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वायु प्रदूषण के कारण बिगड़ा पर्यावरण संतुलन, जीवाजी यूनिवर्सिटी के सर्वे में हुआ खुलासा ​​​​​​​ - एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स

ग्वालियर में वायु प्रदूषण की वजह से पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है. यह खुलासा जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर एचएस शर्मा के एक सर्वे में हुआ है

वायु प्रदूषण
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Published : Nov 7, 2019, 12:03 AM IST

ग्वालियर। दिल्ली एनसीआर के बाद अब ग्वालियर में वायु प्रदूषण की वजह से पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है. जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान विभाग ने शहर के अलग-अलग वार्डों में जाकर डेढ़ साल तक सर्वे किया, जिसमें यह खुलासा हुआ है. इससे पहले शिकागो यूनिवर्सिटी के एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स में चंबल-ग्वालियर संभाग की हवा को प्रदेशभर में सबसे जहरीला बताया गया है.

ग्वालियर में वायु प्रदूषण की स्थिति

जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान अध्ययन शाला ने शहर के अलग-अलग 66 वार्डों में पेड़ों की स्थिति जानने के लिए और शहर के पर्यावरण को लेकर डेढ़ साल तक रिसर्च के बाद यह रिपोर्ट जारी की है. शहर में कई जगह ऐसी थी जहां पर कचरा इकट्ठा करने के कारण पेड़ पूरी तरह नष्ट हो गए हैं.

हर व्यक्ति लगाए 4 पौधे

वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर एचएस शर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय रिसर्च और मानक के अनुसार एक व्यक्ति अपने जीवन काल में 4 पेड़ों से छोड़ी गई ऑक्सीजन ग्रहण करता है. इस आधार पर यह मानक तैयार किया गया है इस लिहाज से शहर में 15 लाख की आबादी पर लगभग 55 लाख और पेड़ों की आवश्यकता है.

शहर में लगाए जाएंगे पेड़

शहर में प्रदूषण को लेकर ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से शहर के आसपास 16 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं. वहीं शहर के आसपास जो भी पहाड़ी वीरान है, उस पर पेड़ लगाने की तैयारी है, आने वाले महीनों में यहां पेड़ लगाए जाने का काम शुरू किया जाएगा.

जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने पहले भी शहर के आसपास की पहाड़ियों और अन्य जगहों पर पेड़ लगाये थे. लेकिन सवाल यह है कि कि पेड़ लगाने के बाद इनकी देखभाल क्यों नहीं की जाती. जो भी पेड़ पहले लगाए गए थे वह सब आज पूरी तरह सूख गए हैं. अब समय आ गया है कि आम लोगों और प्रशासन को पेड़ लगाने के साथ ही उनकी देखभाल करनी चाहिए. क्योंकि अगर कल बचाना है तो हमें आज को संवारना ही होगा.

ग्वालियर। दिल्ली एनसीआर के बाद अब ग्वालियर में वायु प्रदूषण की वजह से पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है. जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान विभाग ने शहर के अलग-अलग वार्डों में जाकर डेढ़ साल तक सर्वे किया, जिसमें यह खुलासा हुआ है. इससे पहले शिकागो यूनिवर्सिटी के एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स में चंबल-ग्वालियर संभाग की हवा को प्रदेशभर में सबसे जहरीला बताया गया है.

ग्वालियर में वायु प्रदूषण की स्थिति

जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान अध्ययन शाला ने शहर के अलग-अलग 66 वार्डों में पेड़ों की स्थिति जानने के लिए और शहर के पर्यावरण को लेकर डेढ़ साल तक रिसर्च के बाद यह रिपोर्ट जारी की है. शहर में कई जगह ऐसी थी जहां पर कचरा इकट्ठा करने के कारण पेड़ पूरी तरह नष्ट हो गए हैं.

हर व्यक्ति लगाए 4 पौधे

वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर एचएस शर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय रिसर्च और मानक के अनुसार एक व्यक्ति अपने जीवन काल में 4 पेड़ों से छोड़ी गई ऑक्सीजन ग्रहण करता है. इस आधार पर यह मानक तैयार किया गया है इस लिहाज से शहर में 15 लाख की आबादी पर लगभग 55 लाख और पेड़ों की आवश्यकता है.

