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बुजुर्गों का ये संगठन करता है लोगों की मदद, समाज सेवा करने का है जुनून - समाज सेवा का है ऐसा जुनून

आज जब लोग मदद के नाम पर मुह मोड़ लेते हैं ऐसे में ग्वालियर में समाज सेवा के लिए उम्रदराज साथियों का एक संगठन इस समय चर्चा में बना हुआ है, जो काउंसलिंग के साथ जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी देता है.

उम्र के आखिरी पड़ाव में समाज सेवा का है ऐसा जुनून
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Published : Nov 8, 2019, 8:44 PM IST

ग्वालियर। कुछ करने के लिए उम्र नहीं हौसले की जरूरत होती है, इसे सिद्ध कर रहा है ग्वालियर में समाज सेवा का काम कर रहा रेलवे के पूर्व कर्मचारियों का एक संगठन. भले ही उम्र की तकाजे के साथ शरीर की चुस्ती फुर्ती में कमी आ जाती है। लेकिन अनुभव की विरासत हमेशा ही समाज को सही दिशा देती है. ऐसे ही उम्रदराज साथियों का एक संगठन इस समय चर्चा में बना हुआ है. ये लोग आम लोगों को निशुल्क मदद कर वृद्धावस्था को पीछे छोड़ जन सेवक के रूप में पहचाने जाने लगे हैं.

बुजुर्गों का ये संगठन करता है लोगों की मदद


ऐसे शुरू हुआ संगठन
नौकरी में रहकर तो लोग अपने काम आसानी से निपटा लेते हैं, लेकिन नौकरी से रिटायरमेंट होने के बाद कर्मचारी परेशान हो जाता है. किसी की पेंशन बंद हो गई या किसी कर्मचारी को पीएफ का पैसा नहीं मिल रहा है. ऐसी समस्याओं को देखते हुए रेलवे के रिटायरमेंट कर्मचारियों ने अपना एक संगठन पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन बनाकर पेंशनरों की समस्या को निपटाने का काम साल 2013 में शुरू किया. इसमें शुरू करने के साथ ही 250 से अधिक लोग इसके साथ जुड़ गये थे.


पहले रेलवे और अब समाज के सभी वर्गों की करते हैं सेवा
ये संगठन शुरुआती दौर में केवल रेलवे के कर्मचारियों के लिए काम करता था पर अब यह टूटे हुए परिवार और युवा वर्ग की समस्याओं का भी निरारण करते हैं. शुरुआती दौर में इनके पास कोई कार्यालय नहीं था पर रेलवे प्रबंधन के आला अधिकारियों ने चर्चा कर जगह की मांगी गई, जिसके बाद उन्हें रेलवे हॉकी स्टेडियम के पास सरकारी इमारत में दो कमरे उपलब्ध कराए गए.


काउंसलिंग के साथ आर्थिक मदद देता है एसोसिएशन
वर्तमान में युवा आसानी से डिप्रेशन में चले जाते हैं और कई ऐसे कदम उठा लेते हैं, जो उनके और उनके परिजनों के लिए सही नहीं होते. वहीं गलत फैमी में कई परिवार टूट जाते हैं एसोसिएशन ऐसे सभी मामलों मे कांउंसलिंग देने के साथ-साथ आर्थिक मदद भी करता है. संगठन हफ्ते में 3 दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को अपनी सेवाएं आम लोगों को देते हैं. कई बार जरूरत पड़ने पर खुद के खर्चे पर दूर-दराज शहरों में समस्याओं के निदान के लिए निकल पड़ते हैं.

रेलवे की जर्जर हो चुकी इमारत के बीच खुली पड़ी बिल्डिंग में भी जनसेवा के जुनून को बरकरार रखे हुए हैं, तजुर्बे के खजाने को बांटने का ये इरादा दिली तसल्ली देता है. उम्र दराज लोगों का यह संगठन यह साबित करता है कि कुछ कर गुजरने के लिए उम्र नहीं हौसले की जरूरत होती है. यह हम सब के लिए एक मिसाल है आज जब लोग मदद के नाम पर मुह मोड़ लेते हैं ऐसे में समाज को भी इससे कुछ सीख लेने के जरूरत है.

