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शिव'राज' की अग्निपरीक्षा: खाली खजाने से कैसे पूरे होंगे वादे, बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान, कई पुल-पुलिया भी बहे

राजस्व सर्वे के प्रारंभिक डाटा के मुताबिक शुरुआती दौर में बाढ़ से करीब 8 से 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. 2 लाख से ज्यादा लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. आंकड़े सरकार से साझा किए जा चुके हैं. अब सरकार के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाना.

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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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Published : Aug 11, 2021, 6:24 PM IST

ग्वालियर। प्रदेश के एक बड़े हिस्से में आई बाढ़ का पानी उतर रहा है और राजनीति का पारा चढ़ने लगा है. सरकार बाढ़ से हुई तबाही का आंकलन करने में जुट गई है. राजस्व विभाग का अमला गांव-गांव सर्वे कर डाटा जमा कर रहा है. प्रारंभिक डाटा के मुताबिक शुरुआती दौर में करीब 8 से 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान और बाढ़ से 2 लाख से ज्यादा लोगों के सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. आंकड़े सरकार से साझा किए जा चुके हैं. अब सरकार के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाना. सीएम शिवराज यूं तो पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान कर चुके हैं लेकिन विपक्ष का आरोप है कि वे वादा निभाने में अभीतक असफल साबित हुए हैं. दूसरी तरफ जनता की नाराजगी भी सरकार के लिए चिंता की वजह बनी हुई है. खुद सीएम भी इसका शिकार हो चुके हैं. ऐसे में आने वाले समय में बाढ़ प्रभावितों तक राहत पहुंचाना सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम न होगा.

एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
कहां कितनी जन-धन हानि
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों में बीते हफ्ते हुई मूसलाधार बारिश से सिंध, पार्वती,चंबल,सीप,कुनो और अमराल नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांव बाढ़ प्रभावित हुए थे. नदियों के किनारे बसे इन गांवों में बाढ़ ने खूब तबाही मचाई. अब राजस्व भिगान ने नुकसान की प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार से साझा की है जिसमें

- 2 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.

- ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों में बाढ़ के कारण हुए अलग-अलग हादसों में 29 लोगों की जान चली गई.

- 4000 से अधिक पशु बाढ़ के पानी में बह गए या फिर डूबने से उनकी मौत हो गई.

- 30 हजार से ज्यादा लोगों के मकान धराशायी हुए या उनके सिर से छत छिन गई.

- करीब 1 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं.

- इस नुकसान में सड़क पुल,पुलिया और बांध टूटने से सरकारी विभागों को हुआ नुकसान शामिल नहीं है.

एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान

इस नुकसान का मिलेगा मुआवजा
- प्रदेश सरकार ने 4 लाख प्रति व्यक्ति मुआवजा घोषित किया है. इसके अलावा मकान टूटने पर आवास योजना के तहत 1 लाख 20 हजार दिए जाएंगे.

- पशु हानि में छोटे पशु पर 10 हजार, बड़े पर 30 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. यह मुआवजा औसतन 20 हजार प्रति पशु हो सकता है.

- बाढ़ में एक हेक्टेयर में फसल खराब होने पर छोटे किसान को 30 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया गया है.

एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान

बाढ़ में बह गए कई पुल-पुलिया
- अशोक नगर में 16 सड़क ,8 पुलिया क्षतिग्रस्त हुई है अशोक नगर में 15 खंभे क्षतिग्रस्त हुए हैं।
- भिंड जिले में 37 सड़क, 35 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं।
- दतिया जिले में दोष सड़क क्षतिग्रस्त हुई है।दतिया में 336 खंबे 21 ट्रांसफर।
- ग्वालियर जिले में 18 सड़क, 29 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं ग्वालियर में 70 खंबे और 16 ट्रांसफर
- गुना जिले में 23 सड़क, 13 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं। गुना में 109 खम्बे ,और 15 ट्रांसफर
- मुरैना जिले में 23 सड़क, 35 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं
- श्योपुर जिले में 78 सड़क ,10 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं। श्योपुर में 2361खंबे, 203 कंडक्टर, 340 ट्रांसफार्मर
- शिवपुरी जिले में 37 सड़क, 30 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं, शिवपुरी में 2500 खंबे, 238 कंडक्टर, 628 ट्रांसफार्मर

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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान

खजाना खाली, वादा कैसे निभाएगी सरकार ?

