ग्वालियर। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई यात्रा को भले ही विकास यात्रा का नाम दिया है, लेकिन उसे सत्ताधारी बीजेपी द्वारा हाईजैक करने के बाद यह चुनाव प्रचार अभियान जैसा हो गया है. इसमें बीजेपी के नेता, मंत्री और विधायक अपने समर्थकों के साथ पार्टी का झंडा लेकर नारे लगाते हुए चल रहे हैं. इससे एक तो यात्रा के साथ चल रहे अफसर असहज महसूस कर रहे हैं. वहीं जनता विकास की बात सुनने की जगह अपनी शिकायतों की झड़ी लगाकर सबका जायका बिगाड़ रही है. हालांकि इसमें बड़े मजेदार और रोचक नजारे भी देखने को मिल रहे हैं. मंत्री और विधायकों के आगे भूमिपूजन के लिए वांछित जरूरी सामान और पंडित जी चल रहे. वही ग्रामीण विधानसभा में एक मंत्री हर गांव में कराए गए कामों के पर्चे साथ लेकर पहुंच रहे हैं, जिसे पढ़कर सुनाते हैं और पूछते भी है कि यह काम हुए या नहीं ?
चर्चा का विषय बना पर्चा: ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह की यात्रा का अंदाज एकदम अलग है. एक तरफ शहर में पार्टी के नेता पार्टी का झंडा लेकर नारे लगाते हुए जा रहे हैं, लेकिन भारत सिंह कुशवाह का पर्चा यहां चर्चा का विषय बना हुआ है. वे जिस गांव मे पहुंचते हैं, वहां कराए गए और प्रस्तावित कामों व हितग्राहियों की सूची के पर्चे साथ लेकर पहुंचते हैं. पहले वे सब तक पर्चा पहुंचाकर उसे पढ़ने का आग्रह करते है और फिर भाषण में भी उसे पढ़कर सुनाते हैं और चुनौती देते हैं कि अगर इनमें कोई झूठ हो तो अभी सामने खड़े होकर बताओ, ताकि हम अफसरों से आपके सामने ही पूछ सके.
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यात्रा की हो रही फजीहत: शहर में विकास यात्रा को लेकर बड़ी फजीहत हो रही है. जहां से निकलते हैं, वहां सड़कें खुदी पड़ी हैं और जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं. ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने अपनी यात्रा की शुरुआत संत रविदास जयंती से की थी. उस दिन उनके मार्ग पर लोगों ने अपने घरों पर बैनर टांगकर सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए थे. वे दूसरे दिन जब वार्ड 7 में पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने कहा दिया ये गंदगी देख रहे हो? यहां सफाई तो करा नहीं पा रहे विकास क्या कराओगे? मंत्री जी ने जैसे तैसे समझाया. इसके बाद जब वे लूटपुरा पहुंचे तो लोगों ने खराब सड़क दिखाते हुए सीमेंट कॉन्क्रीट की सड़क बनवाने की डिमांड रख दी. इस विकास यात्रा का नजारा भी बड़ा मजेदार है. इनमें मंत्री के साथ-साथ दो सेट में गाड़ियां चलती हैं. हरे एक में एक पंडित के अलावा दोनों में लोटा, थाली, चावल, रोली, मिठाई, नारियल, कलावा, फूल, गेंती, फांवड़ा, चूना आदि होता है. एक गाड़ी मंत्री के काफिले के आगे पहुंचकर तैयारी करती है, जबकि एक में यह सब सामान रखकर मंत्री जी साथ चलते हैं.
विकास कार्य नहीं परेशानी पूछ रहे गोयल: वैसे तो विकास यात्रा सरकार द्वारा आयोजित की जा रही है. जिसमें विधायक, सांसद, मेयर, पार्षद से मंत्री तक को अफसरों के साथ घूमकर अपने विकास कार्य बताना है. भूमि पूजन और उदघाटन करना है, लेकिन ग्वालियर पूर्व में यह काम उप चुनाव में विधानसभा चुनाव कर चुके मुन्नालाल गोयल से करवाया जा रहा है. गोयल 2018 में विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीते थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उन्होंने विधायकी और कांग्रेस दोनो छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली. उप चुनाव वे बीजेपी से लड़े लेकिन कांग्रेस के सतीश सिकरवार से हार गए. बाद में सिकरवार की पत्नी डॉ शोभा सिकरवार मेयर भी गईं. अब गोयल की विडंबना ये है कि अगर वे विकास कार्य गिनाते हैं तो सिकरवार दंपति के खाते में जाते हैं, नतीजतन वे लोगों से समस्याएं पूछने लगते हैं. इसके बाद अफसर असहज हो जाते हैं.
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विकास यात्रा में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग: कांग्रेस का कहना कि यह किसी भी सरकार द्वारा शासन और प्रशासन के दुरुपयोग का सबसे घिनौना उदाहरण है. अफसरों को अपने झंडे के साथ नेता पार्टी का प्रचार करने में जुटे हैं. इस पर करोड़ों रुपये की धनराशि व्यय हो रही है. इतने बड़े आयोजन के लिए कोई बजट नहीं है, लिहाजा अफसर भ्रष्टाचार के जरिये माफिया से पैसे का इंतजाम करवा रहे हैं. जिन्हें आगे लाभान्वित करना होगा. कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह कहते हैं कि जब नेता लोगों के दरवाजे विकास यात्रा लेकर पहुंच रहे है तो सब जगह जनता उन्हें आईना दिखाते हुए पूछ रही है-दिखाओ विकास कहां हैं? वह गंदगी, टूटी सड़कें और सडक पर बहती सीबर दिखाकर उसे विनाश यात्रा साबित कर देती है. वहीं बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल को सरकारी विकास यात्रा के भाजपायीकरण में कुछ भी गलत नहीं दिखता. वे कहते हैं कि जब सरकार हमारी है तो उसमे हमारे नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर अपने काम का हिसाब देंगे ही. साथ ही जो लोग योजनाओं से वंचित रह गए हैं, उन्हें भी लाभ मिले इसके लिए अधिकारी भी साथ चल रहे हैं. हमारे कार्यकर्ता पूरे उत्साह से जुटे हुए हैं.