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सर्दी की रातों में सड़कों पर रह रहे गरीब, फिर किस लिए बने हैं यह रैन बसेरे, जानिए क्या है हकीकत

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Published : Jan 11, 2023, 11:12 PM IST

इस समय ग्वालियर अंचल में ठंड और बढ़ती शीत लहर के कारण लोगो जीवन अस्त-व्यस्त है पारा भी अपनी न्यूनतम सीमा तक पहुंच रहा है. जहां एक तरफ कड़कड़ाती ठंड में लोग अपने घरों में कैद है तो वहीं इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में गरीब सड़कों पर रहने को मजबूर नजर आ रहा है रैन बसेरे में भी जाना पसंद नहीं करते हैं. (gwalior weather news)

winter night in gwalior
सर्दी की रातों में सड़कों पर रह रहे गरीब
सर्दी की रातों में सड़कों पर रह रहे गरीब

ग्वालियर। शहर में पड़ रही ठंड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रशासन द्वारा निरंतर स्कूलों की छुट्टी बढ़ाई जा रही है तो वही कामों पर से भी लोग जल्दी अपने घर आ रहे हैं. वहीं शहर में एक तबका ऐसा भी है जिसके ऊपर ना तो छत है और ना ही कोई घर और यह तबका सड़क पर सर्दियों में अपनी रातें बिताने को मजबूर है क्योंकि नगर निगम द्वारा इनकी मदद के लिए व्यवस्था तो की गई है लेकिन मॉनिटरिंग ना होने के चलते उस व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कहने को तो नगर निगम द्वारा गरीबों व जरूरतमंदों के लिए अलावा की व्यवस्था की गई है जिसके माध्यम से उन्हें लकड़ियां सप्लाई की गई हैं लेकिन जमीनी हकीकत में लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. (winter night in gwalior)

असुरक्षित रैन बसेरे: रोडवेज बस स्टैंड रेन बसेरे से लगभग 100 मीटर की दूरी पर सड़क किनारे रह रहे शिवपुरी निवासी नत्थू ने बताया कि साहब हम वहां (रैन बसेरा) नहीं जाएंगे क्योंकि वहां पर हमारे साथ कई बार चोरी बल्लू जैसी घटनाएं हो चुकी हैं. इसके साथ ही रात में असामाजिक तत्व आकर उनके साथ अभद्रता तो करते ही हैं साथ ही उनकी बहू बेटियों पर भी गलत नजर डालते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व जब वे रैन बसेरे में रह रहे थे तो उनके बच्चे का महंगा मोबाइल चोरी हो गया था जिसका आज तक कोई पता नहीं चला है. सड़क किनारे रह रही एक युवती ने बताया की हम लोग वहां नहीं जाएंगे क्योंकि वहां का माहौल सही नहीं है कोई भी गलत व्यवहार करने लगता है और कोई वहां सुनने वाला भी नहीं है. (gwalior unsafe night shelters)

रैन बसेरे हैं फुल: नगर निगम द्वारा बस स्टैंड के समीप बनाए गए रैन बसेरे पर जब स्थिति का जायजा लिया गया तो वहां दोनों रेन बसेरे पूरी तरह खाली मिले जबकि यहां के केयरटेकर का कहना था कि रात में यह सभी रैन बसेरे फुल हो जाते हैं आपको बता दें कि दोनों रैन बसेरों में लगभग आधा सैकड़ा पलंग है. यही नहीं ठंड के कारण शहर भर के रैन बसेरा पूरी तरह फुल है और कई रैन बसेरा ऐसे हैं जिनमें कई ऐसे लोग हैं जो महीनों से आराम फरमा रहे हैं लेकिन प्रशासन की इन पर नजर नहीं है या यह कहें कि उनकी अनदेखी के चलते जो बेसहारा लोग हैं वह सड़क पर रहने के लिए मजबूर हैं.