सीएम शिवराज सिंह चौहान पीडि़तों के बीच पहुंच कर उन्हें हुए हर तरह के नुकसान की भरपाई करने का आश्वासन दे चुके हैं. सरकार से जुड़े लोग भी यही बात दोहरा रहे हैं कि सरकार अपना वादा निभाएगी. दूसरी तरफ कांग्रेस का आरोप है कि घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सिर्फ वादे ही करते हैं उन्हें पूरा नहीं करते. कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश की शिवराज सरकार आज तक अपना कोई भी वादा पूरा नहीं कर पाई है और इस वादे को भी वह पूरा नहीं कर पाएगी. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश का खजाना खाली है सरकार के पास देने के लिए कुछ बचा नहीं है इसलिए ऐसे में शिवराज जो भी वादे कर रहे हैं वे झूठे हैं. कांग्रेस का कहना है कि शिवराज के झूठ को जनता भी जान चुकी है और यहीं वजह है कि खुद सीएम और केंद्रीय मंत्रियों को भी जनता का विरोध झेलना पड़ा है.

राहत पहुंचाना सरकार की 'अग्निपरीक्षा'
ग्वालियर चंबल अंचल में बाढ़ की आपदा से प्रारंभिक तौर पर 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. गावों में हालत अभी भी नहीं सुधरे हैं. अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां सर्वे टीम पहुंची ही नहीं है. कई गांव ऐसे हैं जहां तक पहुंचने का रास्ता ही पानी में बह गया है. जिससे इन गांवों में हुए नुकसान का आकलन नहीं किया जा सका है. ऐसे में बाढ़ पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने का वादा निभाना सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा. ग्वालियर चंबल अंचल में हजारों की संख्या में ऐसे गांव है जो पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं और वहां रह रहे लोगों की आस सिर्फ सरकार से मिलने वाली मदद पर ही टिकी हुई है. ऐसे में अगर शिवराज सरकार वादा निभाने में चूक गई तो आगे आने वाले समय में उसे इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. जिसका एक नजारा खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी कर चुके हैं. जिन्हें बाढ़ पीड़ितों से मिलते समय भारी विरोध का सामना करना पड़ा था.

ग्वालियर। प्रदेश के एक बड़े हिस्से में आई बाढ़ का पानी उतर रहा है और राजनीति का पारा चढ़ने लगा है. सरकार बाढ़ से हुई तबाही का आंकलन करने में जुट गई है. राजस्व विभाग का अमला गांव-गांव सर्वे कर डाटा जमा कर रहा है. प्रारंभिक डाटा के मुताबिक शुरुआती दौर में करीब 8 से 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान और बाढ़ से 2 लाख से ज्यादा लोगों के सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. आंकड़े सरकार से साझा किए जा चुके हैं. अब सरकार के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाना. सीएम शिवराज यूं तो पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान कर चुके हैं लेकिन विपक्ष का आरोप है कि वे वादा निभाने में अभीतक असफल साबित हुए हैं. दूसरी तरफ जनता की नाराजगी भी सरकार के लिए चिंता की वजह बनी हुई है. खुद सीएम भी इसका शिकार हो चुके हैं. ऐसे में आने वाले समय में बाढ़ प्रभावितों तक राहत पहुंचाना सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम न होगा.

एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
कहां कितनी जन-धन हानि
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों में बीते हफ्ते हुई मूसलाधार बारिश से सिंध, पार्वती,चंबल,सीप,कुनो और अमराल नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांव बाढ़ प्रभावित हुए थे. नदियों के किनारे बसे इन गांवों में बाढ़ ने खूब तबाही मचाई. अब राजस्व भिगान ने नुकसान की प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार से साझा की है जिसमें

- 2 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.

- ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों में बाढ़ के कारण हुए अलग-अलग हादसों में 29 लोगों की जान चली गई.

- 4000 से अधिक पशु बाढ़ के पानी में बह गए या फिर डूबने से उनकी मौत हो गई.

- 30 हजार से ज्यादा लोगों के मकान धराशायी हुए या उनके सिर से छत छिन गई.

