ग्वालियर। दिल्ली सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप लगाया है. उनका मानना है कि, देश में कुछ ही कानूनविदों के परिवार है, जहां से कॉलेजियम सिस्टम के जरिए इन जजों की नियुक्ति की जाती है, जबकि कई काबिल और अच्छे ट्रेक रिकॉर्ड वाले अधिवक्ताओं को जस्टिस बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं होता है, क्योंकि ना तो उनकी पॉलिटिकल एप्रोच होती है और ना ही वह किसी विशेष परिवार से आते हैं.
अनुसूचित जाति/जनजाति को नहीं मिलता मौका
कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़ा वर्ग के जजों की नियुक्ति ना के बराबर होती है. कभी कभार अपवाद स्वरूप एकाध इस वर्ग से जज बनाए जाते हैं. हालांकि, देश में 200 से ज्यादा परिवार ऐसे हैं, जहां से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के लिए जजों को चुना जाता है.
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मंत्री का कहना है कि, कॉलेजियम सिस्टम से कहीं ज्यादा योग्यता रहने के बावजूद भी ओबीसी और दलित वर्ग के लोगों को मौका नहीं मिल पाता है. इस पर पुनर्विचार की जरूरत है. उन्होंने कहा कि, इसी का परिणाम है कि कई बार कोर्ट के फैसलों में लगता है कि जस्टिस नहीं हुआ है. इसके पीछे भी कॉलेजियम सिस्टम को कसूरवार माना जा सकता है.