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कोरोना काल में घटी मंदिरों की इनकम, फंड पर चल रहा काम

कोरोना काल में मंदिरों को भी इसी समस्या दो चार होना पड़ रहा है, जिससे ग्वालियर के सार्वजनिक न्यास के मंदिर और उनके ट्रस्टी परेशान हैं. करीब ढाई महीने से मंदिर के पट बंद होने के कारण वहां चढ़ावे और दान आना बंद हो गया है.

Deserted temples in the Corona period
कोरोना काल में सुनसान मंदिर
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Published : Jun 1, 2020, 4:59 AM IST

ग्वालियर। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण दुनियाभर के उद्योगों और कारखानों की कमर टूट चुकी है. लॉकडाउन में ढील देने के बाद भी कारखाने सुचारू रुप से शुरू नहीं हो पा रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं मंदिरों को भी इसी समस्या दो चार होना पड़ रहा है और ग्वालियर के सार्वजनिक न्यास के मंदिर और उनके ट्रस्टी परेशान हैं. करीब ढाई महीने से मंदिर के पट बंद होने के कारण वहां चढ़ावा और दान आना बंद हो गया है. मंदिर ट्रस्टियों के सामने पुजारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं.

मंदिरों की घटी इनकम

इस समय अधिकांश मंदिर अपने फंड में जमा राशि से पैसा निकालकर कर्मचारी, पूजा सामग्री और दूसरे काम कर रहे हैं. अचलेश्वर न्यास मंदिर में रोजाना हजारों भक्तों का आना रहता है, लेकिन इन दिनों भक्त मंदिर में नहीं पहुंचा पा रहे हैं. जिससे मंदिर को मिलने वाला दान और चढ़ोतरी भी नहीं आ रही है. ट्रस्टी के मुताबिक मंदिर में चार पुजारी सहित 35 कर्मचारियों का स्टाफ है.

मंदिर के फंड का सहारा

अचलेश्वर मंदिर ट्रस्टी के मुताबिक सभी खर्चे मिलाकर हर महीने करीब दो लाख रुपये खर्च आता है. वहीं मंदिर का निर्माण कार्य चलने से यह पूरा खर्च मंदिर के जमा फंड से किया जा रहा है. कुछ इसी तरह का मामला साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट का भी है, वहां भी हर महीने आने वाला करीब दो लाख का दान शून्य हो चुका है और यहां के स्टाफ और पूजा-अर्चना के लिए मंदिर के जमा फंड से राशि निकलवाई जा रही है. इसी तरह ही महाराज बाड़ा स्थित प्राचीन दत्त मंदिर का भी है. यहां भी मंदिर के स्टाफ और पूजा के लिए जमा पूंजी को खर्च किया जा रहा है, जबकि मंदिर की आमदनी पूरी तरह से बंद है.

ग्वालियर। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण दुनियाभर के उद्योगों और कारखानों की कमर टूट चुकी है. लॉकडाउन में ढील देने के बाद भी कारखाने सुचारू रुप से शुरू नहीं हो पा रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं मंदिरों को भी इसी समस्या दो चार होना पड़ रहा है और ग्वालियर के सार्वजनिक न्यास के मंदिर और उनके ट्रस्टी परेशान हैं. करीब ढाई महीने से मंदिर के पट बंद होने के कारण वहां चढ़ावा और दान आना बंद हो गया है. मंदिर ट्रस्टियों के सामने पुजारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं.

मंदिरों की घटी इनकम

इस समय अधिकांश मंदिर अपने फंड में जमा राशि से पैसा निकालकर कर्मचारी, पूजा सामग्री और दूसरे काम कर रहे हैं. अचलेश्वर न्यास मंदिर में रोजाना हजारों भक्तों का आना रहता है, लेकिन इन दिनों भक्त मंदिर में नहीं पहुंचा पा रहे हैं. जिससे मंदिर को मिलने वाला दान और चढ़ोतरी भी नहीं आ रही है. ट्रस्टी के मुताबिक मंदिर में चार पुजारी सहित 35 कर्मचारियों का स्टाफ है.

मंदिर के फंड का सहारा

अचलेश्वर मंदिर ट्रस्टी के मुताबिक सभी खर्चे मिलाकर हर महीने करीब दो लाख रुपये खर्च आता है. वहीं मंदिर का निर्माण कार्य चलने से यह पूरा खर्च मंदिर के जमा फंड से किया जा रहा है. कुछ इसी तरह का मामला साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट का भी है, वहां भी हर महीने आने वाला करीब दो लाख का दान शून्य हो चुका है और यहां के स्टाफ और पूजा-अर्चना के लिए मंदिर के जमा फंड से राशि निकलवाई जा रही है. इसी तरह ही महाराज बाड़ा स्थित प्राचीन दत्त मंदिर का भी है. यहां भी मंदिर के स्टाफ और पूजा के लिए जमा पूंजी को खर्च किया जा रहा है, जबकि मंदिर की आमदनी पूरी तरह से बंद है.

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