ग्वालियर। नगर की बदहाल सड़कों ने पहले से ही नागरिकों का जीवन दूभर कर रखा है और उससे जनता की नाराजगी ने सरकार और सत्ताधारी लोगों की नींद हराम कर दी है. लेकिन अब शहर में टूटी सड़कों के कारण नगर निगम की नींद भी उड़ाकर रख दी है. बढ़ते प्रदूषण से निगम अफसर इसलिए परेशान हैं क्योंकि अगर यह नियंत्रित नहीं हुआ तो उसे करोड़ों रुपये का घाटा सहना पड़ेगा, केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में भारी कटौती हो जाएगी.
ग्वालियर में बढ़ता जा रहा वायु प्रदूषण: ग्वालियर में वायु प्रदूषण का स्तर तमाम प्रयासों के बाद भी घटने की जगह बढ़ता जा रहा है. बीते एक सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि की AQI का औसतन आंकड़ा 200 से ज्यादा है. जिसे बुरे दिनों यानि बेड डेज की श्रेणी में रखा जाता है. इसके चलते केंद्र सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि में से 45 करोड़ रुपए काट लिए गए थे, जबकि मिलने 51 करोड़ रुपए थे. ऐसे में यदि इस वित्तीय वर्ष में भी प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहा तो ग्वालियर नगर निगम को मिलने वाली राशि में कटौती होने की संभावना है.
धूल उड़ती सड़कों को बनाने का काम शुरू: वहीं लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर नगर निगम कमिश्नर किशोर कल्याण का कहना है कि सर्दी के समय तापमान में गिरावट आ रही है, इस कारण प्रदूषण का स्तर थोड़ा वर्धा है, तो वही शहर की उन सड़कों को बनाने का काम शुरू किया जा रहा है जिन पर धूल उड़ रही है.
सुबह मॉर्निंग वॉक पर ना जाएं बच्चे और बुजुर्ग: जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हरेंद्र शर्मा का कहना है कि ''शहर में सड़कों से जो धूल उड़ रही है उसके कारण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, वही सर्दी के मौसम में लगातार तापमान में गिरावट आ रही है इसलिए सुबह के वक्त वायु प्रदूषण अधिक रहता है. लगातार शहर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर उन्होंने चेतावनी दी है कि सुबह के वक्त खासकर बच्चे और बुजुर्ग मॉर्निंग वॉक पर ना जाएं, थोड़ी धूप होने के बाद ही घर से निकले. क्योंकि शहर का बढ़ता प्रदूषण खासकर बच्चों और बुजुर्गों को काफी परेशानी में डाल सकता है उनका स्वास्थ्य खराब कर सकता है''.
ये है ग्वालियर में प्रदूषण विभाग के 4 स्टेशनों की स्थिति
- - डीडी नगर यहां बीते दस दिनों से ही मॉनिटरिंग का काम शुरू हुआ है, यहां लगातार दस दिनों से एक्यूआई 200 से ज्यादा है.
- - महाराज बाड़ा यहां 38 दिनों का रिकॉर्ड उपलब्ध है. यहां केवल 5 दिन एक्यूआई 200 से कम यानी कि गुड डेज वाली स्थिति रही. शेष 33 दिन एक्यूआई 200 से ज्यादा रहा, इसे बेड डेज की श्रेणी में माना जाएगा.
- - सिटी सेंटर यहां 242 दिन एक्यूआई 200 से कम रहा, जबकि 58 दिन 200 से ज्यादा रहा.
- - फूलबाग: इस क्षेत्र में 58 दिन गुड डेज की श्रेणी के रहे, जबकि 7 दिन बेड डेज की श्रेणी में.