ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबल अंचल की डबरा सीट का चुनाव भी काफी दिलचस्प है. यहां चुनाव दो प्रत्याशियों के साथ रिश्तेदारों के बीच हो रहा है. जी हां यहां बीजेपी और कांग्रेस से समधी और समधन के बीच मुकाबला है. बीजेपी ने सिंधिया समर्थक इमरती देवी को टिकट दिया था. तो वहीं कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सुरेश राजे पर भरोसा जताया. इस दिलचस्प मुकाबले में जनता समधी और समधन में से किसे जीत दिलाती है.
ग्वालियर की हाईप्रोफाइल सीट: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की सबसे हाईप्रोफाइल और खास सीटों में डबरा विधानसभा शामिल है. इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2,35,713 हैं. जिले की यह विधानसभा सीट काफी हॉट सीट मानी जाती है और हमेशा सुर्खियों में रहती है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस विधानसभा सीट से कट्टर सिंधिया समर्थक और पूर्व मंत्री इमरती देवी का वर्चस्व रहता है, लेकिन साल 2020 में हुए उपचुनाव में इमरती देवी ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और उन्हें अपने समधी से ही कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सुरेश राजे से करारी हार का सामना करना पड़ा. अब फिर आगामी विधानसभा का चुनाव नजदीक है. ऐसे में पूर्व मंत्री इमरती देवी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं तो वहीं उनके समधी कांग्रेस विधायक सुरेश राजे भी मैदान हैं.
कभी बीजेपी का अभेद किला रही डबरा सीट: यह विधानसभा सीट कभी बीजेपी का अभेद किले के रूप में जानी जाती थी. इस विधानसभा सीट से मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा पहली बार विधायक बने. 1990 में नरोत्तम मिश्रा पहली बार यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे और उसके बाद साल 1998 और 2003 का चुनाव भी उन्होंने जीता था, लेकिन साल 2018 में डबरा विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई और उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा हो गया. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यह सीट छोड़कर अपनी विधानसभा दतिया को बना लिया. इस सीट पर कांग्रेस की सबसे कद्दावर नेता इमरती देवी मैदान में आई और 2008 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंची. इसके बाद इमरती देवी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को परास्त कर फिर से दूसरी बार विधायक बनी और उसके बाद कमलनाथ सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री का पद मिला. इस चुनाव में कांग्रेस को 67 हजार 764 वोट मिले तो वहीं बीजेपी को 34486 वोट मिले.
डबरा विधानसभा में पिछले तीन विधानसभा चुनावों के नतीजे: 2008 विधानसभा चुनाव में बीजेपी से चुनाव लड़े नरोत्तम मिश्रा को कुल 32653 वोट मिले तो वही कांग्रेस की उम्मीदवार इमरती देवी को 29134 वोट मिले थे. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी इमरती देवी को 67764 वोट मिले थे तो वही बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े सुरेश राजीव को 34486 वोट मिले थे. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी इमरती देवी को 90598 वोट मिले तो वहीं भाजपा के उम्मीदवार कप्तान सिंह खेसारी को 33152 वोट मिले. 2020 के उपचुनाव विधानसभा में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी इमरती देवी को 68056 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस से सुरेश राजे को 75689 वोट मिले.
उपचुनाव में हारी इमरती देवी: 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ की सरकार बनी. जिसमें कमलनाथ ने इमरती देवी को मंत्री बनाया, लेकिन कमलनाथ सरकार के 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से नाराज हो गए और वह अपने समर्थक कांग्रेस के विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. इस समय उनकी कट्टर समर्थक इमरती देवी भी बीजेपी में साथ चली गई. उसके बाद साल 2020 में उपचुनाव हुआ. जिसमें पूर्व मंत्री इमरती देवी को करारी हार का सामना करना पड़ा और सुरेश राय विधायक बनकर मैदान में आ गए. इस उपचुनाव में कांग्रेस को कुल 75889 वोट मिले तो वहीं पूर्व मंत्री इमरती देवी को 68056 वोट मिले थे.
इस विधानसभा में सबसे अधिक दलित वोटर्स हैं, जिनकी संख्या 35 हजार है.
- ब्राह्मण-17 हजार
- आदिवासी-15 हजार
- कुशवाह-15 हजार
- रावत-14 हजार
- वैश्य- 12 हजार
- साहू-10 हजार
- बघेल-08 हजार
- गुर्जर-08 हजार
- सिंधी-06 हजार
- अन्य
सिंधिया और नरोत्तम का वर्चस्व: डबरा विधानसभा सीट को जीतने के लिए इस बार बीजेपी और कांग्रेस ऐड़ी और चोटी का जोर लगाएगी. माना जाता है कि यह सीट कांग्रेस की है और पिछले तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस यहां पर अपना विधायक बनाती है और इस बार भी यह बताया जा रहा है कि यह सीट कांग्रेस के लिए बहुत आसान होगी. वहीं बीजेपी को इस सीट को हासिल करने के लिए काफी चुनौती का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि यहां पर उपचुनाव में हार का सामना करने वाली पूर्व मंत्री इमरती देवी बीजेपी के टिकट पर मैदान में आ सकती हैं, लेकिन इस विधानसभा में पार्टी में गुटबाजी होने के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस सीट पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा काफी वर्चस्व रखते हैं. यही कारण है कि बीजेपी में यहां नरोत्तम मिश्रा गुट और सिंधिया गुट काम करता है. सिंधिया गुट की तरफ से पूर्व मंत्री इमरती देवी यहां पर अपना वर्चस्व रखती हैं तो वहीं नरोत्तम मिश्रा इस विधानसभा पर अपना शुरू से ही दखल रखते आए हैं. इसलिए यह विधानसभा गुटबाजी के कारण अबकी बार फिर से बीजेपी के लिए काफी कठिन हो सकती है.
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डबरा विधासभा क्षेत्र के जरूरी मुद्दे: इस विधानसभा में मुद्दे को लेकर अगर बात करें तो तो यह डबरा एक ऐसी विधानसभा है. जहां मूलभूत समस्याएं अभी भी कम नहीं हुई है. इस विधानसभा में माफियाओं का बोलबाला है. यही कारण है जो अवैध रेत यहां पर धड़ल्ले से चलता है. डबरा विधानसभा में प्रदेश के सबसे ज्यादा खनिज की खदानें पाई जाती है, जिन पर अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी है, तो वहीं सिंध नदी में भी पनडुब्बी लगाकर रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है. जिस पर अब तक कोई रोक नहीं लगाई जा सकी है. वहीं शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार का मुद्दा आने वाले चुनाव में गूजना तय है. इसके साथ ही शहर में मूलभूत समस्याएं काफी कमी है. यहां पर बिजली-सड़क-पानी की आम समस्या है और लोग इस से जूझते रहते हैं. इसके साथ ही डबरा विधानसभा में दाल मिल, चावल मिल और शुगर मिल एक अलग पहचान रखते थे, लेकिन यह तीनों मिल बंद होने के कारण यहां पूरी तरह रोजगार छिन गया है. वही खास बात यह है कि जब-जब विधानसभा चुनाव आते हैं. तब पार्टी के राजनेता इन्हें चालू कराने का आश्वासन देते हैं, लेकिन अभी तक चालू नहीं हो पाए हैं.