ETV Bharat / state

दिलों में जगह बनाने के लिए दर-दर की खाक छान रहे 'महाराज'

ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में अपनी सियासी बिसात बिछाने में लगे हुए हैं. खास बात यह है कि अब वह लोगों के घर जा रहे है. उनके घर पर भोजन कर रहे है. इसे कांग्रेस सियासी रूप के तौर पर देख रही है. पढ़िए पूरी खबर..

Jyotiraditya Scindia is meeting people
साल भर से खाक छान रहे' महाराज'
author img

By

Published : Mar 29, 2021, 1:56 PM IST

Updated : May 19, 2021, 6:42 AM IST

ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल हुए एक साल पूरे हो चुके है. इन 365 दिनों में सिंधिया अब बीजेपी में अपनी सियासी बिसात बिछाने में लगे हुए हैं. सबसे खास बात यह है कि वह लगातार 'जमीनी' होते नजर आ रहे है. अब आमजन से मिलने के लिए लोगों के घर जा रहे है. सफाई कर्मी के यहां भोजन कर रहे है, तो वहीं मंदिरों के गलियारों की खाक छानने के साथ ही वह धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, जबकि कांग्रेस में यह रूप उनका देखने को कम ही मिला है. ऐसे में कांग्रेस इसे सियासी रूप के तौर पर देख रही है, तो वहीं सिंधिया कह रहे हैं कि वह धर्म से सियासत को नहीं जोड़ते हैं.

दिलों में जगह बनाने की जद्दोजहद
  • कितने बदल गए 'महाराज'

बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिधाम, धूमेश्वर महादेव, कोटेश्वर मंदिर, करहधाम और रावतपुरा आश्रम जा चुके है. ऐसी अनगिनत तस्वीरें अब सिंधिया की देखने में आने लगी है. सिंधिया को देखकर ऐसा लगता है कि मानों वह अपने उस राजशाही आवरण को उतार कर फेंक देना चाहते हैं. हालांकि यह व्यक्तित्व परिवर्तन भले ही उनके भाजपा संगठन की रीति-नीति में ढलने की पहली शर्त हों, लेकिन बदलते परिवेश में खुद सिंधिया के लिए भी एक जन नेता बनने के लिए ऐसा करना जरूरी है.

  • प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह ने क्या कहा ?

इस पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस छोड़ देने के बाद उनका जनाधार नहीं रहा है. यही वजह है कि अब वह मंदिर- मस्जिद के बहाने हर हफ्ते ग्वालियर में आने को मजबूर है. एक साल में खुद को भाजपा में संगठन स्तर पर मजबूत करने के लिए सिंधिया ने जिस ढंग से कोशिश की है, वह उनकी लंबी पारी का संकेत है. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर कार्यालय से लेकर मध्य प्रदेश में संघ के विभिन्न पदाधिकारियों से मेलजोल बढ़ाना, भाजपा में खुद के धुरंधर विरोधियों से सामंजस्य बैठाना, न सिर्फ उन्हें एक परिपक्व नेता के रूप में प्रदर्शित कर रहा है, बल्कि संगठन में उनकी पैठ भी बना रहा है. वहीं उनके धार्मिक दौरे पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं, तो उस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि धर्म के साथ राजनीति को नहीं जोड़ना चाहिए.

सिंधिया को चुनावी राज्यों में न भेजने पर उठे सवाल, भाजपा ने दिया जवाब

आरपी सिंह का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया संगठन की जरूरत के मुताबिक खुद को पहले से अधिक धार्मिक बना रहे हैं. कांग्रेस में रहते हुए उनके मंदिरों में जाने की संख्या भले ही कम दिखती हों, लेकिन अब उनके अधिकांश दौरे में मंदिरों और धार्मिक समारोह में शिरकत का कार्यक्रम भी होता है.

