ग्वालियर। कुछ करने के लिए उम्र नहीं हौसले की जरूरत होती है, इसे सिद्ध कर रहा है ग्वालियर में समाज सेवा का काम कर रहा रेलवे के पूर्व कर्मचारियों का एक संगठन. भले ही उम्र की तकाजे के साथ शरीर की चुस्ती फुर्ती में कमी आ जाती है। लेकिन अनुभव की विरासत हमेशा ही समाज को सही दिशा देती है. ऐसे ही उम्रदराज साथियों का एक संगठन इस समय चर्चा में बना हुआ है. ये लोग आम लोगों को निशुल्क मदद कर वृद्धावस्था को पीछे छोड़ जन सेवक के रूप में पहचाने जाने लगे हैं.
ऐसे शुरू हुआ संगठन
नौकरी में रहकर तो लोग अपने काम आसानी से निपटा लेते हैं, लेकिन नौकरी से रिटायरमेंट होने के बाद कर्मचारी परेशान हो जाता है. किसी की पेंशन बंद हो गई या किसी कर्मचारी को पीएफ का पैसा नहीं मिल रहा है. ऐसी समस्याओं को देखते हुए रेलवे के रिटायरमेंट कर्मचारियों ने अपना एक संगठन पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन बनाकर पेंशनरों की समस्या को निपटाने का काम साल 2013 में शुरू किया. इसमें शुरू करने के साथ ही 250 से अधिक लोग इसके साथ जुड़ गये थे.
पहले रेलवे और अब समाज के सभी वर्गों की करते हैं सेवा
ये संगठन शुरुआती दौर में केवल रेलवे के कर्मचारियों के लिए काम करता था पर अब यह टूटे हुए परिवार और युवा वर्ग की समस्याओं का भी निरारण करते हैं. शुरुआती दौर में इनके पास कोई कार्यालय नहीं था पर रेलवे प्रबंधन के आला अधिकारियों ने चर्चा कर जगह की मांगी गई, जिसके बाद उन्हें रेलवे हॉकी स्टेडियम के पास सरकारी इमारत में दो कमरे उपलब्ध कराए गए.
काउंसलिंग के साथ आर्थिक मदद देता है एसोसिएशन
वर्तमान में युवा आसानी से डिप्रेशन में चले जाते हैं और कई ऐसे कदम उठा लेते हैं, जो उनके और उनके परिजनों के लिए सही नहीं होते. वहीं गलत फैमी में कई परिवार टूट जाते हैं एसोसिएशन ऐसे सभी मामलों मे कांउंसलिंग देने के साथ-साथ आर्थिक मदद भी करता है. संगठन हफ्ते में 3 दिन मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को अपनी सेवाएं आम लोगों को देते हैं. कई बार जरूरत पड़ने पर खुद के खर्चे पर दूर-दराज शहरों में समस्याओं के निदान के लिए निकल पड़ते हैं.
रेलवे की जर्जर हो चुकी इमारत के बीच खुली पड़ी बिल्डिंग में भी जनसेवा के जुनून को बरकरार रखे हुए हैं, तजुर्बे के खजाने को बांटने का ये इरादा दिली तसल्ली देता है. उम्र दराज लोगों का यह संगठन यह साबित करता है कि कुछ कर गुजरने के लिए उम्र नहीं हौसले की जरूरत होती है. यह हम सब के लिए एक मिसाल है आज जब लोग मदद के नाम पर मुह मोड़ लेते हैं ऐसे में समाज को भी इससे कुछ सीख लेने के जरूरत है.