- करीब 1 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं.

- इस नुकसान में सड़क पुल,पुलिया और बांध टूटने से सरकारी विभागों को हुआ नुकसान शामिल नहीं है.

एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान

इस नुकसान का मिलेगा मुआवजा
- प्रदेश सरकार ने 4 लाख प्रति व्यक्ति मुआवजा घोषित किया है. इसके अलावा मकान टूटने पर आवास योजना के तहत 1 लाख 20 हजार दिए जाएंगे.

- पशु हानि में छोटे पशु पर 10 हजार, बड़े पर 30 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. यह मुआवजा औसतन 20 हजार प्रति पशु हो सकता है.

- बाढ़ में एक हेक्टेयर में फसल खराब होने पर छोटे किसान को 30 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया गया है.

एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान
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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान

बाढ़ में बह गए कई पुल-पुलिया
- अशोक नगर में 16 सड़क ,8 पुलिया क्षतिग्रस्त हुई है अशोक नगर में 15 खंभे क्षतिग्रस्त हुए हैं।
- भिंड जिले में 37 सड़क, 35 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं।
- दतिया जिले में दोष सड़क क्षतिग्रस्त हुई है।दतिया में 336 खंबे 21 ट्रांसफर।
- ग्वालियर जिले में 18 सड़क, 29 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं ग्वालियर में 70 खंबे और 16 ट्रांसफर
- गुना जिले में 23 सड़क, 13 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं। गुना में 109 खम्बे ,और 15 ट्रांसफर
- मुरैना जिले में 23 सड़क, 35 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं
- श्योपुर जिले में 78 सड़क ,10 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं। श्योपुर में 2361खंबे, 203 कंडक्टर, 340 ट्रांसफार्मर
- शिवपुरी जिले में 37 सड़क, 30 पुल पुलिया क्षतिग्रस्त हुए हैं, शिवपुरी में 2500 खंबे, 238 कंडक्टर, 628 ट्रांसफार्मर

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एमपी में बाढ़ से हुआ 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान

खजाना खाली, वादा कैसे निभाएगी सरकार ?

सीएम शिवराज सिंह चौहान पीडि़तों के बीच पहुंच कर उन्हें हुए हर तरह के नुकसान की भरपाई करने का आश्वासन दे चुके हैं. सरकार से जुड़े लोग भी यही बात दोहरा रहे हैं कि सरकार अपना वादा निभाएगी. दूसरी तरफ कांग्रेस का आरोप है कि घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सिर्फ वादे ही करते हैं उन्हें पूरा नहीं करते. कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश की शिवराज सरकार आज तक अपना कोई भी वादा पूरा नहीं कर पाई है और इस वादे को भी वह पूरा नहीं कर पाएगी. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश का खजाना खाली है सरकार के पास देने के लिए कुछ बचा नहीं है इसलिए ऐसे में शिवराज जो भी वादे कर रहे हैं वे झूठे हैं. कांग्रेस का कहना है कि शिवराज के झूठ को जनता भी जान चुकी है और यहीं वजह है कि खुद सीएम और केंद्रीय मंत्रियों को भी जनता का विरोध झेलना पड़ा है.

राहत पहुंचाना सरकार की 'अग्निपरीक्षा'
ग्वालियर चंबल अंचल में बाढ़ की आपदा से प्रारंभिक तौर पर 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. गावों में हालत अभी भी नहीं सुधरे हैं. अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां सर्वे टीम पहुंची ही नहीं है. कई गांव ऐसे हैं जहां तक पहुंचने का रास्ता ही पानी में बह गया है. जिससे इन गांवों में हुए नुकसान का आकलन नहीं किया जा सका है. ऐसे में बाढ़ पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने का वादा निभाना सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा. ग्वालियर चंबल अंचल में हजारों की संख्या में ऐसे गांव है जो पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं और वहां रह रहे लोगों की आस सिर्फ सरकार से मिलने वाली मदद पर ही टिकी हुई है. ऐसे में अगर शिवराज सरकार वादा निभाने में चूक गई तो आगे आने वाले समय में उसे इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. जिसका एक नजारा खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी कर चुके हैं. जिन्हें बाढ़ पीड़ितों से मिलते समय भारी विरोध का सामना करना पड़ा था.

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