ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारने के बाद अब कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति में जुट गई है. इसको लेकर सभी लोकसभा सीटों पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं. वहीं लोकसभा की तैयारी को लेकर ग्वालियर चंबल-अंचल में एक बड़ी बैठक आयोजित की जा रही है. मुरैना में कांग्रेस की बड़ी दो दिवसीय बैठक है. जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार सहित तमाम कांग्रेसी नेता शामिल होने वाले हैं.
हार को लेकर होगा मंथन
कांग्रेस की इस बड़ी बैठक के जरिए आगामी लोकसभा की रणनीति तैयार की जाएगी. इसके साथ ही ग्वालियर चंबल-अंचल में नए युवा नेताओं को जिम्मेदारी देने को लेकर भी मंथन होगा. इस बैठक में मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के अलावा जिले के सभी संगठन के नेता और मंडल एवं सेक्टर के अध्यक्ष सहित महिला कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे. इस बैठक में विधानसभा चुनाव में मिली हार को लेकर भी मंथन होगा, ताकि आगामी लोकसभा में इसका फायदा मिल सके.
नए नेताओं को मौका देने की तैयारी
बता दें विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल-अंचल में कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए हैं. इस कारण आंचल में कांग्रेस पूरी तरह कमजोर हो चुकी है, क्योंकि चुनाव हारने के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री लखन सिंह और केपी सिंह सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. इसके अलावा अबकी बार कांग्रेस ने नए युवाओं को मौका दिया है. यही कारण है कि अबकी बार ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी और उन्हें नए नेताओं की फौज भी तैयार करनी होगी. इसलिए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अब ग्वालियर चंबल अंचल में नए युवा नेताओं को मौका देने के लिए तलाश में जुट गए हैं.
चंबल-अंचल में कांग्रेस को होगा फायदा
वहीं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आर पी सिंह का कहना है कि विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल-अंचल में यहां की जनता ने कांग्रेस को भरपूर सहयोग दिया है. इसलिए उम्मीद है कि इस आगामी लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा इसी ग्वालियर चंबल जल से होगा. इसके साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व में अबकी बार मध्य प्रदेश में युवा चेहरा को मौका दिया है. इसलिए अबकी बार उम्मीद है कि इस लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा युवा नेता उभर कर सामने आएंगे और उन्हें ही मौका दिया जाएगा.
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बीजेपी ने कसा तंज
वहीं कांग्रेस की इस रणनीति को लेकर बीजेपी तंज कस रही है. बीजेपी के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि 'जिस तरीके से 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने युवा दूल्हा दिखाकर बूढे युवा दूल्हे से विवाह कर दिया और इसका नतीजा सबके सामने आया था. सिंधिया के आने के बाद कांग्रेस में बताया जा रहा था कि दो छत्रप हैं. केपी सिंह और डॉक्टर गोविंद सिंह, वह भी इस विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गए. अब बुझे हुए दिए में तेल लगाने से कोई फायदा नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि और कांग्रेस ने ऐसे नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है. जो सरेआम कहते हैं की पार्टी जाए तेल लेने के लिए.