ग्वालियर। हाईकोर्ट खंडपीठ (Gwalior High Court Bench) के आदेश से ग्वालियर चंबल अंचल के उन सैकड़ों छात्रों (B.Ed Student) को राहत मिल गई है, जिनकी परीक्षा कराने से विश्वविद्यालय ने मना कर दिया था. उन पर गैर मान्यता प्राप्त बीएड कॉलेजों में एडमिशन लेने के आरोप लगाए थे. हाईकोर्ट ने आधा दर्जन बीएड कॉलेजों (B.Ed College) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि छात्रों की परीक्षा के लिए विश्वविद्यालय नामांकन कराने से लेकर परीक्षा फॉर्म भरवाने तक की प्रक्रिया को पूरा करें और उनके एग्जाम कराएं. इसके रिजल्ट वेस्टर्न रीजनल कमेटी (Result Western Regional Committee) के अधीन रहेंगे.
बीएड कॉलेज संचालकों ने दायर की थी याचिका
दरअसल, ग्वालियर चंबल अंचल के आधा दर्जन बीएड कॉलेज संचालकों ने हाईकोर्ट (MP High Court) में याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि कई छात्रों की परीक्षाएं संस्थान की मान्यता को लेकर नहीं कराई जा रही है. इन कॉलेजों की नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन यानी एनसीटीई ने मान्यता वापस ले ली थी. यह मामला वेस्टर्न रीजनल कमेटी के समक्ष पहुंचा था. वेस्टर्न रीजनल कमेटी ने बाद में आदेश को वापस ले लिया. यह कॉलेज तब उच्च शिक्षा विभाग के पोर्टल पर प्रदर्शित होने लगे.
मान्यता न होने से किया था इनकार
पोर्टल पर आने से विद्यार्थियों ने वहां धड़ाधड़ प्रवेश लिए, लेकिन जीवाजी विश्वविद्यालय में सत्र 2020-21 की परीक्षा कराने से इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि इन कॉलेजों पर मान्यता नहीं थी. इन कॉलेजों में राधा कृष्ण कॉलेज दतिया, शिवकुमार शिक्षा प्रसार समिति भिंड, चंबल बीएड कॉलेज मुरैना, युवा शिक्षा व्यवसाय महा विद्यालय अशोकनगर एवं गुना शामिल थे.
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याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इसमें उनके संस्थानों की कोई कमी नहीं थी. पोर्टल के माध्यम से विद्यार्थियों ने प्रवेश लिए थे. उनकी परीक्षा कराया जाना बेहद जरूरी है, अन्यथा कई परीक्षार्थियों का भविष्य खराब होगा. अब कोर्ट ने करीब 600 छात्रों की सशर्त परीक्षा कराने की आदेश दिए हैं.