ग्वालियर। प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह के खिलाफ एक सरपंच पुत्र द्वारा उनके सामने ही मुर्दाबाद के नारे लगाने का मामला सुर्खियों में है. मंगलवार को एक भंडारे में पहुंचे राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह के खिलाफ बिजौली पंचायत के जुनार पुरा गांव में यह वाकया पेश आया. सरपंच पुत्र केदार कौशल ने जुनार पुरा गांव में आयोजित भंडारे में शामिल होने पहुंचे राज्यमंत्री कुशवाह के खिलाफ विधानसभा क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर नारेबाजी की.
मंत्री के खिलाफ लगे नारे: जुनार पुरा गांव में मंगलवार को एक भंडारा आयोजित था. जिसमें राज्यमंत्री कुशवाह को भी आमंत्रित किया गया था. मंत्री अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे तो पंडाल में ही सरपंच विमलेश कौशल के बेटे केदार कौशल ने मंत्री कुशवाहा के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए. यह देख मंत्री कुछ असहज हुए, लेकिन वे मुस्कुराते रहे बाद में वे अपने समर्थकों के साथ वहां से चले गए.
इस बात से युवक था नाराज: इस दौरान गांव के कुछ बुजुर्ग लोगों ने केदार कौशल को ऐसा करने से रोकते रहे. उन्होंने नारेबाजी करने से भी उसे रोका. इसी पंडाल में मौजूद कुछ लोगों ने राज्यमंत्री कुशवाहा का पुष्पा हारों से स्वागत भी किया. केदार कौशल नामक युवक प्रत्येक पत्रकारिता का छात्र रहा है. उसने गांव के मिडिल स्कूल के उन्नयन के लिए मंत्री को कई बार आवेदन दिया था, लेकिन मंत्री ने इस विषय में कोई रुचि नहीं दिखाई थी.
क्षेत्र में काम नहीं कराने का आरोप: केदार कौशल का यह भी कहना है कि, मंत्री को इस गांव से डेढ़ सौ वोट ही मिले थे. इस कारण वे अपनी खुन्नस के चलते गांव के मिडिल स्कूल का उन्नयन नहीं करा रहे हैं. खास बात यह है कि, राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह पिछले विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी साहब सिंह गुर्जर से मात्र ढाई हजार वोटों से जीत पाए थे. ऐसे में गांव में उनका विरोध आने वाले विधानसभा चुनाव में भारी पड़ सकता है. अब लोग पहले से ज्यादा होशियार और चौकन्ने हैं. वह गांव में विकास कराने वाले को ही अपना समर्थन देंगे ऐसा इस घटना से लग रहा है.
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गांव की उपेक्षा: उसका कहना है कि, गांव के मिडिल स्कूल का कई बार कहने के बावजूद मंत्री ने उन्नयन नहीं कराया है. लिहाजा गांव की बेटियों को मिडिल से आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव या दूर जाना पड़ता है जो उनके लिए जोखिम भरा है, लेकिन मंत्री इस गांव की उपेक्षा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें इस गांव से सिर्फ 150 वोट मिले थे. इसी साल विधानसभा चुनाव हैं. लोग अब अपने क्षेत्र के विधायक और मंत्रियों से उनके विकास कार्यों को लेकर सवाल जवाब के चलते मुखर होने लगे हैं. उनसे पिछले 4 साल में किए गए कामों का ब्यौरा मांग रहे हैं. मंत्री और विधायकों की मजबूरी यह है कि उन्हें चुनावी साल में हर छोटे-बड़े बुलावे पर कार्यक्रमों में शामिल होने जाना पड़ता है, लेकिन मंत्री के सामने सरपंच पुत्र द्वारा इस तरह से नारेबाजी करने की शायद राज्यमंत्री कुशवाहा को भी उम्मीद नहीं थी.