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MP Assembly Election 2023: श्रेय की भूख में प्रोटोकॉल भूले मंत्री, चुनाव से पहले धड़ाधड़ हो रहे शिलान्यास - MP Horticulture Minister Bharat Singh Kushwaha

MP Assembly Election 2023: मध्यप्रदेश में मिशन 2023 की शुरुआत हो चुकी है. इसलिए सत्ताधारी दल हो या विपक्ष दोनों तैयारियो में जुट गए हैं, लेकिन चुनाव से पहले ही श्रेय की भूख ऐसी हो गई है कि, उन्होंने सरकारी आयोजनों को भी निजी जैसा बना दिया है. (Saal Chunavi Hai) साथ ही वह अपनी विधानसभा तक ही सीमित रह रहे हैं. मंत्री अपने कार्यक्रमों में मेयर, एमएलए और पार्षद तक को इसलिए नहीं बुला रहे कि, वे कांग्रेस के हैं, लेकिन वे खुद अपनी पार्टी के सांसद तक को न्योता नहीं दे रहे हैं. कांग्रेस इसे बीजेपी की हार का भय बताते हुए दावा कर रही है कि, उन्हें अपनी विदाई का डर सता रहा है. जबकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद विवेक शेजवलकर इसे गलत मानते हुए के कह रहे हैं कि, प्रोटोकाल का पालन कराना प्रशासन का काम है. उसे करना चाहिए.

Mission MP 2023
एमपी में चुनाव से पहले धड़ाधड़ हो रहे उद्घाटन और शिलान्यास
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Published : Jan 3, 2023, 5:28 PM IST

Updated : Jan 3, 2023, 9:38 PM IST

एमपी विधानसभा चुनाव 2023 साल चुनावी है

ग्वालियर। भले ही मध्य प्रदेश की विधानसभा चुनावों में अभी समय है, लेकिन सरकार के मंत्रियों ने अभी से ही अपनी विधानसभा में डेरा डाल दिया है. (Mission MP 2023) यही कारण है कि मंत्रियों को हार का डर इतना है कि, मंत्री पद को भूल कर अपनी ही विधानसभा में उद्घाटन, शिलान्यास की होड़ में बीजेपी के मंत्री और नेता प्रोटोकॉल भूल चुके हैं. हर मंत्री अपने अपने क्षेत्र मे अपनी मनमर्जी से कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, लेकिन वे सिर्फ अपनी विधानसभा क्षेत्रों तक सीमित हो गए हैं.(Saal Chunavi Hai) एक दूसरे के क्षेत्र में न जा रहे है. ना कोई बुला रहा है. (MP Assembly Election 2023) मंत्री क्षेत्रीय मेयर और पार्षदों तक को नही बुला रहे. अधिकारी भी इस समय सरकार के दबाव में इस कदर हैं कि वे जीते हुए कांग्रेस विधायक के क्षेत्र में हार चुके बीजेपी प्रत्याशी को अतिथि बनाकर बुला रहे हैं.

विधानसभा क्षेत्र में जमाया डेरा: मध्य प्रदेश के सबसे चर्चित ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर इन दिनों सिर्फ अपनी विधानसभा में डेरा डाले हुए हैं. वह इस समय मध्य प्रदेश की बिजली समस्या को छोड़कर सुबह से लेकर रात तक सिर्फ अपनी ही विधानसभा में अकेले ही शिलान्यास और उद्घाटन करने में लगे हुए हैं. प्रोटोकॉल को भूलकर ना तो व क्षेत्रीय सांसद को बुला रहे हैं और ना ही शहर के प्रथम नागरिक महापौर को आमंत्रण दे रहे हैं. यही हाल उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाहा का है. भारत सिंह कुशवाह अपनी ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में फीता काटते हुए नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही शिलान्यास और उद्घाटन के दौरान वह सिर्फ अकेले ही नजर आ रहे हैं. वह भी किसी भी पार्टी के नेता यानी क्षेत्रीय सांसद महापौर या किसी पार्षद को बुलाना पसंद नहीं कर रहे हैं.

