ग्वालियर। कोविड-19 के दौरान भर्ती किए गए नर्सेज, जीएनएम, एएनएम, और लैब टेक्नीशियन को अब नौकरी से निकाला जा रहा है. इसके विरोध में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने संकट के दौर में अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों की देखरेख की है, जिनसे उनके परिजन भी बीमारी के चलते दूर हो गए थे, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट बेस पर रखे गए इन कर्मचारियों को अब बिना कारण बताए नौकरी से निकाला जा रहा है.
ग्वालियर के विभिन्न कोविड-19 सेंटर के लिए लगभग 90 नर्सेज, जीएनएम, एएनएम और लैब टेक्नीशियन को नौकरी पर रखा गया था, लेकिन अब स्वास्थ्य मिशन इन कर्मचारियों का अनुबंध खत्म कर उन्हें निकालने पर तुला हुआ है. जबकि उन्हें स्थायित्व की जरूरत है. कोविड-19 के दौरान काम करने वाले कर्मचारियों को 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने की भी मांग की गई है. अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों ने स्थानीय फूलबाग चौराहे पर धरना प्रदर्शन किया.
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अस्थाई कर्मचारी राखी का कहना है कि हमने कोरोना महामारी के उस वक्त में अपनी सेवाएं दी हैं, जब लोग एक दूसरे से दूर भाग रहे थे, तब हमने मौत के मुंह में जाकर काम किया है. 12 से लेकर 24-24 घंटे तक अपनी सेवाएं दी हैं. मरीजों को खाना खिलाने से लेकर उन्हें दवाई तक उनके पास बैठकर दी है. वो भी ऐसे वक्त में जब रिश्तेदार भी मरीज से दूर भाग रहे थे. अब ऐसे में हमे निकालने की प्रक्रिया चल रही है. हम 90 स्टॉफ हैं, ऐसे में अब हमारे साथ ऐसी ज्यादती नहीं चलेगी. स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि अगर स्वास्थ्य विभाग को हमें निकालना ही था और सरकारी स्कूल के बच्चों को प्राथमिकता देनी थी तो हमें उस समय में क्यों जगह दी गई थी. स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मांग की उन्हें अस्थाई से स्थाई किया जाए. अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो अनशन पर उतरेंगे.
स्वास्थ्य कर्मियों ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से न्याय की गुहार लगाई है, फिलहाल मंत्री तोमर ने इस बारे में भोपाल स्तर पर बात करने का आश्वासन देकर उन्हें मदद का भरोसा दिलाया है.