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ग्वालियर में जीवित ग्रामीणों के डेथ सर्टिफिकेट, सरकारी मदद की राशि हड़पने की साजिश कैसे हुई फेल

Gwalior fraud Death certificates: ग्वालियर जिले की ग्राम पंचायत किठौंदा में जिंदा लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिए गए. जांच में ये लोग जिंदा निकले. सहायक सचिव और उपसरपंच के पति ने मिलकर सरकारी राशि हड़पने के लिए 5 लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए.

Gwalior fraud case Death certificates
ग्वालियर में जीवित ग्रामीणों के डेथ सर्टिफिकेट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 8, 2024, 7:04 PM IST

ग्वालियर में जीवित ग्रामीणों के डेथ सर्टिफिकेट

ग्वालियर। अंत्येष्टि राशि के 5 हजार और अनुग्रह सहायता राशि के 2 लाख रुपए के लिए किठौंदा ग्राम पंचायत के सहायक सचिव भीकम जाटव और उपसरपंच पति पंचम वर्मा ने मिलकर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए. आरोपियों के खिलाफ भितरवार थाने में मामला दर्ज कराया गया है. इस मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निरंजन शर्मा का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और विवेचना की जा रही है. बता दें कि सरकार की योजना है कि जो लोग मध्यप्रदेश में बीपीएल के अधीन में आते हैं उनके समग्र आईडी बनाये गए हैं. ऐसे व्यक्ति की मौत होने पर परिजनों को उनकी अंत्येष्टि के लिए 5 हजार रुपये मिलते है. जबकि संबल योजना के तहत परिजनों को एक मुश्त दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी प्रदान की जाती है.

ग्रामीणों को लग गई भनक : इसे पाने के लिए व्यक्ति के मृत्यु प्रमाणपत्र को आवेदन के साथ लगाना पड़ता है. ग्वालियर जिले की भितरवार जनपद पंचायत इलाके की किठौंदा ग्राम पंचायत के कारिंदों ने इस राशि को हड़पने के लिए जिंदा लोगों को ही मृत घोषित करके उनके डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिए. सहायक सचिव भीखम जाटव और उप सरपंच के पति पंचम वर्मा ने ऐसे प्रमाणपत्र बना लिए और इनकी राशि पाने के लिए कार्रवाई भी शुरू कर दी. लेकिन ग्रामीणों को इसकी जानकारी लग गई. उन्होंने ये जनपद पंचायत के अफसरों तक पहुंचाई. इसके बाद मामले की जांच शुरू की गई.

और मामले उजागर होने की संभावना : जांच के दौरान पता चला कि ये दोनों मिलकर चार लोगों के डेथ प्रमाणपत्र बनाकर आवेदन भेज चुके हैं. जबकि जांच के दौरान एक नया मामला भी उजागर हुआ. पता चला कि गांव के ख्याली राम जाटव के नाम का भी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर अनुग्रह राशि और अंत्येष्टि राशि का प्रकरण पेश किया गया है. अब अधिकारियों को लगता है कि कुछ और मामले उजागर हो सकते हैं. जांच के दौरान जब जांच टीम ने उन जीवित लोगों के बयान दर्ज किए, जिनके नाम से फर्जी डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई.

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ग्रामीणों को दी धमकी : जिनके नाम पर ये मृत्यु प्रमाण पत्र बने उनका कहना है कि सहायक सचिव धमकी देता है कि अगर किसी ने भी आरटीआई लगाई या शिकायत की तो वह आत्महत्या कर लेगा और उन सबको फंसाने के लिए गांव वालों के नाम लिखकर जाएगा. इस डर से वे कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे. जनपद पंचायत भितरवार के सीईओ लक्ष्मी नारायण पिप्पल के अनुसार इस मामले की सूचना मिलने पर जिला पंचायत के सीईओ के निर्देश पर जांच शुरू की गई. इसमे 5 जिंदा लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के मामले में जांच दल ने पूरी कर ली है.

ग्वालियर में जीवित ग्रामीणों के डेथ सर्टिफिकेट

ग्वालियर। अंत्येष्टि राशि के 5 हजार और अनुग्रह सहायता राशि के 2 लाख रुपए के लिए किठौंदा ग्राम पंचायत के सहायक सचिव भीकम जाटव और उपसरपंच पति पंचम वर्मा ने मिलकर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए. आरोपियों के खिलाफ भितरवार थाने में मामला दर्ज कराया गया है. इस मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निरंजन शर्मा का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और विवेचना की जा रही है. बता दें कि सरकार की योजना है कि जो लोग मध्यप्रदेश में बीपीएल के अधीन में आते हैं उनके समग्र आईडी बनाये गए हैं. ऐसे व्यक्ति की मौत होने पर परिजनों को उनकी अंत्येष्टि के लिए 5 हजार रुपये मिलते है. जबकि संबल योजना के तहत परिजनों को एक मुश्त दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि भी प्रदान की जाती है.

ग्रामीणों को लग गई भनक : इसे पाने के लिए व्यक्ति के मृत्यु प्रमाणपत्र को आवेदन के साथ लगाना पड़ता है. ग्वालियर जिले की भितरवार जनपद पंचायत इलाके की किठौंदा ग्राम पंचायत के कारिंदों ने इस राशि को हड़पने के लिए जिंदा लोगों को ही मृत घोषित करके उनके डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिए. सहायक सचिव भीखम जाटव और उप सरपंच के पति पंचम वर्मा ने ऐसे प्रमाणपत्र बना लिए और इनकी राशि पाने के लिए कार्रवाई भी शुरू कर दी. लेकिन ग्रामीणों को इसकी जानकारी लग गई. उन्होंने ये जनपद पंचायत के अफसरों तक पहुंचाई. इसके बाद मामले की जांच शुरू की गई.

और मामले उजागर होने की संभावना : जांच के दौरान पता चला कि ये दोनों मिलकर चार लोगों के डेथ प्रमाणपत्र बनाकर आवेदन भेज चुके हैं. जबकि जांच के दौरान एक नया मामला भी उजागर हुआ. पता चला कि गांव के ख्याली राम जाटव के नाम का भी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर अनुग्रह राशि और अंत्येष्टि राशि का प्रकरण पेश किया गया है. अब अधिकारियों को लगता है कि कुछ और मामले उजागर हो सकते हैं. जांच के दौरान जब जांच टीम ने उन जीवित लोगों के बयान दर्ज किए, जिनके नाम से फर्जी डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई.

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