गौरव दिवस मेयर को भूल गए: मेयर किसी भी शहर की प्रथम नागरिक होती है और उसे किसी भी दल से ऊपर माना जाता है. ग्वालियर गौरव दिवस के आयोजन का सारा खर्च और व्यवस्थाओं का जिम्मा नगर निगम उठा रही थी, लेकिन इसमें नगर निगम की मेयर को ही नहीं बुलाया गया. ग्वालियर में 57 साल बाद कांग्रेस की मेयर बनी हैं. इस पद पर डॉ शोभा सिकरवार काबिज हैं. इतना हीं नहीं यह पूरा आयोजन महाराज बाड़े पर आयोजित हुआ जो ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में स्थित है. इसमें इसी क्षेत्र के एमएलए प्रवीण पाठक को नहीं बुलाया गया. जबकि उनसे चुनाव हार चुके नारायण सिंह कुशवाह वीवीआईपी दीर्घा में मंचासीन थे.

पूर्व विधायक थे चीफ गेस्ट: ग्वालियर पूर्व विधानसभा के क्षेत्र में तो बड़ी ही हास्यास्पद स्थिति है. 2018 के विधानसभा उप चुनाव में यहां से जीते कांग्रेस विधायक मुन्नालाल गोयल ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में विधायक पद और कांग्रेस दोनो छोड़ दीं. 2020 में हुए उप चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर लड़े, लेकिन हार गए. कांग्रेस के डॉ. सतीश सिकरवार ने जीत दर्ज की. इस विधानसभा के आयोजनों में प्रशासन अभी भी पूर्व विधायक गोयल को ही एमएलए जैसा मान सम्मान दे रहा है. वे बाकायदा अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं. भूमि पूजन और उद्घाटन कर रहे हैं. विगत दिनों प्रशासन ने कुछ वर्ष पहले फूटी कॉलोनी से अतिक्रमण हटाने से विस्थापित हुए आवास के पट्टे वितरित किये गए. इसका समारोह हुआ. जिसमें क्षेत्रीय विधायक और मेयर को नहीं बुलाया गया, जबकि पूर्व विधायक गोयल चीफ गेस्ट थे.

धड़ाधड़ हो रहे भूमिपूजन,शिलान्यास: ऐसा नहीं कि, बीजेपी में श्रेय का यह संघर्ष केवल कांग्रेस को पीछे धकेलने को लेकर चल रहा है, बल्कि हालत ये है कि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर हों उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह दोनो ही हर दिन एक एक दर्जन छोटे बड़े भूमिपूजन या शिलान्यास कर रहे हैं, लेकिन इनमे अपने सांसद तक को नही बुला रहे हैं. हालात ये भी है कि भारत सिंह के कार्यक्रमों में सिंधिया समर्थक कोई नेता नजर नही आता. जबकि ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और पूर्व मंत्री इमरती देवी सुमन के आयोजनों में बीजेपी का कोई पुराना नेता नहीं दिखता. कुछ दिनों पहले खेलमंत्री का एक वीडियो खूब बायरल हुआ था. जिसमें वे सिंधिया समर्थकों से पूछ रहीं थी हमारीं पुरानी बीजेपी के कार्यकर्ता नजर नहीं आ रहे हैं.

बीजेपी का आरोप: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि, शासकीय आयोजन में प्रोटोकॉल का पालन कराना जिला प्रशासन का जिम्मा है. उन्हें यह जिम्मेदारी निभानी चाहिए. इस मामले को लेकर कांग्रेस चर्चाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रही है. उसका मानना है कि बीजेपी के मंत्री विधायक मान चुके हैं कि, अब उनकी विदाई का वक्त आ चुका है. लिहाजा वे अब निरंकुश होकर काम कर रहे हैं.

