ग्वालियर। ग्वालियर से लगभग 20 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच विराजमान माता शीतला (Gwalior Maa sheetla temple) पर पूरे इलाके की आस्था है. उनके दर्शनों के लिए सैकड़ो किलोमीटर दूर से भी लोग पैदल आते हैं. खासकर नवरात्र में तो यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. वहीं हर सोमवार यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है. शीतला माता मंदिर के महंत कमल सिंह भगत जी ने बताया यह माता मंदिर तकरीबन 400 साल पुराना है.
गौ के दूध से अभिषेक से प्रसन्न हुईं माता : महंत बताते हैं कि माता के भक्त गजाधर रोजाना जिला भिंड के गोहद में बने माता मंदिर माता की पूजा के लिए जाते थे. साथ ही गौ के दूध से ही माता का अभिषेक किया करते थे. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता ने उन्हे कन्या रूप में प्रकट होकर दर्शन दिए. इसके साथ ही माता ने उनके साथ चलने की जिद की. इस पर भक्त गजाधर ने कहा कि माता में सामान्य सा व्यक्ति आपकी क्या सेवा कर पाऊंगा. लेकिन माता ने हट किया और सांतउ गांव पहुंचकर विराजमान होने की बात कही.
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बड़ा हादसा हुआ लेकिन किसी को खरोंच नहीं : इसके बाद भक्त ने भी कहा कि माता आपका मंदिर कहां बनाया जाए तो कन्या ने जबाव दिया किया जहां जाकर में धरती में समा जाउं वहीं मेरा मंदिर बना देना. माता गांव से दूर जंगल में एक पहाड़ी पर पहुंचकर विराजमान हो गईं. जहां उनका मंदिर भी बनाया गया. इसके माध्यम से मां आज भी अपने भक्तों का उद्धार कर रहीं हैं. माता के चरण सेवक कमल सिंह भगत बताया कि उनके पिता पिछले 50 वर्षों से माता की सेवा इसी घने में वन में रहकर करते रहे. जिनकी पदवी अब वे संभाल रहे हैं. उन्होंने बताया कि माता सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं. कुछ वर्ष पूर्व माता के दर्शनों के लिए आ रही भक्तों से भरी ट्रैक्टर ट्ऱॉली पलट गई. यह बड़ा हादसा था. लेकिन बावजूद इसके किसी भी दर्शनार्थी को चोट तक नहीं आई.
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