ग्वालियर। कुछ करने के लिए उम्र नहीं हौसले की जरूरत होती है, इसे सिद्ध कर रहा है ग्वालियर में समाज सेवा का काम कर रहा रेलवे के पूर्व कर्मचारियों का एक संगठन. भले ही उम्र की तकाजे के साथ शरीर की चुस्ती फुर्ती में कमी आ जाती है। लेकिन अनुभव की विरासत हमेशा ही समाज को सही दिशा देती है. ऐसे ही उम्रदराज साथियों का एक संगठन इस समय चर्चा में बना हुआ है. ये लोग आम लोगों को निशुल्क मदद कर वृद्धावस्था को पीछे छोड़ जन सेवक के रूप में पहचाने जाने लगे हैं.

बुजुर्गों का ये संगठन करता है लोगों की मदद


ऐसे शुरू हुआ संगठन
नौकरी में रहकर तो लोग अपने काम आसानी से निपटा लेते हैं, लेकिन नौकरी से रिटायरमेंट होने के बाद कर्मचारी परेशान हो जाता है. किसी की पेंशन बंद हो गई या किसी कर्मचारी को पीएफ का पैसा नहीं मिल रहा है. ऐसी समस्याओं को देखते हुए रेलवे के रिटायरमेंट कर्मचारियों ने अपना एक संगठन पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन बनाकर पेंशनरों की समस्या को निपटाने का काम साल 2013 में शुरू किया. इसमें शुरू करने के साथ ही 250 से अधिक लोग इसके साथ जुड़ गये थे.


पहले रेलवे और अब समाज के सभी वर्गों की करते हैं सेवा
ये संगठन शुरुआती दौर में केवल रेलवे के कर्मचारियों के लिए काम करता था पर अब यह टूटे हुए परिवार और युवा वर्ग की समस्याओं का भी निरारण करते हैं. शुरुआती दौर में इनके पास कोई कार्यालय नहीं था पर रेलवे प्रबंधन के आला अधिकारियों ने चर्चा कर जगह की मांगी गई, जिसके बाद उन्हें रेलवे हॉकी स्टेडियम के पास सरकारी इमारत में दो कमरे उपलब्ध कराए गए.


काउंसलिंग के साथ आर्थिक मदद देता है एसोसिएशन
वर्तमान में युवा आसानी से डिप्रेशन में चले जाते हैं और कई ऐसे कदम उठा लेते हैं, जो उनके और उनके परिजनों के लिए सही नहीं होते. वहीं गलत फैमी में कई परिवार टूट जाते हैं एसोसिएशन ऐसे सभी मामलों मे कांउंसलिंग देने के साथ-साथ आर्थिक मदद भी करता है. संगठन हफ्ते में 3 दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को अपनी सेवाएं आम लोगों को देते हैं. कई बार जरूरत पड़ने पर खुद के खर्चे पर दूर-दराज शहरों में समस्याओं के निदान के लिए निकल पड़ते हैं.

रेलवे की जर्जर हो चुकी इमारत के बीच खुली पड़ी बिल्डिंग में भी जनसेवा के जुनून को बरकरार रखे हुए हैं, तजुर्बे के खजाने को बांटने का ये इरादा दिली तसल्ली देता है. उम्र दराज लोगों का यह संगठन यह साबित करता है कि कुछ कर गुजरने के लिए उम्र नहीं हौसले की जरूरत होती है. यह हम सब के लिए एक मिसाल है आज जब लोग मदद के नाम पर मुह मोड़ लेते हैं ऐसे में समाज को भी इससे कुछ सीख लेने के जरूरत है.