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समाज का कैसे होगा भला: कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक का कहना है कि, बीजेपी की सरकार के जो मंत्री हैं. वे पूर्ण रूप से निरंकुश हो गए हैं. वे तानाशाह, दुर्दांत शासक के साथ आदमखोर भी हो गए हैं. जब अपने की नेताओं और कार्यकर्ताओं के हक को खाने की आदत जिन मंत्रियों को पड़ गई होगी. वे क्या समाज का भला करेंगे. बीजेपी और उसकी सरकार का इस मध्यप्रदेश में अंतिम समय आ गया है. उसका अंत होने वाला है और अंतिम दिनों में पाप का घड़ा भर जाता है. ये उसके लक्षण हैं. इन हालातों से बीजेपी के नेता भी अवाक हैं, लेकिन वे चुप हैं. जबकि कांग्रेस कह रही है ये हार का डर और गुटबाजी की पराकाष्ठा है जो निगम चुनावो की तरह विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को 2023 में फिर सत्ता से उतार फेंकेगी.

एमपी विधानसभा चुनाव 2023 साल चुनावी है

ग्वालियर। भले ही मध्य प्रदेश की विधानसभा चुनावों में अभी समय है, लेकिन सरकार के मंत्रियों ने अभी से ही अपनी विधानसभा में डेरा डाल दिया है. (Mission MP 2023) यही कारण है कि मंत्रियों को हार का डर इतना है कि, मंत्री पद को भूल कर अपनी ही विधानसभा में उद्घाटन, शिलान्यास की होड़ में बीजेपी के मंत्री और नेता प्रोटोकॉल भूल चुके हैं. हर मंत्री अपने अपने क्षेत्र मे अपनी मनमर्जी से कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, लेकिन वे सिर्फ अपनी विधानसभा क्षेत्रों तक सीमित हो गए हैं.(Saal Chunavi Hai) एक दूसरे के क्षेत्र में न जा रहे है. ना कोई बुला रहा है. (MP Assembly Election 2023) मंत्री क्षेत्रीय मेयर और पार्षदों तक को नही बुला रहे. अधिकारी भी इस समय सरकार के दबाव में इस कदर हैं कि वे जीते हुए कांग्रेस विधायक के क्षेत्र में हार चुके बीजेपी प्रत्याशी को अतिथि बनाकर बुला रहे हैं.

विधानसभा क्षेत्र में जमाया डेरा: मध्य प्रदेश के सबसे चर्चित ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर इन दिनों सिर्फ अपनी विधानसभा में डेरा डाले हुए हैं. वह इस समय मध्य प्रदेश की बिजली समस्या को छोड़कर सुबह से लेकर रात तक सिर्फ अपनी ही विधानसभा में अकेले ही शिलान्यास और उद्घाटन करने में लगे हुए हैं. प्रोटोकॉल को भूलकर ना तो व क्षेत्रीय सांसद को बुला रहे हैं और ना ही शहर के प्रथम नागरिक महापौर को आमंत्रण दे रहे हैं. यही हाल उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाहा का है. भारत सिंह कुशवाह अपनी ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में फीता काटते हुए नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही शिलान्यास और उद्घाटन के दौरान वह सिर्फ अकेले ही नजर आ रहे हैं. वह भी किसी भी पार्टी के नेता यानी क्षेत्रीय सांसद महापौर या किसी पार्षद को बुलाना पसंद नहीं कर रहे हैं.

गौरव दिवस मेयर को भूल गए: मेयर किसी भी शहर की प्रथम नागरिक होती है और उसे किसी भी दल से ऊपर माना जाता है. ग्वालियर गौरव दिवस के आयोजन का सारा खर्च और व्यवस्थाओं का जिम्मा नगर निगम उठा रही थी, लेकिन इसमें नगर निगम की मेयर को ही नहीं बुलाया गया. ग्वालियर में 57 साल बाद कांग्रेस की मेयर बनी हैं. इस पद पर डॉ शोभा सिकरवार काबिज हैं. इतना हीं नहीं यह पूरा आयोजन महाराज बाड़े पर आयोजित हुआ जो ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में स्थित है. इसमें इसी क्षेत्र के एमएलए प्रवीण पाठक को नहीं बुलाया गया. जबकि उनसे चुनाव हार चुके नारायण सिंह कुशवाह वीवीआईपी दीर्घा में मंचासीन थे.

