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मजबूरी में साइकिल से सफर कर रहे मजदूर, अन्य प्रदेशों से वापस आ रहे घर

राजस्थान के जयपुर में फंसे मजदूर सरकार की मदद न मिल पाने के कारण साइकिल से सफर कर अपने घर पहुंच रहे हैं, ऐसे ही कुछ मजदूरों की टोली बीती रात ग्वालियर पहुंची, जो चित्रकूट जा रही थी.

Laborers traveling by bicycle under compulsion
सायकल से सफर कर रहे मजदूर
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Published : May 1, 2020, 9:48 AM IST

Updated : May 17, 2020, 5:01 PM IST

ग्वालियर। लॉकडाउन ने मजदूरों की कमर तोड़कर रख दी है. इस संकट से मजदूरी करने वाले लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. यही वजह है कि अब न तो उनके पास खाने के लिए पैसे हैं और ना ही काम करने के लिए मजदूरी. अब उनको आगे के लिए कोई आस नहीं दिख रही है इसलिए वो अपने घर आना चाह रहे हैं. यही वजह है कि जयपुर से साइकिल से चल कर 20 मजदूर अपने घर चित्रकूट के लिए निकले, जो बीती रात ग्वालियर पहुंचे. ये सोचना भी मुश्किल है की इन हालातों में जयपुर से चित्रकूट के बीच 800 किलोमीटर ये कैसे पार कर रहे होंगे.

सायकल से सफर कर रहे मजदूर

मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से मजदूरी पूरी तरह से बंद है अब सिर्फ संकट पैसे कमाने का है. अगर यही हालात रहे तो वो दिन दूर नही कि हम कोरोना की वजह से नहीं बल्कि भूख की वजह से मर जाएंगे. क्योंकि इस 3-4 महीने तक काम शुरू नहीं हो पाएंगे. सवाल इस बात का है कि सरकार मजदूरों को राशन और पैसा पहुंचाने की बात कर रही है लेकिन ये सिर्फ उनके लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. भले ही सरकार मजदूरों को घर पहुंचाने की बात कर रही हो लेकिन धरातल पर इसकी सच्चाई कुछ अलग ही है.

बेबसी के आगे कितना बड़ा भी संकट छोटा लगने लगता है. यही वजह है कि ये लोग सिर्फ कोरोना से बिना डरे अपने परिवार के पास पहुंचना चाहते हैं. ये सभी मजदूर राजस्थान के जयपुर में पत्थर का काम करते थे, लेकिन महामारी के बीच इनकी मजदूरी पूरी तरह से बंद पड़ी है. इस लॉकडाउन में उन्होंने अपने पैसों से एक महीने का तो खर्चा चला लिया लेकिन अब उनके पास पैसे नहीं हैं और वो भूखे मरने की कगार पर आ चुके हैं.

ग्वालियर। लॉकडाउन ने मजदूरों की कमर तोड़कर रख दी है. इस संकट से मजदूरी करने वाले लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. यही वजह है कि अब न तो उनके पास खाने के लिए पैसे हैं और ना ही काम करने के लिए मजदूरी. अब उनको आगे के लिए कोई आस नहीं दिख रही है इसलिए वो अपने घर आना चाह रहे हैं. यही वजह है कि जयपुर से साइकिल से चल कर 20 मजदूर अपने घर चित्रकूट के लिए निकले, जो बीती रात ग्वालियर पहुंचे. ये सोचना भी मुश्किल है की इन हालातों में जयपुर से चित्रकूट के बीच 800 किलोमीटर ये कैसे पार कर रहे होंगे.

सायकल से सफर कर रहे मजदूर

मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से मजदूरी पूरी तरह से बंद है अब सिर्फ संकट पैसे कमाने का है. अगर यही हालात रहे तो वो दिन दूर नही कि हम कोरोना की वजह से नहीं बल्कि भूख की वजह से मर जाएंगे. क्योंकि इस 3-4 महीने तक काम शुरू नहीं हो पाएंगे. सवाल इस बात का है कि सरकार मजदूरों को राशन और पैसा पहुंचाने की बात कर रही है लेकिन ये सिर्फ उनके लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. भले ही सरकार मजदूरों को घर पहुंचाने की बात कर रही हो लेकिन धरातल पर इसकी सच्चाई कुछ अलग ही है.

बेबसी के आगे कितना बड़ा भी संकट छोटा लगने लगता है. यही वजह है कि ये लोग सिर्फ कोरोना से बिना डरे अपने परिवार के पास पहुंचना चाहते हैं. ये सभी मजदूर राजस्थान के जयपुर में पत्थर का काम करते थे, लेकिन महामारी के बीच इनकी मजदूरी पूरी तरह से बंद पड़ी है. इस लॉकडाउन में उन्होंने अपने पैसों से एक महीने का तो खर्चा चला लिया लेकिन अब उनके पास पैसे नहीं हैं और वो भूखे मरने की कगार पर आ चुके हैं.

Last Updated : May 17, 2020, 5:01 PM IST
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