ग्वालियर। दीपावली से पहले देश पर ब्लैक ऑउट का खतरा मंडरा रहा है, देश के 135 ताप विद्युत गृह में बिजली का उत्पादन होता हैं, इनमें से ज्यादातर पावर प्लांट ऐसे हैं, जिनमें एक-दो दिन का ही कोयले का स्टाक बचा है, लेकिन सरकार है कि चीख-चीख कर कह रही है कि कोयले का बिल्कुल भी संकट नहीं है, जबकि सरकार यह बताने की स्थिति में भी नहीं है कि किस पॉवर प्लांट में शॉर्टेज के बाद कितना कोयला भेजा गया है. देश में 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले पर ही निर्भर है.
एमपी में कोयले की बिल्कुल कमी नहीं: सरकार
प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दावा किया है कि पॉवर प्लांट में चार दिन से आठ दिन के कोयले का स्टॉक रखकर चल रहे हैं, जबकि ऊर्जा मंत्री प्रद्यु्म्न सिंह कोयले की किल्लत से इनकार करते हैं, तोमर का दावा है कि फिलहाल दो पावर प्लांट बंद हैं, जबकि चार में मेंटेनेंस का काम चल रहा है, रबी के सीजन में जब बिजली की मांग बढ़ेगी, उस वक्त किसानों की मांग के अनुरूप बिजली देने में सफल साबित होगी. इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कोयले के संकट से इनकार कर चुके हैं.
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प्रदेश में वर्तमान में कुल कितनी बिजली की मांग है और वर्तमान में कुल कितना उत्पादन हो रहा है और कहां-कहां से किस दर पर बिजली ली जा रही है , यह सच तो आपको पता ही होना चाहिये और आपको यह सच्चाई चिंतित जनता को बताना भी चाहिये।
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कांग्रेस ने बिजली उत्पादन के लिए क्या किया
भले ही सरकार कह रही है कि कोयले का संकट नहीं है, लेकिन झूठ के पांव भी नहीं होते हैं, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कोयला संकट पर शिवराज सरकार को घेरा है. कांग्रेस ने ऊर्जा मंत्री को सरकार का रट्टू तोता बताते हुए कहा था कि सरकार के अनुरूप ही वह बयान देते हैं, जबकि ऊर्जा मंत्री उलटे कांग्रेस से पूछ लिया कि 15 महीने के कांग्रेस की सरकार ने कितना बिजली का उत्पादन किया, यह सभी को बताना चाहिए.
सिंगरौली प्लांट में कोयले का पर्याप्त भंडार
सिंगरौली जिले में स्थापित एनटीपीसी में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता है, कंपनी प्रबंधन का कहना है कि कोयला पर्याप्त मात्रा में है और आने वाले समय में भी कोयले की कमी नहीं होगी. सिंगरौली एनटीपीसी 4546 मेगावाट बिजली उत्पादन करती है, साथ ही सोलर के माध्यम से 15 मेगावाट व 8 मेगावाट हाइड्रो से बिजली का उत्पादन होता है, कंपनी प्रबंधन का कहना है कि सिंगरौली जिले में कोयले की कमी बिल्कुल भी नहीं है, कोयला हमारे यहां अभी तक पर्याप्त मात्रा में है और हमारी सभी यूनिटें पूर्ण रूप से चल रही हैं. सिंगरौली जिले में कोयले की कई खदानें हैं, यही वजह है कि सिंगरौली जिले में एनटीपीसी, एनसीएल, रिलायंस पावर प्लांट, हिंडालको, अडानी एसआर जैसी कई कंपनियां हैं और इन कंपनियों के कोयला खदान भी सिंगरौली में मौजूद हैं.
सतपुड़ा पावर प्लांट में 7 दिन का स्टाक
सतपुड़ा पावर प्लांट में सिर्फ एक सप्ताह का ही कोयला बचा है, यहां रोजाना 7 हजार मीट्रिक टन के आपसास कोयले की खपत होती है. स्टॉक 61700 मीट्रिक टन के आसपास है. कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए डब्ल्यूसीएल और कोल इंडिया से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारी सतत संपर्क में बने हैं. वहीं सिंगाजी प्लांट में 65,400 मीट्रिक टन कोयले का स्टाक बचा है, अमरकंटक प्लांट में 22,400 मीट्रिक टन और विरसिंहपुर प्लांट में 77,900 मीट्रिक टन कोयले का भंडारण है. जितना स्टाक बचा है, उससे ज्यादा दिन तक ये प्लांट नहीं चल सकते, यदि समय रहते कोयले की आपूर्ति नहीं की गई तो ये इन प्लांट्स के बंद होने का खतरा बढ़ जाएगा.
रोजाना 68000 मीट्रिक टन कोयले की खपत
मप्र के सभी सरकारी बिजली घरों की 16 इकाइयां पूरी क्षमता से चलती हैं तो रोजाना 68000 मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आवश्यकता होती है, मौजूदा स्थिति में 7 इकाइयां बंद हैं. 9 इकाइयों में लगभग 43000 मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है. पिछले शनिवार को 49 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हुई थी, जबकि आपूर्ति 43000 मीट्रिक टन ही हुई थी. वह भी तब जब सिंगाजी पॉवर प्लांट को एकसाथ 7 रैक कोयला मिला. फिलहाल मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 2 लाख 27 हजार 400 मीट्रिक टन कोयल स्टॉक है.
प्रदेश की 16 में से 7 इकाइयां बंद
मप्र में चार सरकारी बिजली घर हैं, जिनकी 16 विद्युत इकाइयां हैं, जिनकी कुल क्षमता 5400 मेगावाट है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से 16 में से 7 इकाइयां बंद हैं, जिनमें सतपुड़ा की 6, 7, 8 और 9 नंबर, बिरसिंहपुर की 1 और 4 नंबर और सिंगाजी पावर प्लांट की 4 नंबर इकाई शामिल हैं, जबकि सतपुड़ा की 2, अमरकंटक की 1 और सिंगाजी और बिरसिंहपुर की 3-3 इकाइयों से 2400 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है. यानी की मप्र के सरकारी बिजली घरों से आधे से भी कम उत्पादन हो रहा है.