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MES बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने उठाया रक्षा क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर में धन की कमी का मामला - रक्षा मंत्रालय

ग्वालियर में एमईएस बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा रविवार को एक प्रेस कांन्फ्रेंस आयोजित की गई. एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कपूर ने बताया कि रक्षा क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर में धन की कमी है.

MES Builders Association holds a press conference
MES बिल्डर्स एसोसिएशन ने की प्रेस कांन्फ्रेंस
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Published : Feb 24, 2020, 7:16 AM IST

ग्वालियर । शहर में एमईएस बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कपूर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में होने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर में धन की कमी है, दरअसल एमईएस में काम करने वाले कांट्रेक्टर्स को दो साल से फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है. हमने रक्षा मंत्रालय के सामने उठाया लेकिन आशाजनक जवाब नही मिला.

MES बिल्डर्स एसोसिएशन ने की प्रेस कांन्फ्रेंस

एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कपूर ने बताया कि कॉन्ट्रैक्टर्स का लगभग 2 हजार करोड़ का भुगतान अटका हुआ है और 10 हजार के प्रोजेक्ट फंड की कमी के चलते अटके पड़े हैं. हालात ये है कि राफेल आने को तैयार है, लेकिन उनके लिए हैंगर बनाने को पैसा नही है.

नतीजतन करोड़ों के राफेल खुले में पड़े रहेंगे. हम समय पर काम पूरा करने के लिए संकल्पित है लेकिन धन की कमी आड़े आ रही है. इसके साथ ही अधिकारी ठेकेदारों के काम को और ज्यादा मुश्किल बनाते हैं. एमईएस बिल्डर्स के लिए रक्षा मंत्रालय एक नोडल ऑफिसर बनाए.

इस मांग को लेकर वो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मिले थे. इससे समय की भी बचत होगी और सरकार का धन भी बचेगा. एमईएस में पंजीकरण प्रक्रिया से नौकरशाही का दबाव हटाना चाहिए.

ग्वालियर । शहर में एमईएस बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कपूर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में होने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर में धन की कमी है, दरअसल एमईएस में काम करने वाले कांट्रेक्टर्स को दो साल से फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है. हमने रक्षा मंत्रालय के सामने उठाया लेकिन आशाजनक जवाब नही मिला.

MES बिल्डर्स एसोसिएशन ने की प्रेस कांन्फ्रेंस

एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कपूर ने बताया कि कॉन्ट्रैक्टर्स का लगभग 2 हजार करोड़ का भुगतान अटका हुआ है और 10 हजार के प्रोजेक्ट फंड की कमी के चलते अटके पड़े हैं. हालात ये है कि राफेल आने को तैयार है, लेकिन उनके लिए हैंगर बनाने को पैसा नही है.

नतीजतन करोड़ों के राफेल खुले में पड़े रहेंगे. हम समय पर काम पूरा करने के लिए संकल्पित है लेकिन धन की कमी आड़े आ रही है. इसके साथ ही अधिकारी ठेकेदारों के काम को और ज्यादा मुश्किल बनाते हैं. एमईएस बिल्डर्स के लिए रक्षा मंत्रालय एक नोडल ऑफिसर बनाए.

इस मांग को लेकर वो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मिले थे. इससे समय की भी बचत होगी और सरकार का धन भी बचेगा. एमईएस में पंजीकरण प्रक्रिया से नौकरशाही का दबाव हटाना चाहिए.

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