ग्वालियर। होली जैसे त्यौहार पर रंग और गुलाल की भारी डिमांड रहती है. ऐसे में बाजारों में मिलने वाले रंग और गुलाल कई बार सब स्टैंडर्ड के बना दिए जाते हैं. जिससे वे शरीर के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं. इसे लेकर अब भोपाल और ग्वालियर के वन विभाग ने हर्बल गुलाल और कलर तैयार किए हैं और फूलों की पंखुड़ियों से यह गुलाल तैयार किए गए हैं. इन्हें अरारोट के साथ मिलाकर बनाया गया है.
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अरारोट की मदद हर्बल गुलाल तैयार
खास बात यह है कि बाजार के रंग यानी गुलाल शारीरिक रूप से नुकसानदेह साबित होते हैं लेकिन यह गुलाब ना सिर्फ प्राकृतिक होते हैं बल्कि त्वचा के लिए भी फायदेमंद होते हैं. वन विभाग ने अपने घाटीगांव क्षेत्र स्थित फॉरेस्ट गार्डों की मदद से पलाश और गुलाल की पत्तियों के अर्क और अरारोट की मदद से इन गुलाल और रंगों को तैयार किया ह. इससे पहले गुलाल के पैकेट भोपाल से विंध्य के नाम से आते थे, उन्हें भी हर्बल तरीके से तैयार किया जाता था.
गुलाल बनाने के लिए आगे आया वन विभाग
लेकिन इस बार ग्वालियर के वन विभाग ने भी अपनी तरह का हर्बल गुलाल तैयार किया है. यह 10 और 30 रुपये के पाउच में लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है. वन विभाग के मुताबिक फिलहाल उन्होंने इसे कम मात्रा में तैयार किया है. सिर्फ 30 किलो यह गुलाल बनाया गया है. वह भी अब खत्म होने के कगार पर है. इसकी बिक्री ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित वन परिक्षेत्र में स्थित संजीवनी औषधालय से की जा रही है.