ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जिला प्रशासन के अधिकारियों के लिए सीएम हेल्पलाइन की पेंडेंसी सिरदर्द साबित हो रही है. हालात ये हैं कि रोज दर्जनों भर सीएम हेल्पलाइन के जरिए शिकायत होती है, लेकिन इसके बावजूद उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है. यही कारण है कि जिले में अब तक 15 हजार से ज्यादा सीएम हेल्पलाइन की पेंडेंसी पहुंच चुकी है और सबसे ज्यादा पुलिस और नगर निगम में ये बढ़ रही है.
सीएम हेल्पलाइन की पेंडेंसी में बढ़ोतरी: मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान एक्शन मोड में हैं. कई बार सीएम शिवराज मंच से कई अधिकारियों को जनता की समस्याओं का निराकरण न होने के चलते बर्खास्त भी कर चुके हैं. ऐसे में जिला प्रशासन के अधिकारी भी पूरी तरह अलर्ट हैं, लेकिन इन अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत सीएम हेल्पलाइन की पेंडेंसी बन रही है. सीएम हेल्पलाइन के जरिए शिकायतें हर दिन पहुंच रही हैं, लेकिन उनका निराकरण करने के लिए अलग-अलग विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं हैं. ऐसे में कलेक्टर अक्षय कुमार ने सभी विभाग अधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि हर दिन दफ्तर में बैठकर सीएम हेल्पलाइन की पेंडेंसी का निराकरण करें.
कलेक्टर के आदेश पर शिकायतों का निराकरण शुरू: ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार का कहना है कि "अभी 15 हजार से अधिक अलग-अलग विभागों में सीएम हेल्पलाइन की पेंडेंसी है, लेकिन लगातार उनका निराकरण किया जा रहा है. अब लोग सबसे अधिक अपनी शिकायतें सीएम हेल्पलाइन के जरिए दर्ज करा रहे हैं इसलिए यह पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है. वहीं इसके निराकरण के लिए अलग-अलग विभाग के अधिकारी संबंधित लोगों से फोन पर बातचीत कर उन्हें ऑफिस में बुलाकर उस समस्या का निराकरण कर रहे हैं. सीएम हेल्पलाइन की अधिकतर शिकायत ऐसी है जिनमें लोग किसी मोबाइल नंबर से शिकायत दर्ज कराते हैं और उसके बाद उस सिम को फेंक देते हैं इनकी भी जांच की जा रही है."