ग्वालियर। पिछले साल कोरोना संक्रमण में भर्ती किए गए स्वास्थ्यकर्मी अचानक नौकरी से निकाल दिए गए. अब जबकि संक्रमण की दूसरी लहर आई है, तो फिर उन्हें भर्ती कर लिया गया. लेकिन संक्रमण का असर कम होते ही निकालने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. यह कहना है उन स्वास्थ्यकर्मियों का, जिन्हें अस्थाई रूप से नौकरी पर रखा गया था. वहीं इस संबंध में स्वास्थ्यकर्मियों ने मांग की है कि उन्हें स्थाई किया जाए. उनका कहना है कि जब सरकार के पास स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा पद खाली हैं, तो फिर उन्हें स्थाई नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है.
सरकार पर स्वास्थ्यकर्मियों के आरोप
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि, वह जनप्रतिनिधि, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं ताकि उन्हें स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर पद खाली हैं. स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि वह उचित ट्रेनिंग लेकर सक्षम पद के लिए पूरी पात्रता रखते हैं, फिर भी उन्हें स्थाई नियुक्ति प्रदान नहीं की जा रही है. कोरोना की दूसरी लहर के समय भी ऐसा ही हो रहा है. स्थिति बिगड़ने पर सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों को वापस तो बुला लिया, लेकिन यह नियुक्ति भी अस्थाई निकली.
अब स्वास्थ्य कर्मियों ने मांग की है कि जब सरकार के पास स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा पद खाली हैं, तो उन्हें स्थाई नियुक्ति दी जाए. स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ और नर्स के लिए एक लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. स्वास्थ्य कर्मियों ने आगे कहा कि आखिर कब तक वह अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की मदद करते रहेंगे. इस दौरान कई स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और उनके परिवार भी इससे अछूते नहीं हैं. वहीं महामारी के चलते कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है.
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हड़ताल की दी चेतावनी
वहीं दूसरी तरफ पैरामेडिकल स्टाफ ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर उन्हें स्थाई नियुक्ति प्रदान करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाएगी तो वह अपनी नौकरियां छोड़ हड़ताल शुरू करेंगे.