ग्वालियर। प्रदेश में एक बार फिर गोडसे को लेकर बवाल शुरू हो गया है. 10 जनवरी 2021 को हिंदू महासभा के सदस्यों ने हिंदू महासभा कार्यालय में गोडसे ज्ञानशाला का उद्घाटन किया है. जिसके बाद प्रदेश के सियासी गलियारों में सिर्फ बापू के हत्यारे गोडसे को लेकर चर्चाएं की जा रही हैं. इस बीच सबके जहन में सिर्फ एक ही सवाल उठ रहा है कि पूरे देश में सिर्फ ग्वालियर में ही आखिर क्यों गोडसे को लेकर इतना बवाल मच रहा है.
हिंदू महासभा का गढ़ है ग्वालियर
ग्वालियर शुरू से ही हिंदू महासभा का गढ़ रहा है, जहां आज भी गोडसे को भगवान की तरह पूजा जाता है. मध्य भारत हिंदू महासभा का प्रमुख कार्यालय 80 सालों से यहां मौजूद है. यही वजह है कि बापू का हत्यारा गोडसे का ग्वालियर से गहरा नाता रहा है. ग्वालियर में जब हिंदू महासभा का गढ़ बना ही था, तब से नाथूराम गोडसे ग्वालियर आया-जाया करता था. यहां के दफ्तर में 1947 में नाथूराम गोडसे ने कुछ दिन भी बिताएं हैं. यही वजह है कि यह हिंदू महासभा के सदस्य बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को अपना आराध्य मानते हैं.
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ग्वालियर में गोडसे ने रची बापू हत्याकांड की साजिश
30 जनवरी 1948 को भारत के इतिहास में काला दिन माना जाता है. ये काला दिन इसलिए माना जाता है, क्योंकि इसी दिन शाम को जब दिल्ली के बिड़ला भवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रार्थना सभा से उठ रहे थे, उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू के सीने को गोली से छलनी कर दिया था. बापू को गोली मारने से पहले गोडसे ने कुछ दिन ग्वालियर में रहकर गांधी की जान लेने की तैयारी की थी. ग्वालियर में हिंदू महासभा के नेताओं के साथ मिलकर उसने हत्या की साजिश रची. गांधी की हत्या करने में गोडसे की मदद डॉक्टर परचुरे और उनके परिचित गंगाधर दंडवत ने की थी.
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500 रुपए में पिस्टल खरीदकर ग्वालियर में ली थी ट्रेनिंग
नाथूराम गोडसे ने जिस पिस्टल से बापू की हत्या की थी, उस पिस्टल को चलाने की ट्रेनिंग ग्वालियर में ली थी. ग्वालियर में शिंदे की छावनी वह जगह थी, जहां से गोडसे ने पिस्टल खरीदी और यहीं पर नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की जान लेने का प्रशिक्षण भी दिया गया. नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली और उसके बाद 29 जनवरी की सुबह ग्वालियर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए था.
आज भी बापू की हत्या को मानते हैं एक मिशन
ग्वालियर में हिंदू महासभा के सदस्य आज भी बापू की हत्या को एक मिशन के रूप में मानते हैं. उनका कहना है कि महात्मा गांधी को मारना एक मिशन था. इस मिशन के तहत ही नाथूराम गोडसे ग्वालियर आए था.
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2017 में गोडसे की मूर्ति को लेकर हुआ था बवाल
15 नवंबर 2017 को ग्वालियर में हिंदू महासभा ने हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया था, जिसमें नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित की गई थी. इसके बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में सियासत शुरू हो गई और यह मामला इतना तूल पकड़ा कि देश भर में बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई. उसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंदिर से मूर्ति हटाने का आदेश जारी किया और जिला प्रशासन ने हिंदू महासभा कार्यालय से गोडसे की मूर्ति को जब्त कर लिया था.
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नहीं होती है ठोस कार्रवाई
बीजेपी और शिवराज सरकार लगातार हिंदू महासभा सदस्यों के काम को समाज विरोधी काम बताती है. जिला प्रशासन की ओर से अब तक इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. हिंदू महासभा के पदाधिकारी समय-समय पर घोषिणा कर इनकी पूजा-अर्चना करते हैं और मूर्ति स्थापित करने की बात करते हैं. लेकिन अब तक जिला प्रशासन और सरकार ने इन पर बड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी नहीं किया है.
सब को अपने विचार रखने का अधिकार है-बीजेपी
इस मामले में बीजेपी के जिला अध्यक्ष कमल मखीजानी का जवाब भी काफी अजब है. उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा के लोग किस एजेंसी पर और किस विचारधारा पर काम कर रहे हैं, वही जानते हैं. लेकिन बीजेपी हमेशा गांधीजी के विचारधारा पर चलती है. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. सबको अपने-अपने विचार रखने का अधिकार है. इसलिए हिंदू महासभा के लोग यह सब कर देश में हाईलाइट होना चाहते हैं.
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कांग्रेस ने लगाया आरोप
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद भी हिंदू महासभा के लोग बापू के हत्यारे का गुणगान कर रहे हैं. उनकी विचारधारा पर चल रहे हैं, लेकिन शिवराज सरकार इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.
नाथूराम गोडसे और गांधी विचारधारा
नाथूराम गोडसे को लेकर भारत में लोगों की अलग-अलग विचारधारा रही है. किसी ने उसे अच्छा कहा तो किसी ने बुरा. लेकिन वो सच्चाई कभी नहीं बदल सकती कि वो महात्मा गांधी का हत्यारा था. नाथूराम गोडसे पर बहस हमेशा से होती आई है. और इसी बहस में किसी ने उसे आतंकवादी कहा, हिंदू आतंकवाद से जोड़ा, वहीं कुछ लोगों ने गांधी की हत्या को वध कहा, और नाथूराम गोडसे को महापुरुष. नाथूराम गोडसे को लेकर बीजेपी को हमेशा से ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. जबकि नाथूराम पर भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और कट्टर हिंदू संगठनों की अपनी अलग-अलग विचारधारा है. लेकिन कोई भी हिंदू संगठन अगर गोडसे का महिमामंडन करता है तो आरोप भाजपा पर लगता है.
नाथूराम गोडसे और बीजेपी
गोडसे पर बीजेपी की विचारधारा आरएसएस से भी मिलती है. बीजेपी भी नाथूराम को गांधी जी का हत्यारा ही कहती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि बीजेपी नाथूराम के देशभक्त कहने के खिलाफ हो. दरअसल बीजेपी में हिंदू महासभा, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के लोग भी हैं, और ऐसे भी हैं जो दूसरी पार्टी की विचारधारा रखते हैं वहां से आएं हैं, ऐसे में बीजेपी हमेशा से ही फंसती नजर आती है.