ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बार फिर कलेक्टर पर नियमों की अनदेखी करने पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. हर्जाने की राशि कलेक्टर को उस युवक के खाते में एक महीने के अंदर ट्रांसफर करना होगी. जिसे अकारण 22 दिनों तक जेल काटनी पड़ी थी. संदीप वाल्मीकि के खिलाफ अलग-अलग थानों में कुछ मामले दर्ज हैं. ग्वालियर कलेक्टर ने उसके खिलाफ 20 सितंबर 2020 को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसएस के तहत कार्रवाई की थी.
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आरोपी ने कार्रवाई को HC में दी चुनौती
नियमानुसार कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम को शासन के समक्ष अपने द्वारा की गई कार्रवाई को पुष्टि के लिए 12 दिनों के भीतर भेजना था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. शासन ने इस मामले में कोर्ट में जो जवाब पेश किया है, उसमें भी यह तथ्य को स्वीकार किया है कि संदीप वाल्मीकि के मामले में 12 दिन के भीतर शासन को NSA की कन्फर्मेशन रिपोर्ट नहीं भेजी गई. इस दौरान संदीप को 26 अप्रैल 2021 को गिरफ्तार कर लिया गया था, बाद में उसे 17 मई को जेल से रिहा कर दिया गया. इस दौरान संदीप ने अपने खिलाफ की गई कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
फरियादी के खाते में जमा हो राशि- HC
हाई कोर्ट में इस मामले के पहुंचने पर उस पर लगी एनएसए की कार्रवाई भी हटा दी गई. लेकिन कोर्ट ने जिला प्रशासन के कृत्य को गंभीर माना और शासन पर पचास हजार रुपए की कॉस्ट लगा दी. इस कास्ट की राशि को फरियादी संदीप वाल्मीकि के अकाउंट में एक महीने के भीतर प्रशासन को ट्रांसफर करना होगा. हाईकोर्ट ने फरियादी को यह भी स्वतंत्रता दी है कि यदि वह और राशि क्षतिपूर्ति राशि के रूप में चाहता है तो अलग से पिटीजन कोर्ट में दायर कर सकता है. गौरतलब है कि इससे पहले तीन अन्य मामलों में खाद्य पदार्थों की कालाबाजारी करने और अपमिश्रण के प्रकरणों में भी कलेक्टर ने एनएसए की कार्रवाई की थी लेकिन उनकी कंफर्मेशन के लिए शासन को खतोकिताबत नहीं की थी. जिसके कारण उन पर पहले भी उन पर 10 -10 हजार रुपए की कॉस्ट लग चुकी है. इनमें ग्वालियर, गुना और मुरैना से यह प्रकरण थे.