्रवाई की जद में आ रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। वहीं स्थानीय लोग सरकार के आसरे बैठे हैं उनका मानना है कि सरकार जनहित में जो भी उचित होगा वह करेगी। उनको उम्मीद है कि भविष्य में यह लैब शहर से दूर बाहरी इलाके में शिफ्ट होगी।
बाइट शांति देव सिसोदिया प्रवक्ता जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर
बाईट एचएस अरोरा होटल व्यवसाई एमपी नगर ग्वालियर
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