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फिर चर्चा में आई सिंधिया परिवार की पुश्तैनी कोठी, जाने क्या है पूरा मामला - 16 लोगों पर डकैती का मामला

ग्वालियर की हिरण वन कोठी एक बार फिर चर्चा में है, यहां बिना रिसीवर की अनुमति के बिजली कनेक्शन और बाउंड्री वाल का निर्माण किया गया है, मामले की रिपोर्ट सोमवार को हाई कोर्ट में पेश की जाएगी. हिरण वन सिंधिया परिवार की पुश्तैनी कोठी है.

हिरण वन कोठी, ग्वालियर
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Published : Oct 12, 2019, 7:24 PM IST

ग्वालियर। पिछले करीब 36 सालों से विवादों में रही सिंधिया परिवार की पुश्तैनी हिरणवन कोठी एक बार फिर चर्चा में है. इस बार चर्चा का कारण कोठी के मालिकाना हक को लेकर विवाद नहीं, बल्कि वहां कराया गया निर्माण और बिजली कनेक्शन है. कोठी में रिसीवर की अनुमति के बिना निर्माण कराया गया है. अब इस मामले में रिसीवर सोमवार को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करेंगे.

फिर चर्चा में हिरण वन कोठी


ये है पूरा विवाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और पूर्व सरदार स्वर्गीय संभाजीराव आंग्रे के बीच इस कोठी के आधिपत्य को लेकर विवाद चल रहा था. 1983 में इस कोठी पर बलात कब्जे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया सहित 16 लोगों पर डकैती का मामला दर्ज किया गया था. तत्कालीन संभाजीराव आंग्रे का आरोप था कि उन्हें जबरन कोठी से बेदखल किया गया है, जबकि राजमाता विजयराजे सिंधिया ने उन्हें 1973 में ये कोठी रहने के लिए दी थी. शहर के बसंत बिहार जैसे पॉश इलाके में कई हेक्टेयर में इस कोठी का परिसर फैला हुआ है.


माधवराव और संभाजीराव के देहांत के बाद अब उनके बच्चों यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया और चित्रलेखा के बीच सिविल रिवीजन हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के साथ ही कोठी के लिए दो रिसीवर नियुक्त किए हैं, जब ये रिसीवर 6 अक्टूबर को कोठी का निरीक्षण करने पहुंचे, तो वहां बाउंड्री वाल का निर्माण पाया गया, इसके अलावा बिजली कनेक्शन भी लिया गया है, जिसे रमेश पचौरी के नाम का बताया जा रहा है.


रिसीवर का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ना तो वहां किसी तरह का निर्माण कराया जा सकता है, ना ही कोई बिजली आदि का कनेक्शन लिया जा सकता है. यदि कुछ जरूरी निर्माण कराना भी है तो रिसीवर या कोर्ट की अनुमति जरूरी है. रिसीवर ने अपनी आपत्ति स्थानीय झांसी रोड थाने में दर्ज कराई है, इसके साथ ही बिजली कंपनी को कनेक्शन काटने के लिए भी पत्र लिखा है, अब इस मामले में सोमवार को स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी.

ग्वालियर। पिछले करीब 36 सालों से विवादों में रही सिंधिया परिवार की पुश्तैनी हिरणवन कोठी एक बार फिर चर्चा में है. इस बार चर्चा का कारण कोठी के मालिकाना हक को लेकर विवाद नहीं, बल्कि वहां कराया गया निर्माण और बिजली कनेक्शन है. कोठी में रिसीवर की अनुमति के बिना निर्माण कराया गया है. अब इस मामले में रिसीवर सोमवार को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करेंगे.

फिर चर्चा में हिरण वन कोठी


ये है पूरा विवाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और पूर्व सरदार स्वर्गीय संभाजीराव आंग्रे के बीच इस कोठी के आधिपत्य को लेकर विवाद चल रहा था. 1983 में इस कोठी पर बलात कब्जे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया सहित 16 लोगों पर डकैती का मामला दर्ज किया गया था. तत्कालीन संभाजीराव आंग्रे का आरोप था कि उन्हें जबरन कोठी से बेदखल किया गया है, जबकि राजमाता विजयराजे सिंधिया ने उन्हें 1973 में ये कोठी रहने के लिए दी थी. शहर के बसंत बिहार जैसे पॉश इलाके में कई हेक्टेयर में इस कोठी का परिसर फैला हुआ है.


