ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय में ग्वालियर की डॉक्टर युवती की फर्जी तरीके से एमबीबीएस (MBBS) की डुप्लीकेट डिग्री निकालने के मामले में एक के बाद एक नये खुलासे सामने आ रहे हैं. जीवाजी विश्वविद्यालय ने पुलिस को 2 डिग्री और 10 मार्कशीट का रिकॉर्ड सौंपा है. पुलिस की जांच में पाया गया है कि ग्वालियर की रहने वाली डॉ प्रतीक्षा शर्मा के नाम पर मालेगांव की रहने वाली आरोपी प्रतीक्षा दायमा अलग-अलग साल में तीन डुप्लीकेट डिग्री जारी करवाकर ले गई थी. आरोपी प्रतीक्षा दायमा ने साल 2015, 2016 और 2017 में तीन डुप्लीकेट डिग्री निकली थी. अब पूरा मामला जीवाजी विश्वविद्यालय के संदेह के घेरे में है कि आखिर कैसे वेरिफिकेशन कर यह मार्कशीट दे दी गई.
कई लोगों ने दिया डुप्लीकेट डिग्री बनाने का आवेदन: इस पूरे मामले की जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी ऋषिकेश मीणा ने बताया है कि जीवाजी विश्वविद्यालय में पिछले 5 साल में जारी डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट का जो रिकॉर्ड उन्हें सौंपा है. उसमें यह बात सामने आई है कि सभी डिग्री और मार्कशीट 2020-21 में जारी हुई है. इसके साथ ही उन्होंने बताया है कि जीवाजी विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी है. उन्होंने बताया कि अभी तक 13 लोगों ने डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए आवेदन दिया था और लगभग 12 लोगों ने डिग्री के लिए आवेदन दिया था.
फर्जी लिविंग सर्टिफिकेट निकालने में फंसी युवती: वहीं फर्जी तरीके से एमबीबीएस की डुप्लीकेट डिग्री हासिल करने वाली युवती ने तीन बार आवेदन दिया था. एक बार उसने MBBS की मार्कशीट के लिए आवेदन लगाया और दूसरी बार एमबीबीएस की डिग्री के लिए आवेदन लगाया, तो वहीं तीसरी बार लिविंग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन लगाया था. वह मार्कशीट और डिग्री पहले ही ले जा चुकी है. जिसको पुलिस ने जब्त कर लिया है. उसने आवेदन दिया था, वहां पर वह पकड़ी गई है. एडिशनल एसपी ऋषिकेश मीणा ने बताया है कि अभी तक उनके पास जितनी डुप्लीकेट मार्कशीट निकालने की जानकारी आई है. उनको वेरीफाई करने के लिए वह एक-एक कर डॉक्टर को फोन लगा रहे हैं कि आपने डुप्लीकेट मार्कशीट निकालने के लिए आवेदन दिया था या नहीं.
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बिना वेरिफिकेशन कैसे दी डिग्री: गौरतलब है कि ग्वालियर की रहने वाली डॉक्टर प्रतीक्षा शर्मा के नाम पर फर्जी तरीके से एमबीबीएस की डुप्लीकेट कॉपी निकालने वाली आरोपी प्रतीक्षा दायमा और उसका प्रेमी मोहम्मद शफीक इस समय पुलिस रिमांड पर है. एक के बाद एक इस मामले में खुलासे सामने आ रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि इस मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय की संदिग्ध भूमिका नजर आ रही है, क्योंकि किसी की डिग्री को किसी अनजान व्यक्ति को देना यह अपने आप में चौंकाता है कि आखिर जीवाजी विश्वविद्यालय में एमबीबीएस की डुप्लीकेट कॉपी देने के समय वेरिफिकेशन क्यों नहीं किया.