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नहीं जल रहे अलाव: सड़क किनारे रह रहे इन गरीबों को किसी भी तरह की लकड़ी नहीं मिली है. इनकी माने तो खाना बनाने के लिए भी यह बड़ी मुश्किल से कहीं से लकड़ी लाते हैं और शाम का चूल्हा जलाते हैं. वही जब इस मामले को लेकर नगर निगम के कमिश्नर किशोर कन्याल से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि इस समय अंचल में ठंड बहुत है ऐसे में शहर में अलाव की व्यवस्था पूरी व्यवस्था है. शहर के 2 सैकड़ा से अधिक स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं साथ ही जब उनसे पूछा बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरा में जगह नहीं है तो जानकारी लेने की बात कही है.

सर्दी की रातों में सड़कों पर रह रहे गरीब

ग्वालियर। शहर में पड़ रही ठंड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रशासन द्वारा निरंतर स्कूलों की छुट्टी बढ़ाई जा रही है तो वही कामों पर से भी लोग जल्दी अपने घर आ रहे हैं. वहीं शहर में एक तबका ऐसा भी है जिसके ऊपर ना तो छत है और ना ही कोई घर और यह तबका सड़क पर सर्दियों में अपनी रातें बिताने को मजबूर है क्योंकि नगर निगम द्वारा इनकी मदद के लिए व्यवस्था तो की गई है लेकिन मॉनिटरिंग ना होने के चलते उस व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कहने को तो नगर निगम द्वारा गरीबों व जरूरतमंदों के लिए अलावा की व्यवस्था की गई है जिसके माध्यम से उन्हें लकड़ियां सप्लाई की गई हैं लेकिन जमीनी हकीकत में लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. (winter night in gwalior)

असुरक्षित रैन बसेरे: रोडवेज बस स्टैंड रेन बसेरे से लगभग 100 मीटर की दूरी पर सड़क किनारे रह रहे शिवपुरी निवासी नत्थू ने बताया कि साहब हम वहां (रैन बसेरा) नहीं जाएंगे क्योंकि वहां पर हमारे साथ कई बार चोरी बल्लू जैसी घटनाएं हो चुकी हैं. इसके साथ ही रात में असामाजिक तत्व आकर उनके साथ अभद्रता तो करते ही हैं साथ ही उनकी बहू बेटियों पर भी गलत नजर डालते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व जब वे रैन बसेरे में रह रहे थे तो उनके बच्चे का महंगा मोबाइल चोरी हो गया था जिसका आज तक कोई पता नहीं चला है. सड़क किनारे रह रही एक युवती ने बताया की हम लोग वहां नहीं जाएंगे क्योंकि वहां का माहौल सही नहीं है कोई भी गलत व्यवहार करने लगता है और कोई वहां सुनने वाला भी नहीं है. (gwalior unsafe night shelters)

रैन बसेरे हैं फुल: नगर निगम द्वारा बस स्टैंड के समीप बनाए गए रैन बसेरे पर जब स्थिति का जायजा लिया गया तो वहां दोनों रेन बसेरे पूरी तरह खाली मिले जबकि यहां के केयरटेकर का कहना था कि रात में यह सभी रैन बसेरे फुल हो जाते हैं आपको बता दें कि दोनों रैन बसेरों में लगभग आधा सैकड़ा पलंग है. यही नहीं ठंड के कारण शहर भर के रैन बसेरा पूरी तरह फुल है और कई रैन बसेरा ऐसे हैं जिनमें कई ऐसे लोग हैं जो महीनों से आराम फरमा रहे हैं लेकिन प्रशासन की इन पर नजर नहीं है या यह कहें कि उनकी अनदेखी के चलते जो बेसहारा लोग हैं वह सड़क पर रहने के लिए मजबूर हैं.

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नहीं जल रहे अलाव: सड़क किनारे रह रहे इन गरीबों को किसी भी तरह की लकड़ी नहीं मिली है. इनकी माने तो खाना बनाने के लिए भी यह बड़ी मुश्किल से कहीं से लकड़ी लाते हैं और शाम का चूल्हा जलाते हैं. वही जब इस मामले को लेकर नगर निगम के कमिश्नर किशोर कन्याल से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि इस समय अंचल में ठंड बहुत है ऐसे में शहर में अलाव की व्यवस्था पूरी व्यवस्था है. शहर के 2 सैकड़ा से अधिक स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं साथ ही जब उनसे पूछा बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरा में जगह नहीं है तो जानकारी लेने की बात कही है.

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