माधवराव और संभाजीराव के देहांत के बाद अब उनके बच्चों यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया और चित्रलेखा के बीच सिविल रिवीजन हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के साथ ही कोठी के लिए दो रिसीवर नियुक्त किए हैं, जब ये रिसीवर 6 अक्टूबर को कोठी का निरीक्षण करने पहुंचे, तो वहां बाउंड्री वाल का निर्माण पाया गया, इसके अलावा बिजली कनेक्शन भी लिया गया है, जिसे रमेश पचौरी के नाम का बताया जा रहा है.


रिसीवर का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ना तो वहां किसी तरह का निर्माण कराया जा सकता है, ना ही कोई बिजली आदि का कनेक्शन लिया जा सकता है. यदि कुछ जरूरी निर्माण कराना भी है तो रिसीवर या कोर्ट की अनुमति जरूरी है. रिसीवर ने अपनी आपत्ति स्थानीय झांसी रोड थाने में दर्ज कराई है, इसके साथ ही बिजली कंपनी को कनेक्शन काटने के लिए भी पत्र लिखा है, अब इस मामले में सोमवार को स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी.

Intro:ग्वालियर
पिछले करीब 36 सालों से विवादों में रही सिंधिया परिवार की हिरणवन कोठी एक बार फिर चर्चा में है इस बार चर्चा का कारण कोठी के मालिकाना हक को लेकर विवाद नहीं है बल्कि वहां कराया गया निर्माण और बिजली कनेक्शन को लेकर यह विवाद छिड़ा हुआ है कि आखिर यहां रिसीवर की अनुमति के बिना निर्माण कराया है। रिसीवर सोमवार को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करेंगे।


Body:दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और पूर्व सरदार स्वर्गीय संभाजीराव आंग्रे के बीच इस कोठी के आधिपत्य को लेकर विवाद चल रहा था 1983 में इस कोठी पर बलात कब्जे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंधिया सहित 16 लोगों पर डकैती का मामला दर्ज किया गया था ।तत्कालीन संभाजीराव आंग्रे का आरोप था कि उन्हें जबरन कोठी से बेदखल किया गया है जबकि राजमाता विजयराजे सिंधिया ने उन्हें 1973 में यह कोठी रहने के लिए दी थी। शहर के बसंत बिहार जैसे पॉश इलाके में कई हेक्टेयर में यह कोठी का परिसर फैला हुआ है स्वर्गीय माधवराव और स्वर्गीय संभाजीराव के देहांत के बाद अब उनके बच्चों यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया और चित्रलेखा के बीच सिविल रिवीजन हाईकोर्ट में लंबित है। हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के साथ ही कोठी के लिए दो रिसीवर नियुक्त किए हैं जब यह रिसीवर 6 अक्टूबर को कोठी का निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां बाउंड्री वाल का निर्माण पाया गया इसके अलावा बिजली कनेक्शन भी वहां लिया गया है। जिसे रमेश पचौरी के नाम का बताया जाता है।


Conclusion:रिसीवर का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ना तो वहां किसी तरह का निर्माण कराया जा सकता है ना ही कोई बिजली आदि का कनेक्शन लिया जा सकता है यदि आवश्यक रूप से कुछ निर्माण कराना भी है तो रिसीवर अथवा कोर्ट की अनुमति आवश्यक है। रिसीवर ने अपनी आपत्ति स्थानीय झांसी रोड थाने में दर्ज कराई है इसके साथ ही बिजली कंपनी को कनेक्शन काटने के लिए भी पत्र दिया है अब इस मामले में सोमवार को स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी।
बाइट शैलेंद्र सिंह कुशवाहा रिसीवर हिरण वन कोठी ग्वालियर
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