ग्वालियर। आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले यादव समाज और ओबीसी महासभा ने एक नई मांग उठाई है. यह मांग भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन किए जाने को लेकर है. हालांकि यह मांग सीधे-सीधे कोई राजनीतिक मांग तो नहीं हैं, लेकिन इस मांग में पूरी तरह राजनीति भी छुपी हुई है.विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले यादव समाज ने भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर एक नया शिगूफा जरूर छोड़ दिया है. मांगे पूरी नहीं होने पर आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में सबक सिखाने की चेतावनी दी है.
राज्यपाल को सौंपेंगे ज्ञापन: ओबीसी महासभा, पिछड़ा वर्ग और प्रदेश की राजनीति में अपना अहम स्थान रखने वाले ग्वालियर चंबल संभाग से सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन किए जाने की मांग उठी है. इस मांग को लेकर 20 फरवरी से एक वाहन रैली जत्था निकालने जा रहे हैं. जो भिंड दतिया और अन्य जिलों में होते हुए 26 फरवरी को भोपाल पहुंचेगी. जहां राज्यपाल महोदय को मांग का एक ज्ञापन सौंपा जाएगा.
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अहीर रेजिमेंट का पद और नाम मिलना चाहिए: इससे पहले ग्वालियर कलेक्ट्रेट से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक अपनी मांगे मनवाने के लिए प्रदर्शन कर चुके हैं. अहीर रेजिमेंट के गठन के पीछे यादव समाज संगठन के लोगों का तर्क है कि जब अन्य समाजों की भारतीय सेना में रेजिमेंट है. तो यादव पिछड़ा वर्ग या कुशवाह, जाटव समाज के नाम पर रेजिमट क्यों नहीं हो सकती है. समाज के लोगों का तो यहां तक कहना है कि इस मांग को अंग्रेजी हुकूमत के समय से उठाया जा रहा है. यादव समाज ने चाहे अंग्रेज हो या मुगल शासक सभी से मुकाबला कर समाज के लोगों ने देश की रक्षा के लिए बलिदान दिया है. अभी भी दे रहे हैं. जब उनके समाज का सैनिक शहीद होता है तो उसके कंधे पर उन्हें अहीर रेजिमेंट का पद नाम और चिन्ह आखिर क्यों नहीं हासिल हो सकता है.
ओबीसी महासभा ने किया समर्थन: अहीर रेजिमेंट की मांग और गठन का समर्थन ओबीसी महासभा ने भी किया है, साथ ही चेतावनी दी है कि मांगे पूरी नहीं होने पर आगामी चुनावों में सबक सिखाएंगे. जिससे आने वाले समय में इस मांग के समर्थन में सरकार से आर पार की लड़ाई होने के संकेत मिल रहे हैं. ओबीसी महासभा का समर्थन मिलने से इस मांग को और बल मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है.
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अलग-अलग समाज की रेजिमेंट को करें खत्म: बहरहाल मिशन 2023 विधानसभा चुनाव से पहले यादव समाज और ओबीसी महासभा ने एक अपनी तरह की नई मांग उठाकर पूरे प्रदेश और देश में कम से कम ग्वालियर चंबल संभाग की राजनीति में एक नया शिगूफा छोड़ दिया है. जिसको पूरा करने की जिम्मेदारी केंद्र की मोदी सरकार की है, क्योंकि मांग करने वाले समाज के लोग कह रहे हैं, अगर अहीर रेजिमेंट का गठन नहीं हो सकता. तो सेना में पूर्व से गठित अलग-अलग समाजों की रेजीमेंट को भी खत्म कर दी जाए या उनकी मांग को स्वीकार कर लिया जाए.