ग्वालियर। पहले सरकारी जमीन पर कब्जा किया. फिर सरकार से जमीन के सड़क चौड़ीकरण में जाने एवं उसके नीचे कथित दावेदारों की अनुमति के बिना नाला बनाने को लेकर प्रतिपूर्ति राशि की शासन से मांग करने वालों की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि दावेदारों ने खुद सरकारी और रेलवे विभाग जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया था. ऐसे में उन्हें मुआवजा मांगने का अधिकार ही नहीं है. उनका सरकारी रेलवे की जमीन पर अवैध अतिक्रमण है. (gwalior illegal possession court) (court held petitioners as illegal occupants) (government got relief from court decision)
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आधा दर्जन लोगों ने की थी प्रतिपूर्ति राशि की मांगः शहर के बीचो बीच पड़ाव स्थित न्यू रेलवे ब्रिज के सामने यह बेशकीमती करोड़ों की जमीन है. जिसका रकबा 209 हेक्टेयर है. इस जमीन पर दावा जताते हुए आधा दर्जन लोगों ने सरकार से प्रतिपूर्ति राशि मांगी थी. उनका कहना था कि जमीन के नीचे से उनकी बिना अनुमति के नाला निकाला गया है. वहीं अब सड़क को चौड़ा किया जा रहा है. इसमें उनकी जमीन भी जा रही है. फिलहाल इस जमीन में बाउंड्री वॉल के अंदर पेड़ पौधे उगे हुए हैं. लेकिन इस जमीन पर कई लोगों की निगाह थी. लिहाजा उन्होंने इस पर अपना कब्जा दिखाते हुए कोर्ट में क्षतिपूर्ति राशि मांगी थी. यदि कोर्ट उनके क्षतिपूर्ति राशि स्वीकार कर लेता तो न केवल यह जमीन निजी हो जाती बल्कि शासन को करोड़ों रुपए प्रतिपूर्ति राशि के रूप में देना पड़ते.दावा खारिज करते हुए कोर्ट ने इसे रेलवे की सरकारी संपत्ति माना है. (gwalior illegal possession court) (court held petitioners as illegal occupants) (government got relief from court decision)
अदालत के फैसले से सरकार को मिली राहतः कोर्ट का कहना है कि मिसिल बंदोबस्त में यह जमीन सरकारी है. पूरी जमीन रेलवे विभाग के नाम पर दर्ज है. गौरतलब है कि पड़ाव नए रेलवे ब्रिज के ठीक सामने स्थित जमीन पर राघवेंद्र तोमर, सीपी शर्मा, राजीव त्रिपाठी, अशोक जैन स्वप्निल जैन सहित अन्य लोगों ने बताया था कि सर्वे क्रमांक 394 ग्राम महल गांव परगना की यह जमीन उनकी निजी है. दावे में यह भी कहा गया था कि उक्त जमीन पर न केवल अंडरग्राउंड नाले का निर्माण कर लिया गया है साथ ही बिना सहमति के सड़क के चौड़ीकरण का अधिकार किया जा रहा है, ऐसे में उन्हें प्रतिपूर्ति राशि दिलाई जाए. कोर्ट के फैसले से सरकार को बड़ी राहत मिली है. इस जमीन का विवाद कई दशकों से चला आ रहा था. (gwalior illegal possession court) (court held petitioners as illegal occupants) (government got relief from court decision)