ग्वालियर। हाईकोर्ट की मुख्य खंडपीठ ने ग्वालियर के अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. खंडपीठ ने कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के मामले में प्रमाण पत्र पर बीमारी का उल्लेख नहीं किया जाने का कारण पूछा है. दरअसल, मुख्य पीठ जबलपुर में प्रदेशभर की कोरोना से जुड़ी सभी याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में हो रही है.
हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर की सुनवाई
पिछले दिनों ही हाईकोर्ट के अधिवक्ता उमेश बोहरे ने एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि सरकार मृतकों का आंकड़ा छुपा रही है. हर जिले से कितने लोगों की मौत हुई है. इसका स्पष्ट उल्लेख किया जाए. इसके अलावा मृतक के परिवारों को 15 -15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए. ब्लैक फंगस के लिए जिम्मेवार औद्योगिक ऑक्सीजन को लेकर याचिका में इस बीमारी के फैलने का आरोप लगाया गया है. इसके अलावा हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट जल्द से जल्द लगाए जाने की भी याचिका की मांग की गई है. हाईकोर्ट की मुख्य पीठ ने सरकार से जानना चाहा कि वह कोरोना से संदिग्ध मरीजों की मौत के मामले में मृत्यु का कारण प्रमाण पत्र में उल्लेख क्यों नहीं कर रही है.
भोपाल में नहीं थम रहा कोरोना से मौतों का सिलसिला, सरकारी आंकड़ों से दो गुना ज्यादा हुई मौतें
इस मामले में अब सरकार को महाधिवक्ता के जरिए अपना जवाब एक सप्ताह में पेश करना है. हालांकि केंद्र सरकार मृतक परिवार को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता करने से पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुकी है. उसने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब भी पेश कर दिया है. अधिवक्ता का यह भी आरोप है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जब अप्रैल-मई महीने में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा था, तब सरकार और उसके मंत्री हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट जल्द से जल्द लगाने की बात कर रहे थे, लेकिन कोरोना का असर कम होते ही कई जिलों में इसके प्लांट के स्थापना को भी लेकर सुस्ती से काम चल रहा है.