ग्वालियर। पद रहे या न रहे लेकिन बंगले पर बादशाहत बरकरार रहे. कुछ ऐसा ही सोचना है मध्यप्रदेश के नेताओं का फिर चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी माननीयों से बंगले का मोह नहीं छूटता. मध्यप्रदेश में एक बार फिर बांग्ला पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को उपचुनाव में हार मिल चुकी है बावजूद इसके बंगले पर उनकी बादशाहत कायम है. ऐसे नेताओं में सिर्फ पूर्व विधायक और मंत्री ही नहीं बल्कि सांसद तक शामिल हैं जो किसी पद पर न रहने के बावजूद बंगला नहीं छोड़ रहे हैं. जिन्हें बंगला चाहिए वे चिट्ठी पर चिट्ठी लिखे जा रहे हैं, लेकिन उन्हें बंगला नसीब नहीं हो पा रहा है.
ये हैं बंगलों के बादशाह
सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक इमरती देवी, मुन्नालाल गोयल और पूर्व राज्यसभा सांसद प्रभात झा. इनमें से इमरती और मुन्नालाल चुनाव हार चुके हैं. प्रभात झा राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन पार्टी में किसी बड़े पद पर नहीं हैं, फिर भी बंगला इन तीनों के पास है. अब जिन्हें बंगला चाहिए उनमें ग्वालियर के मौजूद सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और कांग्रेस के 4 विधायक शामिल हैं. ये सभी बंगला एलॉट किए जाने के लिए सरकार को कई बार चिट्ठी लिख चुके हैं , लेकिन सरकार की परेशानी यह है कि जो इन बंगलों में पहले से जमे बैठे हैं वे बंगला खाली करने को तैयार नहीं है. ऐसे में नियमों के मुताबिक जिन्हें बंगला मिलना चाहिए उन्हें बंगला नसीब नहीं पो पा रहा है.
नोटिस देने वाले अधिकारी का ही करा दिया ट्रांसफऱ
ज्योतिरादित्य सिंधिया की सबसे बड़ी समर्थक कही जाने वाली पूर्व महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी पर झांसी रोड पर एक आलीशान सरकारी आलीशान बंगला मौजूद है. जिसमें वो रहती भी हैं.,जबकि नियम के मुताबिक चुनाव हार जाने के बाद उन्हें यह बंगला खाली कर देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. खास बात यह है कि पीडब्ल्यूडी के जिस इंजीनियर ने उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस थमाया था नेताजी ने उल्टे उन्हें ही ट्रांसफर ऑर्डर पकड़वा दिया. कुछ ऐसा ही हाल सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल का भी है. मुन्नालाल के गोयल भी उपचुनाव में हार चुके हैं इसके बावजूद उनके पास मुरार के 7 नंबर चौराहे पर बंगला अलॉट है.इनमें से कोई भी बंगला खाली करने को तैयार नहीं है.
बीजेपी सांसद का भी नहीं छूटता 'बंगला प्रेम'
ऐसा नहीं है कि सिंधिया के समर्थक ही बंगला प्रेमी हैं बल्कि बीजेपी के नेताओं में भी सरकारी बंगलों की चाहत बहुत ज्यादा है. पूर्व राज्यसभा सांसद प्रभात झा के पास भी रेस क्रॉस रोड पर एक आलीशान बंगला है और कई सालों से उनके पास मौजूद है. प्रभात झा राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन वे पार्टी में किसी बड़े पद पर नहीं है बावजूद इसके उनके पास अभी भी बंगला मौजूद है. ग्वालियर के मौजूदा सांसद विवेक नारायण शेजवलकर कई बार खुद को बंगला अलॉट किए जाने के लिए प्रशासन को चिट्ठियां लिख चुके हैं लेकिन उनको अभीतक बंगला अलॉट नहीं हुआ है. बंगलों पर काबिज पुराने नेता बंगलों पर अपनी बादशाहत बनाए रखना चाहते हैं, ऐसे में जो बंगला मिलने के पात्र हैं वे बाहर हैं और जो अपात्र हैं वे अंदर हैं. बंगला न मिलने को लेकर उपचुनाव में जीत कर आए कांग्रेस के विधायक खासे आक्रोशित हैं कि उन्हें बंगला नहीं मिल रहा है और अपात्र सरकारी बंगलों में मौज काट रहे हैं.
ग्वालियर किस पर बंगला कौन बाहर
नाम | पद | बंगला (ग्वालियर) | (बंगला दिल्ली) | मौजूदा स्थिति |
विवेक शेजवलकर | सांसद | नहीं (आवेदन पेंडिंग) | नहीं (आवेदन पेंडिंग) | कोई बंगला नहीं |
सतीश सिकरवार | विधायक (कांग्रेस) | नहीं | - | कोई बंगला नहीं |
सुरेज राजे | विधायक (कांग्रेस) | नहीं | - | कोई बंगला नहीं |
प्रवीण पाठक | विधायक (कांग्रेस) | नहीं | - | कोई बंगला नहीं |
लाखन सिंह यादव | विधायक (कांग्रेस) | नहीं | - | कोई बंगला नहीं |
प्रभात झा | राज्यसभा सांसद (बीजेपी | हां | - | बंगला है |
मुन्नालाल गोयल | पूर्व विधायक | हां | - | बंगला है |
इमरती देवी | पूर्व विधायक | हां | - | बंगला है |
'एडजस्टमेंट' की है उम्मीद
बंगला न खाली करने की वजह है एडजस्टमेंट. नियमों को तोड़ते हुए सरकारी बंगले पर काबिज पूर्व मंत्री इमरती देवी और पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल को लगता है कि उनके नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं. मध्यप्रदेश में भी बीजेपी की सरकार बनवाने में उनका अहम रोल रहा है, ऐसे में सिंधिया समर्थकों को उम्मीद है कि उन्हें निगम मंडलों में जगह मिल सकती है. इसके साथ ही पार्टी उन्हें किसी बड़े पद पर भी एजस्ट कर सकती है. यही वजह है कि कई नोटिस मिल जाने के बाद भी नेताजी बंगले पर अपनी बादशाहत कायम रखने की हर जुगत भिड़ा रहे हैं.