ग्वालियर । हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों के बाद दो दिन तक मध्यप्रदेश में सियासी उथल-पुथल चलती रही. मिडनाइट पॉलिटिक्स के इस खेल में पहले तो बीजेपी-कांग्रेस मुख्य किरदार में नजर आ रहे थे, लेकिन कमलनाथ सरकार के ऊपर से संकट के बादल छंटने के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सूबे की सियासत में जमकर गूंज रहा है, क्योंकि सरकार गिराने के लिए खेले गए हॉर्स ट्रेडिंग के खेले में सिंधिया समर्थक विधायकों का अहम योगदान रहा.
चर्चा है कि हॉर्स ट्रेडिंग खेल में चंबल अंचल के करीब 5 विधायक शामिल थे. इन पांच विधायकों में तीन विधायक, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव और रणवीर जाटव, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. ऐसे में सियासी गलियारो में चर्चा जोरों पर है कि सिंधिया की पकड़ समर्थक विधायकों पर ही कमजोर हो गई है या फिर सरकार में सीमित दखलंदाजी की वजह से विधायक नए ठिकाने की तलाश में हैं. इस सब के बावजूद सिंधिया की चुप्पी कुछ और इशारा कर रही है, हालांकि वे कह चुके हैं कि मध्यप्रेदश कांग्रेस एक है. सिंधिया समर्थकों के बागी तेवरों पर बीजेपी ने चुटकी ली है.
हॉर्स ट्रेडिंग के बाद आया सियासी भूचाल
बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस प्रवक्ता ने पलटवार किया है. हॉर्स ट्रेडिंग को कांग्रेस ने काले दिवस के रूप में मनाने की बात कही है. हॉर्स ट्रेडिंग के बाद मध्यप्रेदश की राजनीति में आए सियासी भूचाल और सिंधिया समर्थकों की बगावत पर राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को तवज्जो नहीं दी जा रही, इस वजह से विधायक बागी तेवर दिखा रहे हैं.
राज्यसभा के लिए कांग्रेस में मचा घमासान
मध्यप्रेदश की सत्ता में वापसी कराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खूब मेहनत की थी और चंबल अंचल की 34 सीटों में से 25 कांगेस के खाते में आई थीं. हालांकि लोकसभा चुनाव में सिंधिया को करारी शिकस्त मिली, जिसके बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग ने जोर पकड़ा, ये मामला अधर में लटकने के बाद अब राज्यसभा के लिए पार्टी में ही घमासान मचा हुआ है. बीते दो दिनों तक चले सियासी ड्रामे को इन सब से जोड़कर भी देखा जा रहा है....