आरपी सिंह का आरोप है कि जब से सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ा है, तब से उनका जनाधार लगातार गिर रहा है. यही वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बार-बार प्रभु की चरणों में धोक दे रहे है. वह महाराज जो कभी साल में एक बार मंदिरों में कदम रखते थे, वह अब हर महीने 3 से 4 मंदिरों में जा रहे हैं. इसका मतलब यही है कि सिंधिया अब अपने आप को कमजोर समझ रहे हैं. वह अपनी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं.

ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल हुए एक साल पूरे हो चुके है. इन 365 दिनों में सिंधिया अब बीजेपी में अपनी सियासी बिसात बिछाने में लगे हुए हैं. सबसे खास बात यह है कि वह लगातार 'जमीनी' होते नजर आ रहे है. अब आमजन से मिलने के लिए लोगों के घर जा रहे है. सफाई कर्मी के यहां भोजन कर रहे है, तो वहीं मंदिरों के गलियारों की खाक छानने के साथ ही वह धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, जबकि कांग्रेस में यह रूप उनका देखने को कम ही मिला है. ऐसे में कांग्रेस इसे सियासी रूप के तौर पर देख रही है, तो वहीं सिंधिया कह रहे हैं कि वह धर्म से सियासत को नहीं जोड़ते हैं.

दिलों में जगह बनाने की जद्दोजहद
  • कितने बदल गए 'महाराज'

बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिधाम, धूमेश्वर महादेव, कोटेश्वर मंदिर, करहधाम और रावतपुरा आश्रम जा चुके है. ऐसी अनगिनत तस्वीरें अब सिंधिया की देखने में आने लगी है. सिंधिया को देखकर ऐसा लगता है कि मानों वह अपने उस राजशाही आवरण को उतार कर फेंक देना चाहते हैं. हालांकि यह व्यक्तित्व परिवर्तन भले ही उनके भाजपा संगठन की रीति-नीति में ढलने की पहली शर्त हों, लेकिन बदलते परिवेश में खुद सिंधिया के लिए भी एक जन नेता बनने के लिए ऐसा करना जरूरी है.

  • प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह ने क्या कहा ?

इस पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस छोड़ देने के बाद उनका जनाधार नहीं रहा है. यही वजह है कि अब वह मंदिर- मस्जिद के बहाने हर हफ्ते ग्वालियर में आने को मजबूर है. एक साल में खुद को भाजपा में संगठन स्तर पर मजबूत करने के लिए सिंधिया ने जिस ढंग से कोशिश की है, वह उनकी लंबी पारी का संकेत है. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर कार्यालय से लेकर मध्य प्रदेश में संघ के विभिन्न पदाधिकारियों से मेलजोल बढ़ाना, भाजपा में खुद के धुरंधर विरोधियों से सामंजस्य बैठाना, न सिर्फ उन्हें एक परिपक्व नेता के रूप में प्रदर्शित कर रहा है, बल्कि संगठन में उनकी पैठ भी बना रहा है. वहीं उनके धार्मिक दौरे पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं, तो उस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि धर्म के साथ राजनीति को नहीं जोड़ना चाहिए.

सिंधिया को चुनावी राज्यों में न भेजने पर उठे सवाल, भाजपा ने दिया जवाब

आरपी सिंह का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया संगठन की जरूरत के मुताबिक खुद को पहले से अधिक धार्मिक बना रहे हैं. कांग्रेस में रहते हुए उनके मंदिरों में जाने की संख्या भले ही कम दिखती हों, लेकिन अब उनके अधिकांश दौरे में मंदिरों और धार्मिक समारोह में शिरकत का कार्यक्रम भी होता है.

आरपी सिंह का आरोप है कि जब से सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ा है, तब से उनका जनाधार लगातार गिर रहा है. यही वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बार-बार प्रभु की चरणों में धोक दे रहे है. वह महाराज जो कभी साल में एक बार मंदिरों में कदम रखते थे, वह अब हर महीने 3 से 4 मंदिरों में जा रहे हैं. इसका मतलब यही है कि सिंधिया अब अपने आप को कमजोर समझ रहे हैं. वह अपनी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं.

Last Updated : May 19, 2021, 6:42 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.