ग्वालियर। मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी की पूरी प्रक्रिया के दौरान बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. पंजीयन में जिन किसानों ने अपनी जमीन पर गेहूं बोना होना बताया है, उस जमीन पर गेहूं की फसल थी ही नहीं. वहां चना या दूसरी फसलें मिलीं. कुछ जगहों पर घर कहीं नदी नाले तो कहीं पहाड़ मिले. ऐसे में विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं. अब इस पर राजनीति शुरू हो गई है. वैसे यह खुलासा एसडीएम और तहसीलदार ने एमपी किसान एप पर हुए पंजीयन से पड़ताल का है. इसमें 2 हेक्टेयर से अधिक सिकमी यानी कि बटाईदार किसानों को शामिल किया गया है. (wheat procurement center gwalior)
36.69 हेक्टेयर जमीन पर हुई पड़तालः मध्य प्रदेश के खाद्य विभाग ने 9 लाख 85 हजार 19 किसानों की 33.69 हेक्टेयर जमीन की मौके पर एसडीएम और तहसीलदार से पड़ताल कराई तो पता चला कि 56 हजार 123 हेक्टेयर जमीन में गेहूं की फर्जी खेती की गई है. बड़ी बात यह है कि आमतौर पर एक हेक्टेयर में औसतन 23 से 25 क्विंटल गेहूं पैदा होता है, जिस 56 हजार क्विंटल में गेहूं की बुवाई में गड़बड़ी निकली है. इसी को आधार बनाकर बिचौलिए अथवा व्यापारी अपना माल खफा देते हैं. (fraud in wheat farming in mp)
इन जिलों में मिला फर्जीवाड़ा
जिला | किसान | फर्जी रकबा |
अशोकनगर | 13848 | 14467 |
शिवपुरी | 16021 | 5265 |
ग्वालियर | 12150 | 5256 |
भिंड | 2501 | 4467 |
मुरैना | 3518 | 1082 |
जबलपुर | 31539 | 2346 |
सागर | 40131 | 3044 |
सिवनी | 70139 | 6855 |
पन्ना | 12731 | 3011 |
पड़ताल में हुआ खुलासाः हर सीजन में यह धंधा 280 करोड़ से अधिक का होता रहा है. किसान गेहूं की बुवाई का जो रकबा सरकार को बताता है, उसी आधार पर सरकार अनुमान लगाती है कि इस सीजन में गेहूं की कितनी पैदावार होगी. हाल ही में हुई पड़ताल के नतीजे देखकर गणित गड़बड़ा गया है. यह स्थिति तब है जब 50 फीसदी किसानों की जमीन जांच के दायरे में है. भोपाल में 19294 पंजीकृत किसानों की पड़ताल की गई, जिसमें सिर्फ 34 हेक्टेयर जमीन का अंतर मिला. (mp wheat farming)
इंदौर में 14354 किसानों के वेरिफिकेशन के बाद 14 हेक्टेयर जमीन का अंतर मिला. उज्जैन में 49944 किसानों की वेरिफिकेशन में 132 हेक्टेयर जमीन की गड़बड़ी मिली. देवास में कुछ किसानों ने पहाड़ी क्षेत्र इलाके की जमीन पर गेहूं की बुवाई करना बता दिया. सूत्रों का कहना है कि अब सभी फसलों की खरीदी से पहले सत्यापन होगा. आधार नंबर का खसरे से मिलान होगा. बैंक खातों को आधार से लिंक किया जाएगा.