ग्वालियर। जिले के गोला का मंदिर चौराहे पर 33 साल से प्रस्तावित मार्क हॉस्पिटल को अंचल के बड़े अस्पताल के तौर पर तैयार करने की प्लानिंग शुरू हो गई है. यह प्लानिंग और कोई नहीं बल्कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कर रहे हैं. 33 साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव ने इस अस्पताल की नींव रखी थी, लेकिन यह अस्पताल खटाई में पड़ गया था. एक बार फिर से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता के हॉस्पिटल के सपने को साकार करने का मन बना लिया है.
एम्स या मेदांता की तर्ज पर तैयार होगा मार्क हॉस्पिटल
ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुताबिक अस्पताल को दिल्ली एम्स या मेदांता की तर्ज पर तैयार किया जाएगा. अस्पताल के लिए अभी तक पूरी कार्रवाई और प्रस्तावों की जानकारी मांगी है. सिंधिया इस अस्पताल के निर्माण के लिए मेदांता या किसी दूसरे बड़े हॉस्पिटल के साथ मध्य प्रदेश सरकार का अनुबंध करा सकते हैं. यदि यह अनुबंध नहीं हुआ तो सरकारी खर्च पर एम्स जैसा हॉस्पिटल शुरू कराने पर जोर दे रहे हैं, ताकि लोगों को हर प्रकार के इलाज की सुविधा मिल सके. अगर यह हॉस्पिटल बनकर तैयार हो जाता है, तो ग्वालियर-चंबल ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान के जिले के मरीज भी यहां पर लाभ ले सकेंगे.
मैक्स हॉस्पिटल ग्रुप की टीम ने जगह का किया मुआयना
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुताबिक सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ सांसद ने भी इस हॉस्पिटल को तैयार करने में संकल्पित है. यहां पर किसी निजी क्षेत्र का हॉस्पिटल तैयार होना चाहिए. इसके लिए दो ग्रुपों से बातचीत हो चुकी है. जिसमें से मैक्स ग्रुप की टीम यहां पर आ चुकी है और उन्होंने रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन इस बीच कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने के कारण यह काम विलंब हो गया है. अगर संक्रमण की स्थिति ठीक-ठाक रही, तो आगे आने वाले समय में जल्द ही हॉस्पिटल की रूपरेखा तैयार हो जाएगी.
तीन राज्यों के मरीजों को होगा फायदा
ग्वालियर में अंचल के जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लोग इलाज कराने के लिए आते हैं. अस्पताल के बनने पर इन लोगों के इलाज की व्यवस्था बेहतर होगी. वहीं उपनगर मुरार में कई बड़ी आवासीय कॉलोनियों के साथ 70 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं. इनमें रहने वाले लोग इलाज के लिए मुरार के जिला अस्पताल पर निर्भर रहते हैं. आबादी के हिसाब से इस अस्पताल की सुविधाएं नाकाफी हैं. मार्क हॉस्पिटल के बनने पर गोला का मंदिर पर ही सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सुविधाएं मिलेंगी. फिर उन्हें अंचल के सबसे बड़े जयरोग्य अस्पताल तक नहीं जाना होगा.
1986 में हुआ था मार्क हॉस्पिटल का शिलान्यास
बता दें कि केंद्र सरकार में तत्कालीन मंत्री माधवराव सिंधिया ने 1986 में इस जमीन का आवंटन अस्पताल के लिए कराने के बाद 10 जून 1989 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से इंदिरा गांधी चिकित्सालय के लिए शिलान्यास कराया था. यह अस्पताल सऊदी अरब के सहयोग से किया जाना था लेकिन कुवैत और इराक युद्ध के कारण अस्पताल निर्माण का मामला अटक गया था. यही वजह है कि एक बार फिर अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्क हॉस्पिटल को तैयार करने की योजना बना ली है. संभावनाएं जताई जा रही हैं कि सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही मार्क हॉस्पिटल का काम शुरू हो जाएगा.
इस तरह की जा रही है अस्पताल बनने की प्लानिंग
- गोला का मंदिर चौराहे की करीब 20 एकड़ जगह पर 1986 से 1000 बिस्तर का अस्पताल प्रस्तावित है.
- इसमें अब अस्पताल ब्लॉक के साथ मरीजों के अटेंडेंट के ठहरने के लिए हॉल, कमरे, कैंटीन, पार्किंग, स्पेस आज की सुविधा को ध्यान में रखकर कंट्रक्शन प्लान तैयार होगा.
- ग्वालियर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों से जानकारी ली जाएगी कि स्थानीय स्तर पर किन बीमारियों के इलाज की व्यवस्था अभी उपलब्ध नहीं है, ताकि इन बीमारियों के उपचार की व्यवस्था मार्क हॉस्पिटल में हो सके.
- अस्पताल में गरीब मरीजों के लिए रियायती दरों पर इलाज की शर्त भी हॉस्पिटल चैन वाली ग्रुप के साथ रखी जाएगी.
- बड़े हॉस्पिटल ग्रुप के इलाज सुविधा आदि शर्तों पर यदि बात बनती है, तो इस जमीन पर किसी ग्रुप द्वारा अस्पताल तैयार किया जाएगा.
- निजी अस्पतालों में मेदांता को प्राथमिकता पर रखा गया है. यदि इनसे बात नहीं बनी तो सरकार के खर्च पर अस्पताल एम्स की तर्ज पर तैयार किया जाएगा.