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MP Mission 2023 सिंधिया समर्थकों को टिकट का भय, कैसे मिलेगा, कांग्रेस बोली-जनता करेगी गद्दारों का हिसाब - कांग्रेस ने सिंधिया समर्थकों पर साधा निशाना

मध्यप्रदेश में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं (mp assembly election 2023). चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए सिंधिया समर्थकों को अब चिंता और भय सताने लगा है. कई ऐसे नेता हैं जिन्हें उपचुनाव में हार मिली थी, ऐसे में उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की चिंता होने लगी है (scindia supporters fear for ticket). कहा जा रहा है कि इन सीटों पर बीजेपी के कई नेताओं की दावेदारी भी अहम मानी जा रही है. कहा जा रहा है कि कही ना कही उन्हें कांग्रेस छोड़ने का मलाल तो नहीं.

scindia supporters fear for ticket
सिंधिया समर्थकों में भय और चिंता
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Published : Nov 21, 2022, 6:07 PM IST

Updated : Nov 21, 2022, 7:45 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आगामी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं (mp mission 2023). इस चुनाव को लेकर लगातार बीजेपी और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी विधानसभा में तैयारियां करने लगे है, लेकिन जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की सरकार बनाने वाले सिंधिया समर्थक बड़े नेताओं का भय और चिंता बढ़ती जा रही है (scindia supporters fear for ticket). सबसे ज्यादा परेशान समर्थक पूर्व विधायक हैं, जो उपचुनाव में हार का सामना कर चुके हैं. उपचुनाव में हार के बाद भले ही सिंधिया ने उन्हें निगम मंडलों में पुनर्वास करवा दिया हो, लेकिन राजनीति के हाशिए पर पड़े हैं. क्योंकि बीजेपी में उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिल पा रही है.यही कारण है कि वह मन ही मन अंदर परेशान हैं. कहीं ना कहीं कांग्रेस छोड़ने का मलाल भी है.

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी गए नेताओं का डर: ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस छोड़कर आए इन सिंधिया समर्थक नेताओं को पहले तो उन्हें 2023 में फिर से टिकट मिलने को लेकर डर सता रहा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए विशेष रणनीति बनाई है. इसके अलावा इन विधायकों की सीट पर निष्ठावान भाजपाइयों की दावेदारी भी सिंधिया समर्थकों की परेशानी खड़ी कर रहा है. यही कारण है कि कांग्रेस छोड़कर आये सभी सिंधिया समर्थक बड़े नेता भाजपा में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. कई सिंधिया समर्थक ऐसे नेता हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से लगातार यह कह चुके हैं कि उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर बड़ी गलती की है. यही कारण है कि वह न तो इधर के रहे ना उधर के. इस बात का दावा कांग्रेस कर चुकी है. डॉक्टर गोविंद सिंह का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं, उनमें से 4 बड़े नेता कांग्रेस में आने के लिए तैयार हैं.

Baba Politics in MP: इमरती देवी ने पंडोखर सरकार से पूछा चुनाव हराने वाले का नाम, बाबा का जवाब सुनकर सब हैरान

टिकट को लेकर समर्थकों में चिंता: ग्वालियर चंबल अंचल में कई सिंधिया समर्थक ऐसे नेता हैं, जो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए परेशान हैं. बताया जा रहा है कि उनकी दावेदारी पर भी बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. सूत्रों की माने इस समय ग्वालियर चंबल-अंचल में सबसे ज्यादा परेशान वो नेता है जिन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा बीजेपी में उन्हें तवज्जो नहीं मिल पा रही है. इन नेताओ में पूर्व मंत्री इमरती देवी, पूर्व राज्य मंत्री गिर्राज दंडोतिया, पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना, एदल सिंह कंसाना और पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल हैं. जो इस समय सबसे ज्यादा परेशान हैं और यह अपनी आगामी विधानसभा के लिए टिकटों को लेकर काफी चिंतित भी है. क्योंकि इनकी विधानसभा में पहले से ही बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और टिकटों को लेकर काफी युद्ध स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी.

सिंधिया समर्थकों में टिकट का भय

समर्थकों के बयान पर सिंधिया की चुप्पी, क्या 'महाराज' के इशारे पर तैयार हो रही है कोई रणनीति

राष्ट्रीय स्तर पर तय होगा टिकट का मामला: जो कांग्रेस छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए हैं, उनके लिए सिंधिया पूरा जोर लगाएंगे और हारे हुए सिंधिया विधायकों के टिकट का मामला राष्ट्रीय स्तर पर तय होगा (election ticket decided at national level). भाजपा में प्रदेश कर्णधार ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और पुराने भाजपाइयों के बीच लगातार संघर्ष को सुलझाने में लगे हुए हैं. भाजपा नेताओं की दलबदल और विधानसभा से त्यागपत्र देने के बाद उपचुनाव में सभी भाजपा नेताओं को आश्वस्त किया था कि अगली बार उनका ध्यान रखा जाएगा, लेकिन पार्टी इन सभी नेताओं को किस तरह से एडजस्ट करेगी, ये समस्या बड़ी साबित होगी.