पूर्व विधायक थे चीफ गेस्ट: ग्वालियर पूर्व विधानसभा के क्षेत्र में तो बड़ी ही हास्यास्पद स्थिति है. 2018 के विधानसभा उप चुनाव में यहां से जीते कांग्रेस विधायक मुन्नालाल गोयल ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में विधायक पद और कांग्रेस दोनो छोड़ दीं. 2020 में हुए उप चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर लड़े, लेकिन हार गए. कांग्रेस के डॉ. सतीश सिकरवार ने जीत दर्ज की. इस विधानसभा के आयोजनों में प्रशासन अभी भी पूर्व विधायक गोयल को ही एमएलए जैसा मान सम्मान दे रहा है. वे बाकायदा अधिकारियों की बैठक ले रहे हैं. भूमि पूजन और उद्घाटन कर रहे हैं. विगत दिनों प्रशासन ने कुछ वर्ष पहले फूटी कॉलोनी से अतिक्रमण हटाने से विस्थापित हुए आवास के पट्टे वितरित किये गए. इसका समारोह हुआ. जिसमें क्षेत्रीय विधायक और मेयर को नहीं बुलाया गया, जबकि पूर्व विधायक गोयल चीफ गेस्ट थे.

धड़ाधड़ हो रहे भूमिपूजन,शिलान्यास: ऐसा नहीं कि, बीजेपी में श्रेय का यह संघर्ष केवल कांग्रेस को पीछे धकेलने को लेकर चल रहा है, बल्कि हालत ये है कि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर हों उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह दोनो ही हर दिन एक एक दर्जन छोटे बड़े भूमिपूजन या शिलान्यास कर रहे हैं, लेकिन इनमे अपने सांसद तक को नही बुला रहे हैं. हालात ये भी है कि भारत सिंह के कार्यक्रमों में सिंधिया समर्थक कोई नेता नजर नही आता. जबकि ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और पूर्व मंत्री इमरती देवी सुमन के आयोजनों में बीजेपी का कोई पुराना नेता नहीं दिखता. कुछ दिनों पहले खेलमंत्री का एक वीडियो खूब बायरल हुआ था. जिसमें वे सिंधिया समर्थकों से पूछ रहीं थी हमारीं पुरानी बीजेपी के कार्यकर्ता नजर नहीं आ रहे हैं.

बीजेपी का आरोप: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि, शासकीय आयोजन में प्रोटोकॉल का पालन कराना जिला प्रशासन का जिम्मा है. उन्हें यह जिम्मेदारी निभानी चाहिए. इस मामले को लेकर कांग्रेस चर्चाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रही है. उसका मानना है कि बीजेपी के मंत्री विधायक मान चुके हैं कि, अब उनकी विदाई का वक्त आ चुका है. लिहाजा वे अब निरंकुश होकर काम कर रहे हैं.

CM Shivraj in Chhindwara वीर ही घोषणा करते हैं, इसलिये मैं घोषणावीर हूं, इशारों में CM शिवराज का कांग्रेस पर तंज

समाज का कैसे होगा भला: कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक का कहना है कि, बीजेपी की सरकार के जो मंत्री हैं. वे पूर्ण रूप से निरंकुश हो गए हैं. वे तानाशाह, दुर्दांत शासक के साथ आदमखोर भी हो गए हैं. जब अपने की नेताओं और कार्यकर्ताओं के हक को खाने की आदत जिन मंत्रियों को पड़ गई होगी. वे क्या समाज का भला करेंगे. बीजेपी और उसकी सरकार का इस मध्यप्रदेश में अंतिम समय आ गया है. उसका अंत होने वाला है और अंतिम दिनों में पाप का घड़ा भर जाता है. ये उसके लक्षण हैं. इन हालातों से बीजेपी के नेता भी अवाक हैं, लेकिन वे चुप हैं. जबकि कांग्रेस कह रही है ये हार का डर और गुटबाजी की पराकाष्ठा है जो निगम चुनावो की तरह विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को 2023 में फिर सत्ता से उतार फेंकेगी.

Last Updated : Jan 3, 2023, 9:38 PM IST
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