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गोपाल मंदिर में हुआ राधा-कृष्ण का अनोखा श्रृंगार, 50 करोड़ के गहनों से सजे लड्डूगोपाल

ग्वालियर के फूलबाग गोपाल मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार 50 करोड़ रुपए के अधिक की ज्वैलरी से किया गया है. इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान राधाकृष्ण के दर्शन करने मंदिर पहुंच रहे है.

50 करोड़ के गहनों से सजे राधा-कृष्ण
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Published : Aug 23, 2019, 6:21 PM IST

ग्वालियर। देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. इस मौके पर ग्वालियर के फूलबाग गोपाल मंदिर में 50 करोड़ रुपए से अधिक की ज्वैलरी से भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार किया गया है. भगवान श्रीकृष्ण और राधा का यह श्रृंगार साल में एक बार जन्माष्टमी के दिन किया जाता है. भगवान कृष्ण का यह अनुपम श्रृंगार देखने सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है.

50 करोड़ के गहनों से सजे राधा-कृष्ण

जन्माष्टमी के दिन अभिषेक के बाद भगवान को इन आभूषणों से सजाने की परंपरा है. आधी रात को नंदोत्सव के बाद तड़के इस बेशकीमती हीरे जवाहरात के आभूषणों को वापस बैंक के लॉकर में रखा जाता है. इससे पहले यह बैंक के लॉकर में ही रखे रहते थे. लेकिन 2007 में इन गहनों को निकालकर जन्माष्टमी के मौके पर श्री कृष्ण और राधा को पहनाया जाता है. इस दौरान करीब 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करते हैं. इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं. तीन स्तर पर पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था है. पूरे कैंपस को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है.

बताया जाता है कि सिंधिया राजवंश की यह प्राचीन ज्वैलरी मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे. जिसमें हीरे जवाहरात से जुड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने की सात लड़ी का हार, 249 शुद्ध मोतियों की माला, हीरे जड़े कंगन, हीरे और सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशाल चांदी का छत्र, 50 किलो चांदी के बर्तन, भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के झुमके, सहित कई बेशकीमती ज्वैलरी शामिल है. बता दें कि भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है

ग्वालियर। देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. इस मौके पर ग्वालियर के फूलबाग गोपाल मंदिर में 50 करोड़ रुपए से अधिक की ज्वैलरी से भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार किया गया है. भगवान श्रीकृष्ण और राधा का यह श्रृंगार साल में एक बार जन्माष्टमी के दिन किया जाता है. भगवान कृष्ण का यह अनुपम श्रृंगार देखने सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है.

50 करोड़ के गहनों से सजे राधा-कृष्ण

जन्माष्टमी के दिन अभिषेक के बाद भगवान को इन आभूषणों से सजाने की परंपरा है. आधी रात को नंदोत्सव के बाद तड़के इस बेशकीमती हीरे जवाहरात के आभूषणों को वापस बैंक के लॉकर में रखा जाता है. इससे पहले यह बैंक के लॉकर में ही रखे रहते थे. लेकिन 2007 में इन गहनों को निकालकर जन्माष्टमी के मौके पर श्री कृष्ण और राधा को पहनाया जाता है. इस दौरान करीब 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करते हैं. इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं. तीन स्तर पर पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था है. पूरे कैंपस को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है.

बताया जाता है कि सिंधिया राजवंश की यह प्राचीन ज्वैलरी मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे. जिसमें हीरे जवाहरात से जुड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने की सात लड़ी का हार, 249 शुद्ध मोतियों की माला, हीरे जड़े कंगन, हीरे और सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशाल चांदी का छत्र, 50 किलो चांदी के बर्तन, भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के झुमके, सहित कई बेशकीमती ज्वैलरी शामिल है. बता दें कि भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर के ऐतिहासिक फूल बाग स्थित श्री गोपाल मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है यहां रंग बिरंगी लाइट के साथ ही पूरे परिसर को श्रंगारित किया गया है ग्वालियर नगर निगम के आधिपत्य वाले सिंधिया रियासत के बेशकीमती गहनों से भगवान श्री कृष्ण और राधा को विधि विधान से सजाया संवारा गया। इस मौके पर सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं।


Body:दरअसल तत्कालीन कैलाश वासी महाराजा माधवराव प्रथम ने अपनी प्रजा के लिए फूलबाग परिसर में हिंदू ईसाई सिख मुस्लिम धर्म स्थल स्थापित कराए थे। 1921 में स्थापित श्री गोपाल मंदिर को उस समय माधव राव प्रथम ने बेशकीमती सोने चांदी हीरे जवाहरात के गहनों से सजवाया था तब से यह गहने मंदिर की संपत्ति है। इनमें हीरे जवाहरात से जुड़ा स्वर्ण मुकुट पन्ना और सोने की सात लड़ी का हार 249 शुद्ध मोतियों की माला हीरे जड़े कंगन हीरे और सोने की बांसुरी प्रतिमा का विशाल चांदी का छत्र 50 किलो चांदी के बर्तन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के झुमके सोने की नथ कंठी चूड़ियां कड़े सहित कई साजों सामान शामिल है। जिस समय सिंधिया शासक ने इन बेशकीमती आभूषणों को मंदिर में चढ़ाया था तब इसकी कीमत लाखों में थी लेकिन अब यह कीमत बढ़ कर 50 करोड़ हो गई है। हर साल जन्माष्टमी के मौके पर इन आभूषणों को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की इंदरगंज शाखा से निकलवाए जाता है।


Conclusion:जन्माष्टमी के दिन अभिषेक के बाद भगवान को इन आभूषणों से सजाया जाता है आधी रात को नंदोत्सव के बाद तड़के इस बेशकीमती हीरे जवाहरात के आभूषणों को वापस बैंक के लॉकर में रखा जाता है पूर्व में यह बैंक के लॉकर में ही रखे रहते थे लेकिन 2007 में इन गहनों को निकालकर जन्माष्टमी के मौके पर श्री कृष्ण और राधा को पहनाया जाता है इस दौरान करीब 50,000 से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करते हैं जिनकी संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं तीन स्तर पर पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था है वहीं पूरे कैंपस को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है। बाइट प्रदीप सरवटे... मंदिर के पुजारी बाइट केएम गोस्वामी... सीएसपी ग्वालियर बाइट रेणु शिवहरे... महिला श्रद्धालु
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