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस का वार, जनता करेगी हिसाब: वहीं इसको लेकर कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कांग्रेसियों ने पार्टी को छोड़कर बीजेपी में मिलकर गद्दारी से सत्ता हासिल की है. उनका हिसाब उनकी पार्टी बीजेपी 2023 के चुनाव में करने वाली है (congress targeted scindia supporters leader), क्योंकि जिस तरीके से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में सिंधिया समर्थक नेता शामिल हुए हैं. वह अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं और ना ही पार्टी में उनकी कोई पूछ परख है. यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव में न तो उन्हें टिकट मिलने वाला है और ना ही पार्टी की तरफ से कोई तवज्जो दी जाएगी. वहीं इसको लेकर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि पार्टी परफॉर्मेंस के आधार पर टिकट तय करेगी और जो जनता के बीच में पकड़ और कर्तव्यनिष्ठ कार्य करता है उनको ही टिकट दिया जाएगा.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आगामी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं (mp mission 2023). इस चुनाव को लेकर लगातार बीजेपी और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी विधानसभा में तैयारियां करने लगे है, लेकिन जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की सरकार बनाने वाले सिंधिया समर्थक बड़े नेताओं का भय और चिंता बढ़ती जा रही है (scindia supporters fear for ticket). सबसे ज्यादा परेशान समर्थक पूर्व विधायक हैं, जो उपचुनाव में हार का सामना कर चुके हैं. उपचुनाव में हार के बाद भले ही सिंधिया ने उन्हें निगम मंडलों में पुनर्वास करवा दिया हो, लेकिन राजनीति के हाशिए पर पड़े हैं. क्योंकि बीजेपी में उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिल पा रही है.यही कारण है कि वह मन ही मन अंदर परेशान हैं. कहीं ना कहीं कांग्रेस छोड़ने का मलाल भी है.

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी गए नेताओं का डर: ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस छोड़कर आए इन सिंधिया समर्थक नेताओं को पहले तो उन्हें 2023 में फिर से टिकट मिलने को लेकर डर सता रहा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए विशेष रणनीति बनाई है. इसके अलावा इन विधायकों की सीट पर निष्ठावान भाजपाइयों की दावेदारी भी सिंधिया समर्थकों की परेशानी खड़ी कर रहा है. यही कारण है कि कांग्रेस छोड़कर आये सभी सिंधिया समर्थक बड़े नेता भाजपा में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. कई सिंधिया समर्थक ऐसे नेता हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से लगातार यह कह चुके हैं कि उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर बड़ी गलती की है. यही कारण है कि वह न तो इधर के रहे ना उधर के. इस बात का दावा कांग्रेस कर चुकी है. डॉक्टर गोविंद सिंह का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं, उनमें से 4 बड़े नेता कांग्रेस में आने के लिए तैयार हैं.

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टिकट को लेकर समर्थकों में चिंता: ग्वालियर चंबल अंचल में कई सिंधिया समर्थक ऐसे नेता हैं, जो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए परेशान हैं. बताया जा रहा है कि उनकी दावेदारी पर भी बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. सूत्रों की माने इस समय ग्वालियर चंबल-अंचल में सबसे ज्यादा परेशान वो नेता है जिन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा बीजेपी में उन्हें तवज्जो नहीं मिल पा रही है. इन नेताओ में पूर्व मंत्री इमरती देवी, पूर्व राज्य मंत्री गिर्राज दंडोतिया, पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना, एदल सिंह कंसाना और पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल हैं. जो इस समय सबसे ज्यादा परेशान हैं और यह अपनी आगामी विधानसभा के लिए टिकटों को लेकर काफी चिंतित भी है. क्योंकि इनकी विधानसभा में पहले से ही बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और टिकटों को लेकर काफी युद्ध स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी.

सिंधिया समर्थकों में टिकट का भय

समर्थकों के बयान पर सिंधिया की चुप्पी, क्या 'महाराज' के इशारे पर तैयार हो रही है कोई रणनीति

राष्ट्रीय स्तर पर तय होगा टिकट का मामला: जो कांग्रेस छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए हैं, उनके लिए सिंधिया पूरा जोर लगाएंगे और हारे हुए सिंधिया विधायकों के टिकट का मामला राष्ट्रीय स्तर पर तय होगा (election ticket decided at national level). भाजपा में प्रदेश कर्णधार ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और पुराने भाजपाइयों के बीच लगातार संघर्ष को सुलझाने में लगे हुए हैं. भाजपा नेताओं की दलबदल और विधानसभा से त्यागपत्र देने के बाद उपचुनाव में सभी भाजपा नेताओं को आश्वस्त किया था कि अगली बार उनका ध्यान रखा जाएगा, लेकिन पार्टी इन सभी नेताओं को किस तरह से एडजस्ट करेगी, ये समस्या बड़ी साबित होगी.

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस का वार, जनता करेगी हिसाब: वहीं इसको लेकर कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कांग्रेसियों ने पार्टी को छोड़कर बीजेपी में मिलकर गद्दारी से सत्ता हासिल की है. उनका हिसाब उनकी पार्टी बीजेपी 2023 के चुनाव में करने वाली है (congress targeted scindia supporters leader), क्योंकि जिस तरीके से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में सिंधिया समर्थक नेता शामिल हुए हैं. वह अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं और ना ही पार्टी में उनकी कोई पूछ परख है. यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव में न तो उन्हें टिकट मिलने वाला है और ना ही पार्टी की तरफ से कोई तवज्जो दी जाएगी. वहीं इसको लेकर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि पार्टी परफॉर्मेंस के आधार पर टिकट तय करेगी और जो जनता के बीच में पकड़ और कर्तव्यनिष्ठ कार्य करता है उनको ही टिकट दिया जाएगा.

Last Updated : Nov 21, 2022, 7:45 PM IST
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