शहर में लगाए जाएंगे पेड़

शहर में प्रदूषण को लेकर ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से शहर के आसपास 16 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं. वहीं शहर के आसपास जो भी पहाड़ी वीरान है, उस पर पेड़ लगाने की तैयारी है, आने वाले महीनों में यहां पेड़ लगाए जाने का काम शुरू किया जाएगा.

जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने पहले भी शहर के आसपास की पहाड़ियों और अन्य जगहों पर पेड़ लगाये थे. लेकिन सवाल यह है कि कि पेड़ लगाने के बाद इनकी देखभाल क्यों नहीं की जाती. जो भी पेड़ पहले लगाए गए थे वह सब आज पूरी तरह सूख गए हैं. अब समय आ गया है कि आम लोगों और प्रशासन को पेड़ लगाने के साथ ही उनकी देखभाल करनी चाहिए. क्योंकि अगर कल बचाना है तो हमें आज को संवारना ही होगा.

Intro:ग्वालियर- दिल्ली एनसीआर के बाद अब ग्वालियर शहर में बायु प्रदूषण की वजह से पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है। इसका खुलासा जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर ने शहर के अलग-अलग वार्डों में जाकर डेढ़ साल तक सर्वे किया और जिसके यह खुलासा हुआ है कि ग्वालियर शहर को पर्यावरण संतुलन के लिए अभी 55 लाख पेड़ पौधों की जरूरत है तब जाकर शहर का पर्यावरण संतुलन सामान्य हो पाएगा।शहर में अभी लगभग 4.41 लाख पेड़ है अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार शहर के पर्यावरण को संतुलन के लिए अभी प्रति व्यक्ति को 4 पेड़ लगाना आवश्यक है।


Body:बता दे ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान अध्ययन शाला के द्वारा शहर के अलग अलग 66 वार्डो में पेड़ो की स्थिति जानने के लिए और शहर के पर्यावरण को लेकर डेढ़ साल तक रिसर्च के बाद इसकी रिपोर्ट में यह चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है। सर्वे के दौरान शहर में 117 जातियों की पेड़ मिले। जिसमें शहर में सबसे ज्यादा 39 प्रतिशत औषधीय महत्व के पेड़ मौजूद थे। इसके बाद सौंदर्य करण वाले पेड़ों की संख्या 20 प्रतिशत है और रोड के किनारे लगाए जाने वाले पेड़ों की संख्या 18 प्रतिशत के आसपास है। साथ ही शहर में कई जगह ऐसी थी जहां पर कचरा इकट्ठा करने के कारण पेड़ पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। प्रोफ़ेसर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय रिसर्च और मानक के अनुसार शहर में अभी प्रति व्यक्ति को 4 पेड़ लगाने की जरूरत है एक व्यक्ति अपने जीवन काल में 4 पेड़ों द्वारा छोड़ी गई ऑक्सीजन ग्रहण करता है। इस आधार पर यह मानक तैयार किया गया है इस लिहाज से शहर में 15 लाख की आबादी पर लगभग 55 लाख और पेड़ों की आवश्यकता है।


Conclusion:वही ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से शहर के आसपास 16 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं। जिला प्रशासन की तरफ से सबसे बड़ा चैलेंज पेड़ लगाना है शहर के आसपास जो भी पहाड़ी वीरान है उस पर पेड़ लगाने की तैयारी है अगले आने बाले महीनों में इन पहाड़ी पर पेड़ लगाए लगाने का काम शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग के द्वारा शहर के आसपास की पहाडियो पर पेड़ लगाये गये थे। पुलिस विभाग के द्वारा शहर के कई थाना में पेड़ लगाई गए थे लेकिन सवाल इस बात का है कि पेड़ लगाने के बाद क्या इनकी देखभाल पूरी तरह से हो रही है या फिर यह पेड़ लगाने के बाद पूरी तरह सूख गए हैं।

बाईट - एच एस शर्मा , प्रोपेसर , जीवाजी यूनिवर्सिटी

बाईट - अनुराग चौधरी, कलेक्टर

P2C - अनिल गौर
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