ग्वालियर। मध्य प्रदेश में पिछले 2 सप्ताह से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे विश्वविद्यालयों के अधिकारी और कर्मचारियों का आंदोलन तेज हो गया है. आंदोलन कर रहे यह सभी कर्मचारी व अधिकारी शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, जिसमें एक दर्जन से अधिक कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. इस हड़ताल के चलते विश्वविद्यालयों में शिक्षण और प्रशासन कार्य पूरी तरह ठप हो गया है. हालात यह हैं कि विश्वविद्यालय में छात्र बेहद परेशान हैं और जो छात्र अपनी शिकायत या परेशानी को लेकर विश्वविद्यालय पहुंच रहे हैं उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है.
चरणबद्ध तरीके से कर रहे आंदोलनः बता दें कि 15 मई से प्रदेश भर के विश्वविद्यालय में शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारियों अपनी मांगों को लेकर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. सबसे पहले इन सभी कर्मचारियों और अधिकारियों ने काली पट्टी बांधकर और कुछ घंटे हड़ताल पर बैठकर आंदोलन की शुरुआत की. यह क्रम लगातार पिछले 15 दिनों से जारी है, लेकिन शुक्रवार से इस आंदोलन का दूसरा चरण शुरू हो गया है और यह सभी अधिकारी और कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं, जिसमें से 12 से अधिक कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठ गये हैं. दूसरी ओर मध्य प्रदेश शासकीय विश्वविद्यालय पेंशनर कर्मचारी, अधिकारी एवं शिक्षक संयुक्त संघर्ष समिति 9 सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध तरीके से प्रदेश स्तरीय आंदोलन कर रहे हैं. यह सभी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए हैं, जो अब सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुके हैं.
हड़ताल से छात्रों पर पड़ रहा असरः हड़ताल कर रहे कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि सातवें वेतनमान के अनुसार पेंशन का भुगतान किया जाए. सबसे खास बात यह है कि इस हड़ताल से सबसे ज्यादा असर छात्रों पर पड़ रहा है क्योंकि इस समय परीक्षाओं का समय है. इस दौरान छात्र जीवाजी विश्वविद्यालय में नामांकन, एग्जाम या फिर अन्य प्रकार की समस्याओं को लेकर और उनका उनके सुधार के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय में कोई भी कर्मचारी अधिकारी न होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है. इसके साथ ही कई छात्र ऐसे हैं जो 200 किलोमीटर दूर से अपनी शिकायत को लेकर आ रहे हैं उनका भी काम नहीं हो पा रहा है.
25 मई से शुरू होने वाली परीक्षाएं की कैंसिलः इन कर्मचारियों और अधिकारियों के आंदोलन से हालत यहा बन गए हैं कि ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय की स्नातक प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षा की तारीखें आगे बढ़ा दी गई हैं. 25 मई से शुरू होने वाली परीक्षाएं कैंसिल कर दी गई हैं. वहीं, विश्वविद्यालय प्रबंधन इस बात को भी स्वीकार कर रहा है कि अगर आंदोलन आगे भी जारी रहा, तो परीक्षाओं के मूल्यांकन और रिजल्ट घोषित करने में देरी होगी. ऐसी स्थिति में समय पर रिजल्ट घोषित करने के लिए दूसरे राज्यों में मूल्यांकन के लिए कॉपियां भेजी जा रही हैं. कर्मचारी, अधिकारी और प्रोफेसरों के आंदोलन से जीवाजी विश्वविद्यालय प्रशासन की चिंताएं बढ़ी हुई हैं. परीक्षाएं आगे बढ़ने से स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले लगभग 40 हजार परीक्षार्थियों का सत्र लेट हो रहा है और द्वितीय वर्ष की परीक्षाएं भी देरी से हो रही हैं.