ग्वालियर। पिछले 53 दिन से नए कृषि कानूनों को विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों की अब तक केंद्रीय सरकार से 9 दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन अब तक कुछ भी हल नहीं निकला है. मंगलवार(19 जनवरी) को किसानों के साथ सरकार की दसवीं दौर की वार्ता होने वाली है. उससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को लेकर बड़ा बयान दिया है.
आजादी हमने बहुत मुश्किल से पाई है
मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मेरा किसानों से आग्रह है कि वह 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च न निकालें. गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम पर हमें कोई व्यवधान पैदा नहीं करना चाहिए. यह आजादी हमने बहुत मुश्किल से पाई है. इस आजादी का ख्याल रखें.
किसानों के कदम ने न गड़बड़ हो गरिमा
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी राष्ट्रीय त्योहार है. देश के ये आजादी बड़ी कुर्बानी से मिली है. इसलिए किसान के किसी भी कदम से गणतंत्र दिवस की गरिमा प्रभावित न हो, ये जिम्मेदारी किसानों की भी है. किसान इस फैसले पर पुनर्विचार करें.
पढ़ें- 26 जनवरी को दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड : संयुक्त किसान मोर्चा
आशा है कि रास्ता निकलेगा
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कल फिर दसवीं दौर की किसानों से बातचीत है. मुझे उम्मीद है कि कोई रास्ता निकलेगा. हमने किसानों को कई विकल्प दिए हैं. उस पर चर्चा की जा रही है. लेकिन कुछ राज्यों में इन कानूनों पर किसानों को आपत्ति है. फिर भी सरकार खुले मन से किसानों से चर्चा कर रही है, लेकिन किसान यूनियन प्रावधानों पर चर्चा नहीं कर रही है. बल्कि वे सिर्फ कानूनों की वापसी चाहते हैं. इसलिए गतिरोध जारी है. उन्होंने कहा कि फिर भी मुझे आशा है कि कल किसानों के विकल्प पर बात करेंगे, जिससे कोई रास्ता निकलेगा.
पढ़ें- किसान आंदोलन पर कांग्रेस का डबल स्टैंड- कृषि मंत्री
किसान यूनियन निकालेंगे ट्रैक्टर परेड
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान यूनियन 26 जनवरी को पूरे देश भर में ट्रैक्टर ट्रॉली तिरंगा यात्रा निकालने वाले है. इसमें हजारों की संख्या में किसान शामिल होने की संभावना है. जिसको लेकर ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ने ये बयान दिया है.
पिछले 53 दिन से किसान आंदोलन जारी
केंद्र सरकार ने तीन नए कृषि कानून लागू किए हैं, जिसके विरोध में पिछले 53 दिन से किसान आंदोलन कर रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही MSP पर लिखित आश्वाशन की मांग को लेकर किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसानों और सरकार के बीच 9 दौर की वार्ता हो चुकी है. वहीं मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है, जिसे लेकर कोर्ट ने एक समिति भी गठित की है और इसकी रिपोर्ट आने तक कानूनों पर रोक भी लगाई है. सरकार ने किसानों की अब तक 2 मांगो को मान भी लिया है. लेकिन सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के मूड में नहीं दिख रही.