ग्वालियर। दिल्ली एनसीआर के बाद अब ग्वालियर में वायु प्रदूषण की वजह से पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है. जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान विभाग ने शहर के अलग-अलग वार्डों में जाकर डेढ़ साल तक सर्वे किया, जिसमें यह खुलासा हुआ है. इससे पहले शिकागो यूनिवर्सिटी के एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स में चंबल-ग्वालियर संभाग की हवा को प्रदेशभर में सबसे जहरीला बताया गया है.
जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान अध्ययन शाला ने शहर के अलग-अलग 66 वार्डों में पेड़ों की स्थिति जानने के लिए और शहर के पर्यावरण को लेकर डेढ़ साल तक रिसर्च के बाद यह रिपोर्ट जारी की है. शहर में कई जगह ऐसी थी जहां पर कचरा इकट्ठा करने के कारण पेड़ पूरी तरह नष्ट हो गए हैं.
हर व्यक्ति लगाए 4 पौधे
वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर एचएस शर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय रिसर्च और मानक के अनुसार एक व्यक्ति अपने जीवन काल में 4 पेड़ों से छोड़ी गई ऑक्सीजन ग्रहण करता है. इस आधार पर यह मानक तैयार किया गया है इस लिहाज से शहर में 15 लाख की आबादी पर लगभग 55 लाख और पेड़ों की आवश्यकता है.
शहर में लगाए जाएंगे पेड़
शहर में प्रदूषण को लेकर ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से शहर के आसपास 16 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं. वहीं शहर के आसपास जो भी पहाड़ी वीरान है, उस पर पेड़ लगाने की तैयारी है, आने वाले महीनों में यहां पेड़ लगाए जाने का काम शुरू किया जाएगा.
जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने पहले भी शहर के आसपास की पहाड़ियों और अन्य जगहों पर पेड़ लगाये थे. लेकिन सवाल यह है कि कि पेड़ लगाने के बाद इनकी देखभाल क्यों नहीं की जाती. जो भी पेड़ पहले लगाए गए थे वह सब आज पूरी तरह सूख गए हैं. अब समय आ गया है कि आम लोगों और प्रशासन को पेड़ लगाने के साथ ही उनकी देखभाल करनी चाहिए. क्योंकि अगर कल बचाना है तो हमें आज को संवारना ही होगा.