Intro:ग्वालियर- कहा जाता है कि उम्रदराजो के पास ज्यादा अनुभव और जीवन के मायने होते हैं भले ही उम्र की तकाजे के साथ शरीर की चुस्ती फुर्ती में कमी आ जाती है। लेकिन अनुभव की विरासत से यदि कोई अन्य लोगों की मदद करें तो उसे आप क्या कहेंगे। ग्वालियर में ऐसे ही उम्रदराज साथियों का एक संगठन बेहद चर्चा में बना हुआ है।क्योंकि यह लोग अपनी वृद्धावस्था को पीछे छोड़ जन सेवक के रूप में पहचाने जाने लगे हैं। यह संगठन आम लोगों को निशुल्क मदद करता है देखिए खास रिपोर्ट


Body:नौकरी में रहकर तो लोग अपने काम आसानी से निपटा लेते हैं लेकिन नौकरी से रिटायरमेंट होने के बाद कर्मचारी परेशान हो जाता है।कर्मचारियों की कई समस्याएं सामने आने लगती हैं। किसी की पेंशन बंद हो गई या किसी कर्मचारी को पीएफ का पैसा नहीं मिल रहा है। इसी को देखते हुए रेलवे के रिटायरमेंट कर्मचारियों ने अपना एक संगठन पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन बनाकर पेंशनरों की समस्या को निपटाने वर्ष 2013 में शुरू किया। इसमें शुरू करने के साथ ही 250 से अधिक लोग इसके साथ जुड़ गये है।

वाइट - जीपी भटनागर , अध्यक्ष संगठन


Conclusion:इस संगठन की सबसे खास बात यह है कि शुरुआती दौर में खुले में ही इन्होंने अपने काम की शुरुआत की और फिर धीरे-धीरे रेलवे प्रबंधन के आला अधिकारियों ने चर्चा कर जगह की मांग की। जिसके बाद उन्हें शहर के रेलवे हॉकी स्टेडियम के पास रेल की ही एक सरकारी इमारत में दो कमरे उपलब्ध कराए गए हैं जहां वह इस समाज सेवा को अंजाम दे रहे हैं। पहले सिर्फ रेलवे से संबंधित रिटायर लोग यहां अपनी समस्या के समाधान के लिए आते थे। लेकिन धीरे-धीरे और यहां कई टूटे हुए परिवार एवं युवा वर्ग अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचते हैं।जहां वृद्धों का या पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन उन्हें सही रास्ता और मदद देता है।

वर्तमान में युवा आसानी से डिप्रेशन में चले जाते हैं और कई ऐसे कदम उठा लेते हैं कि अपनी जीवन लीला समाप्त करने पर जाती है अरे हमें भटके ऐसी कई और आप ही सही दिशा और मार्गदर्शन के लिए इस संगठन के पास पहुंचते हैं और अपनी समस्याओं को बता कर सही समाधान पाकर खुश हो जाते हैं। रिटायरमेंट पेंशनरों का यह संगठन हफ्ते में 3 दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को अपनी सेवाएं आम लोगों को देते हैं। बैंक आधार कार्ड जैसी कई समस्या तमाम समस्याओं को लेकर लोग इनके पास पहुंचते हैं। इतना ही नहीं यह खुद के खर्चे पर आवश्यकता पड़ने पर दूर-दराज शहरों में ही उनसे जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए निकल पड़ते हैं।

बाइट - साकिर खान, युवा

बाइट - फुलवती आनंद, वृद्ध महिला

फिलहाल उम्र गया साथियों का संगठन दूसरों की मदद कर खुद को खुश महसूस करता है। जबकि खुद रेलवे की जर्जर हो चुकी इमारत के बीच खुली पड़ी बिल्डिंग में भी जनसेवा के जुनून को बरकरार रखे हुए हैं। उम्र तजुर्बे के खजाने को बांटने के इरादे से बैठे हुई इस संगठन के लोगों को समाज सेवा का यह जुनून ऐसी शांति और दिली तसल्ली देता है। यह हम सब के लिए एक मिसाल है और कुछ कर गुजरने के लिए उम्र नहीं होसले मजबूत होने चाहिए तो कोई काम मुश्किल नहीं होता है।

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