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सोता रहा प्रशासन बिल्डर ने बना ली बिल्डिंग, हाईकोर्ट ने जमींदोज करने के दिए आदेश - ओहदपुर

ग्वालियर हाई कोर्ट ने ओहदपुर में सरकारी वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए गए हैं. ओहदपुर में बिना अनुमति के दुकानों का निर्माण किया गया है.

ग्वालियर हाई कोर्ट ने वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए
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Published : Oct 11, 2019, 1:21 PM IST

Updated : Oct 11, 2019, 2:27 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने न्यू कलेक्ट्रेट के पास ओहदपुर में सरकारी वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं. कोर्ट ने जिला प्रशासन को सरकारी जमीन का सीमांकन कराने को भी कहा है. 142 नंबर की सर्वे की वन विभाग की जमीन पर निजी बिल्डर द्वारा बिल्डिंग बनाई गई है, जिसे कोर्ट ने जमींदोज करने का आदेश दिया है.

ग्वालियर हाई कोर्ट ने वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए
जितेंद्र नरवरिया ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी कि न्यू कलेक्ट्रेट के पास ओहदपुर में पंजीयन कार्यालय के सामने अवैध तरीके से बिना अनुमति दुकानों का निर्माण किया गया है. हाईकोर्ट ने नगर निगम से मामले की जानकारी मांगी तो बताया गया कि बिना अनुमति के दुकानों का निर्माण किया गया है. हाईकोर्ट ने सभी दुकानों को तोड़ने के आदेश दिए थे, जिस पर नगर निगम ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दुकानों को तोड़ दिया था.


दुकानों को तोड़ने के बाद हाईकोर्ट ने आसपास की जमीन का स्टेट्स प्रशासन से मांगा था. जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर ने अपने शपथ पत्र में बताया कि सर्वे नंबर 139 और 142 की जमीन वन विभाग की है. सर्वे नंबर 142 की जमीन पर अब निजी बिल्डर ने बिल्डिंग तैयार कर ली है. जिसे हाईकोर्ट ने गिराने के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन उस समय क्यों सो रहा था जब सरकारी सर्वे की जमीन पर निर्माण किया जा रहा था.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने न्यू कलेक्ट्रेट के पास ओहदपुर में सरकारी वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं. कोर्ट ने जिला प्रशासन को सरकारी जमीन का सीमांकन कराने को भी कहा है. 142 नंबर की सर्वे की वन विभाग की जमीन पर निजी बिल्डर द्वारा बिल्डिंग बनाई गई है, जिसे कोर्ट ने जमींदोज करने का आदेश दिया है.

ग्वालियर हाई कोर्ट ने वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए
जितेंद्र नरवरिया ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी कि न्यू कलेक्ट्रेट के पास ओहदपुर में पंजीयन कार्यालय के सामने अवैध तरीके से बिना अनुमति दुकानों का निर्माण किया गया है. हाईकोर्ट ने नगर निगम से मामले की जानकारी मांगी तो बताया गया कि बिना अनुमति के दुकानों का निर्माण किया गया है. हाईकोर्ट ने सभी दुकानों को तोड़ने के आदेश दिए थे, जिस पर नगर निगम ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दुकानों को तोड़ दिया था.


दुकानों को तोड़ने के बाद हाईकोर्ट ने आसपास की जमीन का स्टेट्स प्रशासन से मांगा था. जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर ने अपने शपथ पत्र में बताया कि सर्वे नंबर 139 और 142 की जमीन वन विभाग की है. सर्वे नंबर 142 की जमीन पर अब निजी बिल्डर ने बिल्डिंग तैयार कर ली है. जिसे हाईकोर्ट ने गिराने के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन उस समय क्यों सो रहा था जब सरकारी सर्वे की जमीन पर निर्माण किया जा रहा था.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच ने न्यू कलेक्ट्रेट के पास ओहदपुर में सरकारी वन विभाग की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं। साथ ही जिला प्रशासन को कहा गया है कि वे सरकारी जमीन का सीमांकन कराएं। खास बात यह है कि दो सर्वे में से एक सर्वे की जमीन पर आवासीय बिल्डिंग विकसित हो चुकी है।


Body:दरअसल हाई कोर्ट में पिछले साल एक जनहित याचिका दायर की गई थी जितेंद्र नरवरिया की इस जनहित याचिका में कहा गया था कि न्यू कलेक्ट्रेट के पास ओहदपुर में पंजीयन कार्यालय के सामने अवैध तरीके से बिना अनुमति दुकानों का निर्माण किया गया है हाईकोर्ट ने जब नगर निगम से इस बारे में जानकारी चाहिए तो नगर निगम ने बताया कि बिना अनुमति के उक्त दुकानों का निर्माण किया गया है इस पर हाईकोर्ट ने सभी दुकानों को तोड़ने के आदेश दिए थे नगर निगम ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया और दुकानों को तोड़ दिया।


Conclusion:खास बात यह है कि दुकानों को तोड़ने के बाद हाईकोर्ट ने आसपास की जमीन का स्टेटस तलब किया तब जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर ने अपने शपथ पत्र में बताया कि सर्वे नंबर 139 और 142 की जमीन भी सरकारी होकर वन विभाग की है। हैरानी की बात यह है कि 142 नंबर की सर्वे की जमीन पर मल्टी बन चुकी है ऐसे में अब इस मल्टी के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। खास बात यह है कि नगर निगम प्रशासन उस समय क्यों सो रहा था जब सरकारी सर्वे की जमीन पर निर्माण किया जा रहा था कुल मिलाकर अब मल्टी में रहने वालों की रातों की नींद हराम हो गई है।
बाइट अवधेश तोमर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
Last Updated : Oct 11, 2019, 2:27 PM IST
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