ग्वालियर| हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बहुचर्चित पीएचडी घोटाले की जांच का जिम्मा रिटायर्ड जस्टिस डीके पालीवाल को सौंपा है. जीवाजी विश्वविद्यालय से अनुचित तरीके से पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों की जांच कर एक महीने बाद इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी. हाईकोर्ट के ताजा निर्देश के बाद कथित पीएचडी धारक सहित विश्वविद्यालय प्रबंधन भी शक के घेरे में आ गया है.
जीवाजी विश्वविद्यालय से कुछ लोगों ने बिना अनुमति, शैक्षणिक योग्यता और शर्तों के विपरीत पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली थी. खास बात यह है कि इसमें जम्मू-कश्मीर के कई छात्र शामिल थे. इनमें से 8 छात्रों का रिकॉर्ड और एक अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अफसर से जुड़े मामले को आधार बनाकर जनहित याचिका के जरिये हाईकोर्ट के सामने पेश किया था. भोपाल में तैनात ट्राइबल डेवलपमेंट के एक अफसर सुरेंद्र सिंह भंडारी का नाम भी ऐसी डिग्री हासिल करने वालों की सूची में शामिल था. याचिकाकर्ता ने उन्हें भी अपना पक्षकार बनाया.
इस मामले में हाईकोर्ट ने जीवाजी विश्वविद्यालय सहित पीएचडी की डिग्री हासिल करने वालों को भी नोटिस जारी किए थे. सभी का जवाब कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस मामले में रिटायर्ड जज डीके पालीवाल को जांच का जिम्मा सौंपा है और उनसे एक महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी है.