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ग्वालियर: हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस करेंगे पीएचडी घोटाले की जांच, कोर्ट ने एक महीने में मांगी रिपोर्ट

हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बहुचर्चित पीएचडी घोटाले की जांच का जिम्मा रिटायर्ड जस्टिस डीके पालीवाल को सौंपा है. जीवाजी विश्वविद्यालय से अनुचित तरीके से पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों की जांच कर एक महीने बाद इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी. हाईकोर्ट के ताजा निर्देश के बाद कथित पीएचडी धारक सहित विश्वविद्यालय प्रबंधन भी शक के घेरे में आ गया है.

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Published : Mar 26, 2019, 11:49 PM IST

ग्वालियर| हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बहुचर्चित पीएचडी घोटाले की जांच का जिम्मा रिटायर्ड जस्टिस डीके पालीवाल को सौंपा है. जीवाजी विश्वविद्यालय से अनुचित तरीके से पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों की जांच कर एक महीने बाद इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी. हाईकोर्ट के ताजा निर्देश के बाद कथित पीएचडी धारक सहित विश्वविद्यालय प्रबंधन भी शक के घेरे में आ गया है.

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जीवाजी विश्वविद्यालय से कुछ लोगों ने बिना अनुमति, शैक्षणिक योग्यता और शर्तों के विपरीत पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली थी. खास बात यह है कि इसमें जम्मू-कश्मीर के कई छात्र शामिल थे. इनमें से 8 छात्रों का रिकॉर्ड और एक अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अफसर से जुड़े मामले को आधार बनाकर जनहित याचिका के जरिये हाईकोर्ट के सामने पेश किया था. भोपाल में तैनात ट्राइबल डेवलपमेंट के एक अफसर सुरेंद्र सिंह भंडारी का नाम भी ऐसी डिग्री हासिल करने वालों की सूची में शामिल था. याचिकाकर्ता ने उन्हें भी अपना पक्षकार बनाया.

इस मामले में हाईकोर्ट ने जीवाजी विश्वविद्यालय सहित पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों को भी नोटिस जारी किए थे. सभी का जवाब कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस मामले में रिटायर्ड जज डीके पालीवाल को जांच का जिम्मा सौंपा है और उनसे एक महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी है.

ग्वालियर| हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बहुचर्चित पीएचडी घोटाले की जांच का जिम्मा रिटायर्ड जस्टिस डीके पालीवाल को सौंपा है. जीवाजी विश्वविद्यालय से अनुचित तरीके से पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों की जांच कर एक महीने बाद इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी. हाईकोर्ट के ताजा निर्देश के बाद कथित पीएचडी धारक सहित विश्वविद्यालय प्रबंधन भी शक के घेरे में आ गया है.

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जीवाजी विश्वविद्यालय से कुछ लोगों ने बिना अनुमति, शैक्षणिक योग्यता और शर्तों के विपरीत पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली थी. खास बात यह है कि इसमें जम्मू-कश्मीर के कई छात्र शामिल थे. इनमें से 8 छात्रों का रिकॉर्ड और एक अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अफसर से जुड़े मामले को आधार बनाकर जनहित याचिका के जरिये हाईकोर्ट के सामने पेश किया था. भोपाल में तैनात ट्राइबल डेवलपमेंट के एक अफसर सुरेंद्र सिंह भंडारी का नाम भी ऐसी डिग्री हासिल करने वालों की सूची में शामिल था. याचिकाकर्ता ने उन्हें भी अपना पक्षकार बनाया.

इस मामले में हाईकोर्ट ने जीवाजी विश्वविद्यालय सहित पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों को भी नोटिस जारी किए थे. सभी का जवाब कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस मामले में रिटायर्ड जज डीके पालीवाल को जांच का जिम्मा सौंपा है और उनसे एक महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी है.

Intro:ग्वालियर
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बहुचर्चित पीएचडी घोटाले की जांच का जिम्मा अब रिटायर्ड जस्टिस डीके पालीवाल को सौंपा है। जीवाजी विश्वविद्यालय से अनुचित तरीके से पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों की जांच अब एक महीने में करने के बाद इसकी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी जाएगी। हाई कोर्ट के ताजा निर्देश के बाद कथित पीएचडी धारक सहित विश्वविद्यालय प्रबंधन भी शक के घेरे में आ गया है।


Body:दरअसल जीवाजी विश्वविद्यालय से कुछ लोगों ने बिना अनुमति, शैक्षणिक योग्यता और शर्तों के विपरीत पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली थी। खास बात यह है कि इसमें जम्मू कश्मीर के कई छात्र शामिल थे। इनमें से 8 छात्रों का रिकॉर्ड और एक अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अफसर से जुड़े मामले को आधार बनाकर जनहित याचिका के जरिए हाई कोर्ट के सामने रखा गया था जिसमें मांग की गई थी कि अनुचित तरीके से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उनकी डिग्री निरस्त की जाए। भोपाल में पदस्थ ट्रायवल डेवलपमेंट के एक अफसर सुरेंद्र सिंह भंडारी का नाम भी ऐसी डिग्री हासिल करने वालों की सूची में शामिल था याचिकाकर्ता ने उन्हें भी अपना पक्ष कार बनाया था। आरोप था कि कई लोगों ने घर बैठे बैठे शोध जैसे विषय को पूरा किया था और डॉक्टरेट हासिल की थी।


Conclusion:इस मामले में हाई कोर्ट ने जीवाजी विश्व विद्यालय सहित पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों को भी नोटिस जारी किए थे। सभी का जवाब कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में रिटायर्ड जज डीके पालीवाल को जांच का जिम्मा सौंपा है, और उनसे एक महीने के भीतर रिपोर्ट तलब की है। हाईकोर्ट के सख्त रुख के चलते पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों सहित जीवाजी विश्वविद्यालय प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है। बाइट नितिन अग्रवाल... याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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