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एमपी अजब है! हथियार खरीदने के मामले में लालू यादव आरोपी, विशेष कोर्ट में हो रही सुनवाई, जिम्मेदारों ने नहीं जांची वल्दियत

हथियार बेचे जाने वाले में लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा भी चल रहा है. जबकि मामले का दूर दूर तक आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से कोई लेना देना ही नहीं है.

Lalu prasad Yadav accused
फरार घोषित हैं लालू यादव
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Published : Jan 5, 2023, 12:36 PM IST

ग्वालियर। लालू प्रसाद यादव अवैध हथियार खरीदने के मामले में आरोपी हैं. उनका नाम एमपी पुलिस की चार्जशीट में भी शामिल है. सुनकर आप चौंके तो जरूर होंगे, लेकिन सच मानिए यह मामला बिहार के लालू प्रसाद यादव से ही जुड़ा हुआ है. ग्वालियर के एमपी-एमएलए कोर्ट में इसकी सुनवाई भी चल रही है. इस मामले में 1997 में शहर के इंदरगंज थाने में भी शिकायत दर्ज हुई थी. जिसमें ग्वालियर की तीन आर्म्स डीलर फर्म से फर्जीवाडा कर हथियार और कारतूस खरीदने और 2 साल बिहार में बेचे जाने के मामले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था.

यह है मामला: अब आप अगर यह समझ रहे हैं कि ये लालू प्रसाद यादव बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी के अध्यक्ष तो ऐसा नहीं है. दरअसल यह सारी गफलत पुलिस चार्ज शीट में दर्ज नामों के मिलने जुलने या एक जैसा लगने के मामले को लेकर हुई है. पुलिस विवेचना के दौरान हुए इस ब्लंडर का ही नतीजा है कि लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है. खास बात यह है कि जिम्मेदार लोगों ने इस बात की तस्दीक ही नहीं की कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को अवैध हथियार खरीदने की जरूरत क्यों आन पड़ी. वह देश के लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं. वे केंद्रीय रेल मंत्री और बिहार के सीएम भी रह चुके हैं. खास बात यह है कि यह मामला सांसद मंत्री और विधायकों की सुनवाई के लिए गठित एमपी एमएलए कोर्ट ग्वालियर में पहुंच चुका है और इसकी सुनवाई भी हो रही है. जिससे यह लगता है कि मामला बिहार के पूर्व मंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़ा हुआ है, जबकि हकीकत यह है कि इस मामले में आरोपी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दोनों का नाम एक ही है, लेकिन पिता का नाम अलग अलग है. जिस लालू प्रसाद यादव पर हथियार की अवैध तरीके से खरीदे करने और बेचे जाने का मामला है उनकी वल्दियत कुंद्रिका सिंह यादव है, जबकि पूर्व सीएम की वल्दियत कुंदन राय है. खास बात यह है कि पुलिस भी यही मानकर इस मामले को आगे बढ़ा रही थी कि यह बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव से जुड़ा हुआ है. इस मामले की सुनवाई भी एमपी-एमएलए कोर्ट में की जा रही है.

एमपी...अजब है बदमाशों ने कर दी पुलिस की पिटाई, जानें कहां का है मामला

मामले में 2 दर्जन आरोपी: हथियार खरीदे जाने का यह फर्जीवाडा 1995 से लेकर 1997 के बीच का है.इस मामले में दो दर्जन आरोपी बनाए गए थे. इनमें से छह के खिलाफ सुनवाई न्यायालय में चल रही है. दो आरोपियों की मौत हो चुकी है,जबकि 14 लोग अभी भी फरार हैं. लालू प्रसाद यादव को भी 1998 में कोर्ट ने फरार घोषित किया है. जिन लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया था. उनमें सुनील शुक्ला, कमलकांत, विष्णु, रविकांत, अनिल कुमार ,सुनील कुमार, बृजमोहन, सुरेंद्र सिंह ,लालू प्रसाद यादव, शशिकांत, मुरारी लाल शर्मा, जेपी यादव, मूसा मियां, मोहन सोनी, उपेंद्र कुमार, रंजीत कुमार कन्हैयालाल, कृष्णानंद श्रवण शर्मा जनार्दन शर्मा बादल और सुजीत नाम के व्यक्ति शामिल हैं. इनमें बृजमोहन और सुरेंद्र की मौत हो चुकी है.

36 राइफल खरीदी गईं थी: जो हथियार खरीदे गए थे उनमें 315 बोर की 16 राइफल 12 बोर की डबल बैरल की 20 राइफल एनपी बोर राइफल. 20,000 से ज्यादा कारतूस 12 बोर बंदूक के साढे़ सात हजार कारतूस 32 बोर रिवाल्वर के 15 सौ कारतूस 25 बोर पिस्टल के ढाई सौ कारतूस बताए गए थे. पुलिस ने 1998 में इस मामले में लालू प्रसाद यादव के मामले में चालान पेश किया था. इसमें उनके पिता का नाम कुंद्रिका सिंह लिखा है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री के पिता का नाम कुंदन राय है. खास बात यह है कि न्यायालय भी पूर्व मुख्यमंत्री को आरोपी मानकर एमपी एमएलए कोर्ट में यहां की सुनवाई कर रहा है. अब यह पूरा मामले सामने आने के बाद प्रदेश की पुलिस की किरकिरी तो हो ही रही है साथ ही पुलिस व्यवस्था, न्यायिक प्रक्रिया और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं, क्योंकि जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है वह कई संवैधानिक पदों पर रह चुका है. ऐसे में कागजातों में हुए इस ब्लंडर से किसी व्यक्ति विशेष की चरित्र हत्या होगी, ऐसा सोचने और रोकने के लिए भी किसी ने भी अपने विवेक का इस्तेमाल करने की कोशिश नहीं की.

