ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सोमवार को ग्वालियर-संभाग के नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े को लेकर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को जमकर लताड़ लगाई है, साथ ही ग्वालियर-चंबल में मौजूद 35 नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई को जांच करने के आदेश भी दिए(MP nursing colleges scam). सीबीआई को इन नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के बाद अपनी स्टेट्स रिपोर्ट 16 जनवरी को हाईकोर्ट की डबल बेंच में पेश करनी होगी.
अदालत जवाब से नहीं हुई सहमत: एडवोकेट बोहरे ने बताया कि, हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार को डांट लगाई और उनके जवाब पर असंतोष जताते हुए ग्वालियर चंबल अंचल के 35 नर्सिंग कॉलेज की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए. ये मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सीबीआई को 28 सितंबर 2022 को सौंपी थी. जिसके बाद सीबीआई को 3 महीने का समय दिया गया था. इसके बाद सोमवार 9 जनवरी को जब इस पर सुनवाई हुई तो हाईकोर्ट उनके जवाब से असंतुष्ट नजर आई(Gwalior nursing college fraud case). अब ये जांच रिपोर्ट सीबीआई को 16 जनवरी को अदालत के सामने पेश करना होगी.
ना बिल्डिंग है, ना ही हॉस्पिटल: गौरतलब है कि, ग्वालियर चंबल अंचल में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों का मामला किसी से छुपा नहीं है. चंबल अंचल में 2 दर्जन से अधिक ऐसे नर्सिंग कॉलेज हैं जो सिर्फ कागजों तक सीमित हैं. नर्सिंग कॉलेजों के पास न तो बिल्डिंग है और न ही हॉस्पिटल. ऐसे नर्सिंग कॉलेज देश के अलग-अलग राज्यों से छात्रों का पैसे के दम पर एडमिशन करते हैं. उसके बाद सिर्फ परीक्षा के समय उन्हें बुलाते हैं. (nursing colleges mp) (MP Nursing Colleges Scam)
MP Nursing Colleges Scam: हाई कोर्ट का बड़ा आदेश, ग्वालियर चंबल अंचल के कॉलेजों का रिकॉर्ड हो जब्त
जनहित याचिका पर चल रही है सुनवाई: अभिभाषक उमेश बोहरे ने बताया कि, भिंड के हरिओम ने 2021 में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने याचिका में तर्क दिया था कि अंचल में नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरुद्ध मान्यता दी गई है. उनके पास न अस्पताल है और न ही बेड की व्यवस्था है. कॉलेज सिर्फ कागजों में ही संचालित हो रहे हैं, ऐसे में इनकी मान्यता निरस्त की जाए. इस पर नर्सिंग काउंसिल की ओर से तर्क दिया गया कि पिछले और वर्तमान सत्र में 271 कॉलेजों को मान्यता दी गई है. मान्यता देने से पहले पूरे नियमों को परखा गया था(nursing college case Gwalior high court order).