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होलिका दहन में खास इंतजाम, कोरोना वायरस से बचने के लिए होगी विशेष तैयारी - बुराई की प्रतीक होलिका का दहन

ग्वालियर के सराफा बाजार में सालों से होलिका दहन की जाती है, इस बार कोरोना वायरस से बचने के लिए खास तरह की होलिका दहन का इंतजाम किया जा रहा है.

Special arrangements in Holika Dahan
होलिका दहन में खास इंतजाम
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Published : Mar 9, 2020, 6:24 PM IST

ग्वालियर। देश के प्रमुख त्योहारों में से एक होली को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम चरण में है. बुराई की प्रतीक होलिका का दहन किया जाएगा और मंगलवार को होली खेली जाएगी. होलिका दहन के लिए शहर के प्रमुख चौराहों, बाजारों और घरों में होली मनाई जाएगी. लेकिन शहर की सबसे बड़ी और ऊंची कंडों की होलिका का दहन सर्राफा बाजार में होगा.

होलिका दहन में खास इंतजाम

1960 से ग्वालियर के सराफा बाजार एसोसिएशन होलिका दहन का आयोजन कर रहा है, खास बात ये है कि ये होलिका लकड़ी से तैयार ना होकर लगभग 25 हजार से ज्यादा कंडों से तैयार की गई है. इस बार कोरोना वायरस का असर ज्यादा होने के कारण उसके वायरस को मारने का भी इंतजाम किया गया है. होलिका मे बड़ी मात्रा में कपूर, लोंग, काली, मिर्ची और जायपत्री के फल का इस्तेमाल किया गया है.

आयोजकों का कहना है कि आयुर्वेद में किसी भी तरह के वायरस से निपटने के लिए इन देसी मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए उन्होंने भी इस बार होलिका दहन मे कंडों के साथ ही कपूर, लोंग, जायपत्री और काली मिर्ची का इस्तेमाल किया है. खास बात ये भी है कि होलिका दहन यहां मुहूर्त के हिसाब से ना होकर निर्धारित समय रात 10:30 बजे किया जाता है.

ग्वालियर। देश के प्रमुख त्योहारों में से एक होली को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम चरण में है. बुराई की प्रतीक होलिका का दहन किया जाएगा और मंगलवार को होली खेली जाएगी. होलिका दहन के लिए शहर के प्रमुख चौराहों, बाजारों और घरों में होली मनाई जाएगी. लेकिन शहर की सबसे बड़ी और ऊंची कंडों की होलिका का दहन सर्राफा बाजार में होगा.

होलिका दहन में खास इंतजाम

1960 से ग्वालियर के सराफा बाजार एसोसिएशन होलिका दहन का आयोजन कर रहा है, खास बात ये है कि ये होलिका लकड़ी से तैयार ना होकर लगभग 25 हजार से ज्यादा कंडों से तैयार की गई है. इस बार कोरोना वायरस का असर ज्यादा होने के कारण उसके वायरस को मारने का भी इंतजाम किया गया है. होलिका मे बड़ी मात्रा में कपूर, लोंग, काली, मिर्ची और जायपत्री के फल का इस्तेमाल किया गया है.

आयोजकों का कहना है कि आयुर्वेद में किसी भी तरह के वायरस से निपटने के लिए इन देसी मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए उन्होंने भी इस बार होलिका दहन मे कंडों के साथ ही कपूर, लोंग, जायपत्री और काली मिर्ची का इस्तेमाल किया है. खास बात ये भी है कि होलिका दहन यहां मुहूर्त के हिसाब से ना होकर निर्धारित समय रात 10:30 बजे किया जाता है.

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