ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों की उपयोगिता को लेकर सवाल उठाए हैं. हाई कोर्ट का कहना है कि थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे शोपीस बनकर नहीं रहने चाहिए, ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि यह पुलिस विवेचना में भी काम आ सकें. कोर्ट ने पुलिस थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों को बकायदा मेनटेन करने के आदेश दिए हैं. कम से कम 1 साल तक कैमरों की मेमोरी सुरक्षित रखने के निर्देश भी हाई कोर्ट ने दिए.
दरअसल, मुरैना के दो कारोबारी के खिलाफ सिटी कोतवाली पुलिस ने शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज किया था. जिसपर कारोबारियों का कहना था कि उन्होंने इस तरह का कोई भी अपराध नहीं किया है. कारोबारियों के अधिवक्ता ने सफाई में कोर्ट को बताया कि न्यायालय चाहे तो थाने में लगे सीसीटीवी फुटेज निकलवाए जांच कर सकती है. लेकिन जब कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज मांगे तो पुलिस ने कह दिया कि सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं, जिसके बाद कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यह आदेश दिया.
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हाई कोर्ट ने कहा, पुलिस विवेचना में सीसीटीवी कैमरों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, इससे अपराधी या थाने जाने वाले व्यक्ति के साथ किस तरह का व्यवहार होता है यह कैमरों की मदद से पता चलता है, लेकिन पुलिस का यह कहना कि कैमरे खराब है यह चिंतनीय है. इसलिए पुलिस मुखिया सुनिश्चित करें कि थानों के कैमरे अच्छी क्वॉलिटी और मेमोरी के हों, कैमरों की सीडीआर कम से कम 1 साल तक सुरक्षित हो सके और जरूरत पड़ने पर सीसीटीवी फुटेज निकाले जा सकें.