ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने वाले उस पिता पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है, जिसने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की और अपने बच्चों को अवैधानिक रूप से 3 लोगों द्वारा अपने कब्जे में रखने की बात बताई. कोर्ट में याचिकाकर्ता की पत्नी बच्चों को लेकर पेश हुई और उसने पूरी कहानी से पर्दा उठा दिया.
दरअसल, अनीता और धर्मेंद्र की शादी करीब 12 साल पहले हुई थी. उनके दो बेटे सात और नौ साल के हैं. लेकिन पारिवारिक विवाद के चलते पति पत्नी अलग रहने लगी. धर्मेंद्र कुशवाहा किसी तरह अपने दोनों बच्चों को पत्नी से हासिल करना चाहता था, उसने अपनी पत्नी अनीता के नाम की जगह आरती और दो अन्य लोगों को पक्षकार बनाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की लगाई और कहा कि यह तीनों लोगों ने मेरे बच्चों को अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा हुआ है.
जबकि धर्मेंद्र के दोनों बच्चे उसकी पत्नी यानि बच्चों की मां के पास थे, उन्हें किसी ने किडनैप या अवैध निरोध में नहीं रखा हुआ था. आरती यानी अनीता अपने बच्चों के साथ कोर्ट में पेश हुई और बच्चों ने मां के साथ रहने की इच्छा जताई, इसके बाद कोर्ट को धर्मेंद्र की करतूत का पता चला.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने कोर्ट का कीमती वक्त बर्बाद किया. बच्चों के स्वभाविक पालक माता-पिता होते हैं, और बच्चे मां के पास हैं. यदि धर्मेंद्र को बच्चे हासिल करने थे तो पालक संरक्षण अधिनियम के तहत दूसरी कोर्ट में याचिका दायर कर सकता था. लेकिन उसने कोर्ट को ही गुमराह करने की कोशिश की. इसलिए, कोर्ट ने उस पर 50 हजार का जुर्माना लगाया और याचिका को खारिज कर दिया.