ग्वालियर। लालू प्रसाद यादव अवैध हथियार खरीदने के मामले में आरोपी हैं. उनका नाम एमपी पुलिस की चार्जशीट में भी शामिल है. सुनकर आप चौंके तो जरूर होंगे, लेकिन सच मानिए यह मामला बिहार के लालू प्रसाद यादव से ही जुड़ा हुआ है. ग्वालियर के एमपी-एमएलए कोर्ट में इसकी सुनवाई भी चल रही है. इस मामले में 1997 में शहर के इंदरगंज थाने में भी शिकायत दर्ज हुई थी. जिसमें ग्वालियर की तीन आर्म्स डीलर फर्म से फर्जीवाडा कर हथियार और कारतूस खरीदने और 2 साल बिहार में बेचे जाने के मामले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था.

यह है मामला: अब आप अगर यह समझ रहे हैं कि ये लालू प्रसाद यादव बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी के अध्यक्ष तो ऐसा नहीं है. दरअसल यह सारी गफलत पुलिस चार्ज शीट में दर्ज नामों के मिलने जुलने या एक जैसा लगने के मामले को लेकर हुई है. पुलिस विवेचना के दौरान हुए इस ब्लंडर का ही नतीजा है कि लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है. खास बात यह है कि जिम्मेदार लोगों ने इस बात की तस्दीक ही नहीं की कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को अवैध हथियार खरीदने की जरूरत क्यों आन पड़ी. वह देश के लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं. वे केंद्रीय रेल मंत्री और बिहार के सीएम भी रह चुके हैं. खास बात यह है कि यह मामला सांसद मंत्री और विधायकों की सुनवाई के लिए गठित एमपी एमएलए कोर्ट ग्वालियर में पहुंच चुका है और इसकी सुनवाई भी हो रही है. जिससे यह लगता है कि मामला बिहार के पूर्व मंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़ा हुआ है, जबकि हकीकत यह है कि इस मामले में आरोपी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दोनों का नाम एक ही है, लेकिन पिता का नाम अलग अलग है. जिस लालू प्रसाद यादव पर हथियार की अवैध तरीके से खरीदे करने और बेचे जाने का मामला है उनकी वल्दियत कुंद्रिका सिंह यादव है, जबकि पूर्व सीएम की वल्दियत कुंदन राय है. खास बात यह है कि पुलिस भी यही मानकर इस मामले को आगे बढ़ा रही थी कि यह बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव से जुड़ा हुआ है. इस मामले की सुनवाई भी एमपी-एमएलए कोर्ट में की जा रही है.

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मामले में 2 दर्जन आरोपी: हथियार खरीदे जाने का यह फर्जीवाडा 1995 से लेकर 1997 के बीच का है.इस मामले में दो दर्जन आरोपी बनाए गए थे. इनमें से छह के खिलाफ सुनवाई न्यायालय में चल रही है. दो आरोपियों की मौत हो चुकी है,जबकि 14 लोग अभी भी फरार हैं. लालू प्रसाद यादव को भी 1998 में कोर्ट ने फरार घोषित किया है. जिन लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया था. उनमें सुनील शुक्ला, कमलकांत, विष्णु, रविकांत, अनिल कुमार ,सुनील कुमार, बृजमोहन, सुरेंद्र सिंह ,लालू प्रसाद यादव, शशिकांत, मुरारी लाल शर्मा, जेपी यादव, मूसा मियां, मोहन सोनी, उपेंद्र कुमार, रंजीत कुमार कन्हैयालाल, कृष्णानंद श्रवण शर्मा जनार्दन शर्मा बादल और सुजीत नाम के व्यक्ति शामिल हैं. इनमें बृजमोहन और सुरेंद्र की मौत हो चुकी है.

36 राइफल खरीदी गईं थी: जो हथियार खरीदे गए थे उनमें 315 बोर की 16 राइफल 12 बोर की डबल बैरल की 20 राइफल एनपी बोर राइफल. 20,000 से ज्यादा कारतूस 12 बोर बंदूक के साढे़ सात हजार कारतूस 32 बोर रिवाल्वर के 15 सौ कारतूस 25 बोर पिस्टल के ढाई सौ कारतूस बताए गए थे. पुलिस ने 1998 में इस मामले में लालू प्रसाद यादव के मामले में चालान पेश किया था. इसमें उनके पिता का नाम कुंद्रिका सिंह लिखा है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री के पिता का नाम कुंदन राय है. खास बात यह है कि न्यायालय भी पूर्व मुख्यमंत्री को आरोपी मानकर एमपी एमएलए कोर्ट में यहां की सुनवाई कर रहा है. अब यह पूरा मामले सामने आने के बाद प्रदेश की पुलिस की किरकिरी तो हो ही रही है साथ ही पुलिस व्यवस्था, न्यायिक प्रक्रिया और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं, क्योंकि जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है वह कई संवैधानिक पदों पर रह चुका है. ऐसे में कागजातों में हुए इस ब्लंडर से किसी व्यक्ति विशेष की चरित्र हत्या होगी, ऐसा सोचने और रोकने के लिए भी किसी ने भी अपने विवेक का इस्तेमाल करने की कोशिश नहीं की.

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