ग्वालियर। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने साल 2018 के एक मामले में सख्त एक्शन लिया है. अदालत ने शिकायतकर्ता के घर में देर रात घुसकर मारपीट करने और बिना अपराध अलग-अलग थानों में बंद करने के मामले में क्राइम ब्रांच के 14 कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है. आरोपी 5 थाना प्रभारी समेत कुल 14 पुलिसकर्मियों से एक महीने के भीतर जवाब मांगा गया है. यह याचिका बिरला नगर में रहने वाले यतेंद्र सिंह जाट ने एडवोकेट जितेन्द्र सिंह राठौर के माध्यम से हाई कोर्ट में दायर की थी. याचिका में यतेंद्र ने दोषी पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज कर सीआरपीसी की धारा 156 के तहत कार्रवाई करने का निवेदन किया है.
इन पुलिसकर्मियों को जारी किए नोटिसः न्यायालय ने प्रतिवादी घनश्याम जाट, अनिल राजावत, संतोष भदौरिया, जितेन्द्र सिंह तोमर, लोकेन्द्र राजावत, रामसहाय यादव, अंजनी चंदेल, राहुल यादव सभी आरक्षक, सत्यवीर जाटव एएसआई और टीआई जितेन्द्र, राजेन्द्र बर्मन, संजू कामले, सुदेश तिवारी व आलोक परिहार को नोटिस जारी किए हैं. इन सभी पर आईपीसी की धारा 452, 364, 364 ए, 365, 367, 368, 395, 397 और 11 व 13 डकैती अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय में शिकायत दर्ज की गई थी.
4 सितंबर 2018 का मामलाः शिकायतकर्ता यतेन्द्र चौधरी ने बताया कि 4 सितंबर 2018 की रात वह अपने घर पर खाना खा रहा था. तभी करीब 10 पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में उसके घर में घुसे और यतेन्द्र समेत उसके भाइयों- पुष्पेंद्र और कपिल के साथ मारपीट करने लगे. रोकने पर टीआई सुदेश तिवारी ने उस पर रिवॉल्वर तान दी. यतेंद्र सिंह का कहना है कि उसकी पत्नी और पिता के साथ भी पुलिसकर्मियों ने बदसलूकी की. यतेंद्र और उसके दो भाइयों को घर से निकालकर पुलिसकर्मी साथ ले जाने लगे तो पड़ोसी विनय परमार ने बीच-बचाव करने की कोशिश की. पुलिसकर्मियों ने उनकी जेब में रखे पैसे और पर्स भी छीन लिए. उनकी कार को भी थाने ले जाया गया. क्राइम ब्रांच थाने में भी जितेंद्र और उसके भाइयों के साथ मारपीट की गई. इसके बाद इन सभी को यूनिवर्सिटी थाने ले जाकर बंद कर दिया गया. यहां एक बार फिर इन सभी को पीटा गया.
Must Read:- क्राइम से जुड़ी खबरें... |
कोर्ट की अवमानना का मामला: यतेंद्र और उसके नाबालिग भाई कपिल को 6 सितंबर 2018 को गोला का मंदिर थाने ले जाकर बंद कर दिया गया. जब उनके पिता ने न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन पेश किया तो पुलिस ने कपिल को छोड़ दिया. जबकि यतेन्द्र और उसके दूसरे भाई की गिरफ्तारी से साफ इनकार कर दिया गया. जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो पुलिस ने यतेंद्र को धारा 151 जबकि पुष्पेन्द्र और विनय परमार को आबकारी एक्ट में बंद करना बताते हुए न्यायालय में पेश किया. जमानत मिलने के बाद शिकायतकर्ता ने आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की. इस पर न्यायालय ने एसपी को आवेदन देने और 30 दिन में कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अवमानना याचिका लगाई गई. जिस पर कोर्ट ने ये नोटिस जारी किए हैं.