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MP हाईकोर्ट ने गर्भवती महिला की हत्या के आरोपी को 4 साल बाद किया बरी

झांसी के एक कारोबारी को गर्भवती महिला की हत्या के आरोप से 4 साल बाद हाईकोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने पुलिस की कहानी को संदिग्ध मानते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया.

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Published : Jun 4, 2023, 9:38 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने हत्या जैसे संगीन जुर्म का आरोप झेल रहे झांसी के कारोबारी राहुल गुप्ता को बड़ी राहत प्रदान की है. उनके खिलाफ अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे प्रकरण को खारिज कर दिया गया है. 2019 में हुई एक महिला की हत्या के मामले में इस कारोबारी को आरोपी बनाया गया था. करीब डेढ़ साल तक यह व्यक्ति जेल में रहा, फिलहाल वह जमानत पर बाहर था. हाई कोर्ट में उसके अधिवक्ता राजमणि बंसल ने पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर और कोर्ट में चल रहे केस को खत्म करने के लिए याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई संदेहास्पद मानते हुए आरोपी रहे राहुल गुप्ता को न सिर्फ हत्या के आरोप से दोषमुक्त कर दिया बल्कि उनके खिलाफ अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे इस पर भी रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.

बहन ने लगाया था आरोप: दरअसल शब्द प्रताप आश्रम के नजदीक रहने वाली एक महिला की दतिया में हत्या कर दी गई थी और उसके शव को जला दिया गया था. बहोडापुर थाने में 26 मई 2019 को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी जिसमें बताया गया था कि 30 वर्षीय महिला अपने घर से गायब है. मृतका की बहन कुसुम देवी ने आरोप लगाया था कि उसे झांसी के राहुल गुप्ता पर अपनी बहन के बहला-फुसलाकर ले जाने का शक है. इस आधार पर पुलिस ने राहुल गुप्ता को आरोपी बनाया था. इस बीच महिला की लाश दतिया के पास मिली. महिला की गुमशुदगी की रिपोर्ट में संदेही के रूप में राहुल गुप्ता का नाम लिखा गया था. इसलिए उसे 13 अगस्त 2019 को झांसी से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. मृतका 5 महीने की गर्भवती थी. मृतका बहन का यह भी कहना था कि राहुल गुप्ता शादीशुदा था लेकिन उसने अपने आप को अविवाहित बताया था और उनकी बहन के साथ बहोड़ापुर इलाके में लिव-इन में रहा था.

सबूतों के आभाव में दोषमुक्त: राहुल गुप्ता के अधिवक्ता राजमणि बंसल का कहना है कि उनका मुवक्किल कभी कभार ही ग्वालियर आया है. वह झांसी में एक प्रतिष्ठित कारोबारी है. पुलिस ने केवल मेमो 27 के आधार पर उसे आरोपी बना दिया था. उसके खिलाफ कोई भी ठोस साक्ष्य नहीं है. हाईकोर्ट ने राहुल गुप्ता के अधिवक्ता की दलीलों को गंभीरता से सुना और साक्ष्य के अभाव में मुलजिम बनाए गए राहुल गुप्ता को हत्या जैसे संगीन मामले में निर्दोष करार देते हुए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर और अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे मामले को खारिज कर दिया.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने हत्या जैसे संगीन जुर्म का आरोप झेल रहे झांसी के कारोबारी राहुल गुप्ता को बड़ी राहत प्रदान की है. उनके खिलाफ अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे प्रकरण को खारिज कर दिया गया है. 2019 में हुई एक महिला की हत्या के मामले में इस कारोबारी को आरोपी बनाया गया था. करीब डेढ़ साल तक यह व्यक्ति जेल में रहा, फिलहाल वह जमानत पर बाहर था. हाई कोर्ट में उसके अधिवक्ता राजमणि बंसल ने पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर और कोर्ट में चल रहे केस को खत्म करने के लिए याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई संदेहास्पद मानते हुए आरोपी रहे राहुल गुप्ता को न सिर्फ हत्या के आरोप से दोषमुक्त कर दिया बल्कि उनके खिलाफ अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे इस पर भी रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.

बहन ने लगाया था आरोप: दरअसल शब्द प्रताप आश्रम के नजदीक रहने वाली एक महिला की दतिया में हत्या कर दी गई थी और उसके शव को जला दिया गया था. बहोडापुर थाने में 26 मई 2019 को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी जिसमें बताया गया था कि 30 वर्षीय महिला अपने घर से गायब है. मृतका की बहन कुसुम देवी ने आरोप लगाया था कि उसे झांसी के राहुल गुप्ता पर अपनी बहन के बहला-फुसलाकर ले जाने का शक है. इस आधार पर पुलिस ने राहुल गुप्ता को आरोपी बनाया था. इस बीच महिला की लाश दतिया के पास मिली. महिला की गुमशुदगी की रिपोर्ट में संदेही के रूप में राहुल गुप्ता का नाम लिखा गया था. इसलिए उसे 13 अगस्त 2019 को झांसी से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. मृतका 5 महीने की गर्भवती थी. मृतका बहन का यह भी कहना था कि राहुल गुप्ता शादीशुदा था लेकिन उसने अपने आप को अविवाहित बताया था और उनकी बहन के साथ बहोड़ापुर इलाके में लिव-इन में रहा था.

सबूतों के आभाव में दोषमुक्त: राहुल गुप्ता के अधिवक्ता राजमणि बंसल का कहना है कि उनका मुवक्किल कभी कभार ही ग्वालियर आया है. वह झांसी में एक प्रतिष्ठित कारोबारी है. पुलिस ने केवल मेमो 27 के आधार पर उसे आरोपी बना दिया था. उसके खिलाफ कोई भी ठोस साक्ष्य नहीं है. हाईकोर्ट ने राहुल गुप्ता के अधिवक्ता की दलीलों को गंभीरता से सुना और साक्ष्य के अभाव में मुलजिम बनाए गए राहुल गुप्ता को हत्या जैसे संगीन मामले में निर्दोष करार देते हुए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर और अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे मामले को खारिज कर दिया.

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